इंग्लैंड ने पूरी दबंगई से एशेज जीती
७ जनवरी २०११सिडनी टेस्ट में इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया को पारी और 83 रन से हराया. पांचवें दिन ऑस्ट्रेलिया के पास तीन ही विकेट बचे थे जिनके लिए इंग्लैंड ने 17 ओवर से कुछ ही ज्यादा गेंदें फेंकीं. इंग्लैंड की टीम एशेज ट्रॉफी को तो पहले ही बचा चुकी थी लेकिन अब वह 3-1 से जानदार जीत के साथ वापस घर जाएगी.
जीत के जश्न में झूमते अंग्रेज कप्तान एंड्रयू स्ट्रॉस ने समारोह में कहा, "हम जब यहां आए थे तो जीत के लिए बेकरार थे. बेशक हम मेलबर्न में ही ट्रॉफी को बचाने में कामयाब हो गए लेकिन सिडनी में जीत के साथ हम सीरीज का धमाकेदार अंजाम चाहते थे."
स्ट्रॉस ने अपने खिलाड़ियों को श्रेय देने में कोई कंजूसी नहीं बरती. उन्होंने कहा, "पूरा श्रेय लड़कों को जाता है. वे शानदार रहे हैं. पहले ही दिन गेंदबाजों ने कमाल किया. उसके बाद बल्लेबाजों ने जोरदार खेल दिखाया और जीत हमारे पास चली आई. हम बेहद खुश हैं कि हमने यह कर दिखाया. इस शाम को तो हम पूरा मजा लेंगे."
ऐसा नहीं है कि यह ऑस्ट्रेलिया की सबसे बड़ी हार है लेकिन 130 साल के क्रिकेट इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब एक ही सीरीज में तीन बार कंगारू टीम पारी से हारी हो. यह निराशा रिकी पोंटिंग की जगह कप्तानी कर रहे माइकल क्लार्क के शब्दों और चेहरे पर साफ झलक रही थी. उन्होंने कहा, "सच कहूं तो ये दो महीने बड़े मुश्किल रहे. हम खेल के हर क्षेत्र में पिछड़ गए. इंग्लैंड ने हमें दिखा दिया कि अनुशासन से क्या किया जा सकता है."
1986-87 में माइक गेटिंग की कप्तानी में इंग्लैंड टीम ऑस्ट्रेलिया से एशेज जीतकर लौटी थी. अब एंड्र्यू स्ट्रॉस का नाम भी इतिहास में दर्ज हो गया है. लेकिन इस सीरीज के हीरो रहे एलेस्टेयर कुक. उन्हें पांचवें टेस्ट के लिए मैन ऑफ द मैच मिला. और मैन ऑफ द सीरीज के लिए कॉम्पटन-मिलर मेडल. कुक का प्रदर्शन अद्भुत रहा. उन्होंने सीरीज में 127.66 के औसत से कुल 766 रन बनाए.
लेकिन 26 साल के अंग्रेज ओपनर तो एशेज की जीत की खुशी में डूबे हुए हैं. उन्होंने कहा, "जिस पल क्रिस ट्रेमलेट ने आखिरी विकेट लिया, वह पल मेरी यादों में दर्ज हो गया. और यह हमेशा रहेगा. मेरे लिए यह सीरीज बहुत अच्छी रही. सात हफ्ते पहले तो मैं ऐसा सोच भी नहीं रहा था."
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ए जमाल