अफगानिस्तान में हमला, नाटो के 6 सैनिक मरे
१३ दिसम्बर २०१०ओबामा प्रशासन के एक वरिष्ट अधिकारी ने कहा है राष्ट्रपति अफगान रणनीति के मूल्यांकन की रिपोर्ट पर बयान देंगे, लेकिन ओबामा द्वारा सैनिकों की तैनाती की योजना में किसी बड़े परिवर्तन की उम्मीद नहीं है. इस रिव्यू रिपोर्ट में यह बात सामने आने की उम्मीद है कि अफगानिस्तान में भ्रष्टाचार और कमजोर प्रशासन के बावजूद अमेरिका और नाटो के सैनिक देश के कुछ हिस्सों में सुरक्षा देने में प्रगति कर रहे हैं.
अमेरिका ने पिछले साल अतिरिक्त 30 हजार सैनिकों को अफगानिस्तान भेजकर कट्टरपंथी तालिबान के मजबूत होने और दस साल से चल रहे युद्ध में उसका पलड़ा भारी होने को रोकने की कोशिश की.
लेकिन इस साल अब तक वहां 700 विदेशी सैनिक मरे हैं जो गठबंधन सेनाओं के लिए युद्ध की शुरुआत के बाद से सबसे खराब साल गुजरा है. रविवार को कंदहार में एक अमेरिकी सैनिक अड्डे के सामने विद्रोहियों के आत्मघाती कार बम हमले में 6 नाटो सैनिकों और दो अफगान सैनिकों की मौत हो गई.
संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार हिंसा में मारे जाने वाले असैनिक नागरिकों की संख्या भी बढ़ी है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार साल की पहली छमाही में असैनिक नागरिकों की मौत बीस फीसदी बढ़कर 1300 हो गई.
इलाके में शांति स्थापना के प्रयासों को अमेरिका के अफगानिस्तान-पाकिस्तान दूत रिचर्ड होलब्रुक की बीमारी से भी गहरा धक्का लगा है. क्षेत्र में अत्यंत सम्मानित 69 वर्षीय होलब्रुक इमरजेंसी ऑपरेशन के बाद भी गंभीर रूप से बीमार हैं और लंबे समय तक वे मध्यस्थता के लिए उपलब्ध नहीं होंगे.
जर्मन सरकार भी अगले सप्ताह अफगानिस्तान पर एक प्रगति रिपोर्ट पेश करेगी. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार उसमें 2011 के अंत में या 2012 से शुरू से जर्मन सैनिकों की वापसी की संभावना व्यक्त की जाएगी. जर्मन विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले संसद में अफगानिस्तान की स्थिति पर सरकारी बयान भी देंगे.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: एस गौड़