अफ्रीका का ग्रेट ग्रीन वाल लाएगा हरियाली
२९ जनवरी २०२१बुर्किना फासो के एक गांव में पले-बढ़े, जॉर्जेस बेजोंगो ने अपने बचपन में माता-पिता और पड़ोसियों को पेड़ काटते हुए देखा था. ऐसा करके वे परिवार पालने के लिए पर्याप्त भोजन उगाने के लिए अपने खेतों का विस्तार करते थे. आज वे उन दिनों को याद करते हैं. उन्होंने कुछ सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पेड़ों को सूखते हुए भी देखा है. यह इस बात की ओर साफ संकेत है कि मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो रही है, क्योंकि भारी बारिश के कारण मिट्टी की उपजाऊ परत बह गई है.
48 वर्षीय बेजोंगो ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन से बात करते हुए बताया कि उनके कुछ रिश्तेदार बेहतर जीवन की तलाश में आइवरी कोस्ट चले गए हैं. इंटरनेशनल चैरिटी ट्री एड में परिचालन निदेशक बेजोंगो ने बताया कि यहां करीब एक दशक पहले हालात सुधरने शुरू हुए, जब सरकार और पर्यावरण समूहों ने ग्रामीणों को उनकी बंजर हो रही जमीन का कारण और खतरों के बारे में समझने में मदद की.
मिट्टी और जल संरक्षण
वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी का करीब एक चौथाई हिस्सा मिट्टी के कटाव जैसी प्राकृतिक प्रक्रियाओं और वनों के कटाव और पशु चराई जैसे मानवीय कृत्यों की वजह से खराब स्थिति में है. यह बेकार बड़ी जमीन बहुत ही कम उपजाऊ होने के साथ ही मिट्टी से कार्बन डाईऑक्साइड और नाइट्रस ऑक्साइड के रूप में जलवायु को गर्म करने वाली जहरीली गैसों का उत्पादन करती है.
बेजोंगो का गांव राजधानी ऊगाडूगू से 160 किमी से ज्यादा दूर है. उन्होंने बताया कि यहां के स्थानीय लोगों ने ऐसे वनक्षेत्र की पहचान की है जहां पेड़ काटने की मनाही है. मिट्टी और जल संरक्षण के तरीके अपनाए गए हैं और अलग-अलग तरह की फसलें उगाई जा रही हैं. अब हालांकि उनका परिवार 16 सदस्यों से बढ़कर 36 सदस्यों का हो चुका है लेकिन इसके बावजूद परिवार के लिए कृषि से भरपूर भोजन पैदा हो जाता है. उनका पशुधन और जंगल से प्राप्त खाद्य पदार्थों की भी कमी नहीं है. यही नहीं, अब उन्हें अपने खेतों का विस्तार करने की भी जरूरत नहीं है.
ग्रेट ग्रीन वॉल पहल
बेजोंगो का गांव ग्रेट ग्रीन वॉल पहल का हिस्सा है. ग्रेट ग्रीन वॉल की बात करें तो यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर लगाम लगाने, भूखमरी कम करने, रोजगार पैदा करने, और सहारा रेगिस्तान से दक्षिणी हिस्से से नीचे के पूरे भूभाग में भूमि को फिर से उपजाऊ बनाकर संघर्ष को रोकने के लिए एक क्षेत्रीय कार्यक्रम का नाम है. बेजोंगो का संगठन पांच देशों में इस पहल का समर्थन करता है और वे कहते हैं, "हम सौभाग्यशाली हैं कि हमने यह नए कौशल सीखे हैं.” उन्होंने आगे कहा, "लेकिन गरीबी में जीने वाले उन लाखों परिवारों के बारे में क्या? इसका मतलब है कि वे अब भी खेती योग्य भूमि का विस्तार कर रहे हैं, पेड़ काट रहे हैं. वे पेड़ काटने के साथ ही जानवरों के प्राकृतिक आवास को नष्ट कर रहे हैं. क्योंकि उन्हें कोई दूसरा विकल्प नजर ही नहीं आ रहा है.”
उन्होंने पाया कि इस तरह के व्यवहार को बदलने के लिए फंडिंग मिलना एक चुनौती है. वे बताते हैं, "फ्रांस की घोषणा से खुशी हुई कि विकास बैंक और सरकार ने ग्रेट ग्रीन वॉल के काम को गति देने के लिए 14 अरब डॉलर देने का वादा किया है.” पेरिस में आयोजित वन प्लैनेट समिट में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल माक्रों ने कहा कि फ्रांस यह सुनिश्चित करेगा कि प्रतिबद्धता को बरकरार रखा जाए. अमेरिका स्थित वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआई) में एक शोध सहयोगी के तौर पर काम करने वाली नाइजर में जन्मी सलीमा महमूदो ने साहेल में भूमि सुधार के लाभों को स्वयं देखा है. उनका कहना है कि फंडिंग को लेकर जो वादे किए गए हैं उन्हें अमली जामा पहनाया जाना जरूरी है.
शुरुआती मुसीबत के दिन बीते
साल 2007 में पहली बार ग्रेट ग्रीन वॉल का विचार सामने आया. उस समय इसका उद्देश्य पश्चिम में सेनेगल से लेकर पूर्व में जिबूती तक 11 प्रमुख देशों में 8,000 किलोमीटर क्षेत्र में पेड़ लगाना था. उस समय ऐसा करने के पीछे उद्देश्य ये था कि पहले से ही बढ़ते तापमान, बाढ़ और गृहयुद्ध जैसे हालात से प्रभावित क्षेत्र में मरुस्थलीकरण को रोका जाए. जंगलों को फिर से उगाने के विचार पर संकीर्ण दृष्टिकोण जैसी आलोचनाओं के बाद इस योजना को और ज्यादा फैलाया गया. इसमें कई अन्य दृष्टिकोणों को शामिल किया गया, जिसमें बहुउद्देश्यीय उद्यान बनाना, वनस्पति के विकास के लिए रेत के टीलों को आगे बढ़ने से रोकना और योजना को 20 देशों को विस्तार देना शामिल हैं.
इस योजना के तहत 10 करोड़ हेक्टेयर बंजर भूमि को संवारना, 25 करोड़ टन कार्बन को खत्म करना और 2030 तक 10 करोड़ हरित रोजगार सृजन का उद्देश्य है. ऐसे में नई फंडिंग बहुत जरूरी थी. द ग्रेट ग्रीन वॉल ने अपनी अंतिम समय सीमा का आधे से ज्यादा वक्त गुजर जाने के बावजूद अब तक अपने लक्ष्य क्षेत्र का सिर्फ चार फीसद (40 लाख हेक्टेयर) ही कवर किया है.
निगरानी की कमी
पिछले साल संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि फिर से जंगल लगाने के काम को 3.6 अरब से 4.3 अरब डॉलर की वार्षिक लागत में 80 लाख हेक्टेयर प्रतिवर्ष की रफ्तार से करने की जरूरत है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि परियोजना को राष्ट्रीय पर्यावरणीय प्राथमिकताओं के साथ जोड़ा नहीं गया है और इसकी निगरानी भी अच्छी तरह से नहीं की जा रही है. संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने ग्रीन क्लाइमेट फंड के साथ ग्रेट ग्रीन वाल को पूरा करने के काम में तेजी लाने के लिए एक नया निवेश कार्यक्रम शुरू किया है.
इसके तहत छोटे किसानों और कृषि व्यवासायों को मदद मिलने के साथ ही रोजगार सृजन भी होगा. परियोजना में सिंचाई की व्यवस्था करना और जलवायु के अनुसार बुनियादी ढांचागत विकास करना शामिल है. जैसे बाढ़ से सुरक्षित सड़कें और फसल प्रसंस्करण या भंडारण सुविधाओं का निर्माण करना और सौर ऊर्जा का विस्तार. पिछले साल उप-सहारा क्षेत्र के अफ्रीकियों में हर पांच में से एक से ज्यादा व्यक्ति भूखा रहा. साहेल की जनसंख्या के साल 2050 तक दोगुना होने की भविष्यवाणी की गई है. आईएफएडी ने चेतावनी दी है कि लाखों युवा कृषि पैदावार के गिरने के कारण पलायन और संघर्ष को मजबूर होंगे. हुंगबो ने कहा, "द ग्रेट ग्रीन वॉल के जरिए आप जलवायु, खाद्य सुरक्षा, मानव सुरक्षा और रोजगार निर्माण के विभिन्न आयामों को एक साथ साध लेते हैं.”
भविष्य में अच्छा निवेश
जमीन की बहाली और पर्यावरण समूहों के गठबंधन पर काम करने वाले ग्लोबल एवरग्रीनिंग एलायंस के लार्स लेस्टाडियस ने कहा कि द ग्रेट ग्रीन वॉल को गरीबों में समृद्धि लाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जहां हर एक पेड़ किसी की आजीविका का साधन बनेगा. सवाल इस बात को लेकर हैं कि किस प्रकार की बहाली को प्राथमिकता दी जाएगी. महंगे ट्रैक्टर से सूखी मिट्टी में गड्डे खोदे जाएं, ताकि नए पेड़ लगाए जा सकें, या पहले से काटे जा चुके पेड़ों के बचे हुए तने पर जन्मे नए पौधे की रक्षा की जाए. उन्होंने कहा, "यह बहुत सस्ता है और नाइजर में उन्होंने यह होते हुए देखा है. बहुत ही कम लागत में आप इस तरह से एक बड़े क्षेत्र को कवर कर सकते हैं.”
विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मलपास ने पैरिस सबमिट में कहा कि भूमि बहाली में निवेश आर्थिक समझदारी है. उन्होंने कहा, "उदाहरण के लिए नाइजर में हर एक डॉलर के निवेश से 6 डॉलर का लाभ होता है.” मरुस्थलीकरण (डेजर्टिफिकेशन) के खिलाफ लड़ने के लिए बने संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन की संचालन शाखा की प्रमुख लुईस बेकर ने कहा, "जो नेता या मंत्री इससे बाहर हैं वे द ग्रेट ग्रीन वॉल को उतनी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, जितना उन्हें लेना चाहिए. लेकिन कोविड-19 रिकवरी योजनाओं ने इसे बदलने का अवसर दिया है.”
प्रकृति को ध्यान में रखते हुए इलाके की जमीन को बेहतर बनाने से कई समस्याओं का हल हो जाएगा. साहेल जैसी जगह में जहां 70-80 फीसद लोग किसान हैं, वहां स्थानीय कृषि मूल्य श्रृंखलाओं का समर्थन करके उनकी आयातित माल पर निर्भरता को कम किया जा सकता है और उनकी आय को सुरक्षित करके उनकी मानवीय सहायता हो सकती है. लुइस बेकर कहती हैं, "अगर हम द ग्रेट ग्रीन वॉल जैसा कुछ करते हैं तो हम इस धन का बेहतर तरीके से निवेश करेंगे, लोगों को कुछ अलग तरह के अवसर और मौके दे सकेंगे.
आरआर/एमजे (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)
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