आज का इतिहासः 28 फरवरी
२८ फ़रवरी २०१४जब भी प्रकाश की किरण किसी कण में जाती है तो प्रकाश के तरंग दैर्घ्य में बदलाव होता है. अगर रोशनी किसी धूल रहित पारदर्शी केमिकल कंपाउंड से गुजरती है तो उसका एक हिस्सा आने वाली रोशनी के रास्ते से थोड़ा बदल जाता है. विवर्तित रोशनी का अधिकतर हिस्सा तो उसी ऊर्जा के साथ रहता है लेकिन उसकी वेवलेंथ बदल जाती है. इसी शोध को रमन प्रभाव का नाम दिया गया है.
रोशनी में फोटोन होते हैं, जो किसी पदार्थ या कण से टकराते हैं. इस टक्कर के कारण फोटोन फैल जाते हैं, लेकिन उनकी ऊर्जा उतनी ही रहती है. कई बार ऐसा भी होता है कि कुछ फोटोन टक्कर के बाद कण से या तो ऊर्जा लेते हैं या फिर देते हैं. इससे उनकी फ्रीक्वेंसी या तो कम या ज्यादा हो सकती है. इस बदलाव के जरिए ही रोशनी के विवर्तन के दौरान पैदा हुई ऊर्जा को नापा जा सकता है.
चंद्रशेखर वेंकट रमन, भारत के भौतिकविज्ञानी थे. सात नवंबर 1888 को पैदा हुए रमन को प्रकाश के विवर्तन का पता लगाने के लिए 1930 में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उस समय के मैसूर स्टेट में पैदा होने वाले सीवी रमन को 1954 में भारत का सबसे बड़ा सम्मान भारत रत्न दिया गया.