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आर्थिक वृद्धि की खोज में जी20

२७ जून २०१०

जी-8 के सबसे समृद्ध देशों के बीच बातचीत के बाद अब जी-20 के शिखर सम्मेलन में सारे विश्व की अर्थनीति के लिए नए रास्ते की तलाश हो रही है, ताकि आर्थिक वृद्धि सुनिश्चित की जा सके. लेकिन खुलकर विरोधाभास सामने आ रहे हैं.

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मैर्केल - हम अपने रास्ते पर चलेंगेतस्वीर: AP

जी-8 की बैठक में समृद्ध देशों के बीच मतभेद खुलकर सामने आए. ख़ासकर जर्मनी, ब्रिटेन और जापान की आलोचना करते हुए अमेरिकी वित्तमंत्री टिमोथी गेथनर ने कहा कि इन देशों की ओर से अभी तक ऐसी नीतियां नहीं अपनाई गई हैं, जिनसे यह भरोसा पैदा हो सके कि घरेलू मांग में वृद्धि होने वाली है. उनकी राय में वे बहुत जल्द बजट में कमी के रास्ते पर जा रहे हैं.

शनिवार देर रात को जी-20 शिखर सम्मेलन शुरू हुआ और वहां भी अर्थजगत को प्रोत्साहित करने के लिए उठाए जाने वाले क़दम और बजट कमी दूर करने के बीच सामंजस्य के सवाल पर विवाद सामने आया. ब्राज़ील ने भी यूरोप की योजनाओं के ख़िलाफ़ चेतावनी दी. ब्राज़ील के वित्तमंत्री गीदो मांटेगा ने कहा कि विकसित देशों में कटौती कहीं ज़्यादा ख़तरनाक़ है, क्योंकि वृद्धि के बदले वे बचत पर ज़ोर दे रहे हैं, और अगर वे निर्यात करने वाले देश हैं, तो वे दूसरे देशों की क़ीमत पर सुधार कर रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने भी कहा कि विश्व की ग़रीब जनता की कीमत पर बजट संतुलन नहीं होना चाहिए. उन्होंने कृषि के क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की मांग की, ताकि पर्यावरण सम्मत रोज़गार बढ़ाया जा सके.

इसके विपरीत जर्मनी का मानना है कि सरकार समर्थित आर्थिक वृद्धि का दौर अब नहीं रह गया है. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल का कहना था, ''कुल मिलाकर ऐसा एक संयुक्त दृष्टिकोण भी सामने आ रहा है कि बड़े आर्थिक पैकेजों का दौर ख़त्म हो चुका है, और हमें इनके ख़ात्मे के रास्ते पर जाना है. इसकी गति के बारे में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन जर्मनी ने उस रास्ते को चुना है, जिसे वह सही समझता है.''

इस बीच जी-8 और जी-20 के ख़िलाफ़ भारी व किसी हद तक हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. पुलिस ने 500 प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार कर लिया है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उ भ

संपादन: ओ सिंह