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समाज

अपने डॉक्टरों को हिंसा से बचाने के लिए चीन ने बनाया कानून

३० दिसम्बर २०१९

डॉक्टरों के साथ हिंसा की वारदातों से केवल भारत ही नहीं, चीन भी परेशान है. हाल ही में एक महिला डॉक्टर को अस्पताल में मरीज के एक परिजन के चाकू मारने के बाद अब चीन ने कड़े किए कानून.

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Arzt Patient Krankenhaus China Shanghai
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Wang Yadong

चीन ने डॉक्टरों समेत सभी मेडिकल कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए नया कानून बनाया है. राजधानी बीजिंग के एक अस्पताल में कुछ ही दिन पहले एक महिला डॉक्टर को हत्या के इरादे से एक मरीज के परिजन ने चाकू मार दिया था. इसके पहले भी देश में मेडिकल कर्मचारियों पर हमले और उनके साथ हिंसा की घटनाएं हुई हैं. चीनी ऑनलाइन न्यूज पोर्टल सीजीटीएन के अनुसार केवल 2018 में ही चीन में कम से कम 12 ऐसी "मेडिकल दुर्घटनाएं" हुईं जिनमें हिंसा हुई थी और इनमें से दो मेडिकल कर्मचारियों की तो जान भी चली गई.

चीन में ऐसी घटनाओं के पीछे कई कारण गिनाए जा सकते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में कम निवेश करना भी उनमें से एक है. विश्व की कुल आबादी का 22 फीसदी हिस्सा जिस एक देश चीन में बसता है, वहां विश्व भर में स्वास्थ्य पर होने वाले कुल खर्च का केवल 2 फीसदी ही होता है.

चीन के सरकारी मीडिया में आई खबरों में बताया गया है कि नए कानून में किसी भी संगठन या व्यक्ति के किसी मेडिकल कर्मचारी को धमकाने, गरिमा को ठेस पहुंचाने या शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने पर रोक लगाई गई है. खबरों के अनुसार यह कानून चीन में एक जून 2020 से लागू होगा. नए कानून में "मेडिकल माहौल में व्यवधान डालने वालों या मेडिकल कर्मचारियों की सुरक्षा या गरिमा को ठेस पहुंचाने वालों को कैद या जुर्माने जैसी सजा दी जा सकती है.

चाइनाडेली ने अपने समाचार में चीनी मेडिकल डॉक्टर एसोसिएशन के हवाले से जारी एक बयान छापा है जिसमें डॉक्टरों के लिए कार्यस्थल सुरक्षित बनाने की मांग की गई थी, "हम बहुत ज्यादा नाराज हैं और इस हमले की कड़ी निंदा करते हैं. हम आशा करते हैं कि डॉक्टरों और नर्सों के साथ आगे ऐसी हिंसा ना हो, इसके लिए अब एक सुरक्षा घेरा बनाया जा रहा है."

Indien Streikende Ärzte im NRS-Krankenhaus von Kalkutta
जून में कोलकाता में हड़ताल पर बैठ जूनियर डॉक्टर.तस्वीर: DW/P. Mani

चीन के पड़ोसी देश भारत में भी हालात मिलते जुलते हैं. डॉक्टरों और दूसरे मेडिकल स्टाफ के साथ हिंसा की वारदातें सामने आती रहती हैं. इसी साल पश्चिम बंगाल के कोलकाता में एक जूनियर डॉक्टर पर हुए गंभीर हमले के बाद देश भर के करीब 800,000 डॉक्टरों ने सुरक्षा और कार्यस्थल को बेहतर बनाने की मांग लेकर हड़ताल की थी. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अनुसार देश के ज्यादातर डॉक्टरों को अपने कार्यकाल के दौरान कभी ना कभी मौखिक दुर्व्यवहार तो वहीं करीब 12 फीसदी को शारीरिक दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा है. अब तक देश भर के डॉक्टरों और मेडिकल कर्माचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाला कोई कानून नहीं बना है.

एडिटर, डीडब्ल्यू हिन्दी
ऋतिका पाण्डेय एडिटर, डॉयचे वेले हिन्दी. साप्ताहिक टीवी शो 'मंथन' की होस्ट.@RitikaPandey_