ऑस्ट्रेलिया से भारत की सिफारिश नहीं की: ओबामा
१६ नवम्बर २०११ऑस्ट्रेलिया की प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड ने इसी हफ्ते कहा है कि भारत के साथ संबंध मजबूत करने के लिए यूरेनियम की बिक्री पर विचार किया जा सकता है. उसके बाद इस तरह के अनुमान लगाए गए कि इसके पीछे अमेरिका का हाथ हो सकता है. लेकिन ओबामा ने जोर देकर कहा है कि अमेरिका का ऑस्ट्रेलिया के इस फैसले पर कोई प्रभाव नहीं है.
ऑस्ट्रेलिया जाने अपने रिश्ते
ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गए ओबामा ने पत्रकारों से कहा, "मुझे लगता है कि आपके यहां कुछ बहुत स्मार्ट अफसर हैं जिन्हें यह बात समझ में आ गई है कि भारत एक बड़ा खिलाड़ी है और ऑस्ट्रेलिया-भारत संबंधों को आगे बढ़ाया जाना चाहिए. इस बात को समझने में जूलिया या किसी और को मेरी सलाह की जरूरत हो, मुझे ऐसा नहीं लगता."
द ऑस्ट्रेलियन अखबार ने लिखा है कि ओबामा प्रशासन मानता है कि भारत को यूरेनियम न बेचने का ऑस्ट्रेलिया का फैसला अमेरिका और भारत के रिश्तों की राह में रोड़ा है. अखबार के मुताबिक अमेरिका मानता है कि भारत और अमेरिका के अच्छे रिश्तों में ऑस्ट्रेलिया की अहम भूमिका है.
ओबामा इतना तो मानते हैं कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच जो भी बातचीत हो रही है वह अंतरराष्ट्रीय कानून और परमाणु अप्रसार संधि के हिसाब से हो रही है. लेकिन ओबामा ने कहा कि आखिरकार तो भारत ऑस्ट्रेलिया का पड़ोसी है और यह उसका अपना मुद्दा है. उन्होंने कहा, "मैं पूरी दिलचस्पी से देखूंगा कि क्या होता है. लेकिन यह अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया का मामला नहीं है, यह भारत और ऑस्ट्रेलिया का मामला है."
क्या है मामला
ऑस्ट्रेलिया चीन, जापान, ताईवान और अमेरिका को यूरेनियम भेजता है, लेकिन भारत को उसने अभी तक शामिल नहीं किया है क्योंकि उसने परमाणु अप्रसार संधि पर दस्तखत नहीं किए हैं. ऑस्ट्रेलिया की लेबर पार्टी ने यह शर्त रखी है कि उसी देश को यूरेनियम बेचा जाएगा जो एनपीटी पर दस्तखत करेगा. प्रधानमंत्री गिलार्ड इस शर्त को बदलना चाहती हैं. वह पार्टी के सालाना सम्मेलन में यह प्रस्ताव पेश करेंगी. उन्होंने कहा कि अब ऐसा करने का वक्त आ गया है, ऐसा ऑस्ट्रेलिया की अर्थव्यवस्था और रोजगार के लिए अच्छा होगा.
ऑस्ट्रेलिया खुद एक परमाणु हथियार संपन्न देश नहीं है. लेकिन वह कजाकिस्तान और कनाडा के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा यूरेनियम उत्पादक है. वह हर साल 96,00 टन यूरेनियम का निर्यात करता है जिससे उसे 1.1 अरब अमेरिकी डॉलर की कमाई होती है. उसके पास दुनिया का सबसे बड़ा यूरेनियम भंडार है. वर्ल्ड न्यूक्लियर असोसिएशन के मुताबिक कुल यूरेनियम का 23 फीसदी हिस्सा उसके पास है.
रिपोर्टः एएफपी/वी कुमार
संपादनः एन रंजन