अमेरिका का शासन संभालने के लिए टीम बाइडेन तैयार
२५ नवम्बर २०२०ट्रंप भले ही अपने रुख पर अड़े हुए हैं लेकिन उन्होंने सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया को मंजूरी दे दी है. बाइडेन को अब देश के जरूरी मुद्दों पर खुफिया ब्रीफिंग दी जाने लगी है और इसके साथ ही दूसरी तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं. राष्ट्रपति चुनाव के विजेता डेमोक्रैट बाइडेन भी अपने सिपहसलाहों की टीम तैयार करने में जुट गए हैं. जो बाइडेन ने कैबिनेट और व्हाइट हाउस के लिए अपनी टीम में जिन नामों को शामिल किया है, उनसे पता चल रहा है कि अनुभव को ज्यादा तरजीह दी जा रही है. ट्रंप के कार्यकाल में कमजोर पड़ी ब्यूरोक्रैसी का मान एक बार फिर बढ़ रहा है.
अनुभवी लोगों को महत्व
ट्रंप ने अपनी ही सरकार के अधिकारियों पर बहुत कम भरोसा किया लेकिन बाइडेन बीते पांच दशकों में वॉशिंगटन में उनका साथ देने वाली ब्यूरोक्रैसी को महत्व दे रहे हैं. बाइडेन को अपनी कैबिनेट के लिए रिपब्लिकन पार्टी के बहुमत वाले सीनेट से मंजूरी लेनी होगी. शायद यही वजह है कि उन्होंने चर्चित नामों की बजाय प्रशिक्षित पेशेवरों को अपनी टीम में जगह दी है. फिलहाल उनकी टीम में जाना पहचाना बस एक ही नाम है जॉन केरी का जो ओबामा प्रशासन में विदेश मंत्री रह चुके हैं. बाइडेन के कार्यकाल में वह अमेरिका के पर्यावरण मामलों के विशेष राजदूत होंगे.
बाइडेन के इर्द गिर्द उनके सहयोगी और ओबामा प्रशासन के दौर में अहम जिम्मेदारी संभाल चुके लोग ही फिलहाल आते दिख रहे हैं. विदेश मंत्री की जिम्मेदारी एंटनी ब्लिंकेन को दी गई है जिन्होंने बाइडेन के लिए सीनेट में लंबे समय तक काम किया है और इससे पहले विदेश विभाग के उप सचिव और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के डेप्यूटी रह चुके हैं.
इसी तरह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकर जेक सुलिवैन को बनाया गया है. ओबामा प्रशासन में सुलिवैन ने इसी पद के डेप्यूटी की भूमिका निभाई है. वित्त मंत्रालय का जिम्मा जेनेट येलेन को मिला है. येलेन इससे पहले फेडरल रिजर्व और व्हाइट हाउस की आर्थिक सलाहकार परिषद की प्रमुख रह चुकी हैं. इसी तरह बाइडेन ने व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ के लिए रॉन क्लेन को चुना है. रॉन इससे पहले अल गोर और खुद बाइडेन के चीफ ऑफ स्टाफ रह चुके हैं.
ट्रंप की टीम से तुलना
बाइडेन की टीम के ज्यादातर सदस्यों के साथ काम कर चुके नेवी के एडमिरल जेम्स स्टावरिडीस का कहना है, "यह टीम योग्यता और अनुभव अपने साथ ला रही है, जो दो अलग चीजें हैं लेकिन एक दूसरे में गुंथी हुई हैं. डेप्यूटी रह चुके लोग अप पूरी भूमिका में आ रहे हैं और अनुभवी हाथ काम पर लौट रहे हैं. ये लोग शांत और केंद्रित रहते हैं और ये गेंद के लिए नहीं लड़ेंगे." स्टारविडीस नाटो के सुप्रीम अलाएड कमांडर भी रह चुके हैं. उनका कहना है कि नई टीम दुनिया में अपने समकक्षों से परिचित है और वो जानते हैं कि किसे फोन करना है. उन्होंने यह भी कहा, "ट्रंप की टीम से यह टीम बिल्कुल अलग है और मुझे तो उसे टीम कहने में भी झिझक है क्योंकि वे लोग साथ मिल कर काम नहीं करते."
ट्रंप अपने शासनकाल में बहुत सी नई चीजें ले आए. जाहिर है कि अब जब उनकी विदाई होनी है तो लोग तुलना कर रहे हैं. ट्रंप के पूरे शासनकाल में शीर्ष पदों पर लोगों की नियुक्ति और विदाई बड़ी तेजी से होती रही. ट्रंप के पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल फ्लिन नियुक्ति के एक महीने बाद ही पद से हटा दिए गए. ट्रंप के दौर में बहुत से पदों पर नियुक्ति नहीं हुई, अपने प्रति निष्ठा पर ट्रंप को जिस किसी के बारे में संदेह हुआ, उसे मिनटों में बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.
हालांकि ट्रंप ने सत्ता हस्तांतरण के दौर में अपने सहयोगियों को मीडिया और आम लोगों के सामने बड़ी शान से पेश किया था. बाइडेन के दौर में सब कुछ बहुत गुपचुप हो रहा है, सिर्फ घोषणाएं ही सार्वजनिक हो रही हैं. बाइडेन ने तो नारा भी दिया है, "अमेरिका वापस लौट आया है." बहुत से लोग अमेरिका में ओबामा के दौर की वापसी का एलान कर रहे हैं. डेमोक्रैटिक पार्टी के भी बहुत से लोग नहीं चाहते कि सीधे ओबामा का ही दौर वापस आ जाए लेकिन बाइडेन का कहना है, "यह ओबामा का तीसरा कार्यकाल नहीं है."
रिपब्लिकन पार्टी के लोग भी बाइडेन की पसंद से बहुत खुश नहीं हैं. फ्लोरिडी के सीनेटर मार्को रूबियो ने ट्वीट किया है, "बाइडेन की कैबिनेट के लिए चुने लोग आइवी लीग स्कूल में पढ़े हैं, उनका रेज्यूमे शानदार है, उन्होंने हर तरह की सही कांफ्रेंस में हिस्सा लिया है, वो शालीन होंगे और अमेरिका के पतन की व्यवस्थित तरीके से देखरेख करेंगे."
एनआर/आईबी (डीपीए, एपी)
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