कहां गया वो मजेदार फेसबुक
४ अप्रैल २०१३पांच साल पहले फेसबुक से जुड़ी रेचेल फर्नांडेज का कहना है, "जब मैंने पहली बार फेसबुक देखा, तो मुझे लगा कि वाह क्या चीज है. लगा कि अगर आपके पास फेसबुक है, तो आप जमाने के लोगों के साथ चल सकते हैं."
लेकिन रेचेल की राय बदल चुकी है, "अब.. अब तो यह बोरिंग हो गया है." अमेरिका की प्रतिष्ठित पीऊ रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट कहती है कि फेसबुक इस्तेमाल करने वाले 61 फीसदी लोग साइट से ऊब चुके हैं और उन्हें यह "गॉसिप और ड्रामा" तो "बोर होने की जगह" लगने लगा है. सर्वे में शामिल कई लोगों ने तो कहा कि अब उनकी जिंदगी में फेसबुक के लिए ज्यादा समय नहीं है.
अगर वाकई ऐसा हुआ, तो दुनिया की नंबर एक इंटरनेट साइट को भारी राजस्व नुकसान झेलना पड़ेगा. कंपनी को 2011 में 3.7 अरब डॉलर का विज्ञापन मिला था, जो पिछले साल बढ़ कर 5.1 अरब डॉलर का हो गया. मार्क जुकरबर्ग की कंपनी इन्हीं विज्ञापनों के दम पर चल रही है. लेकिन अगर लोगों की संख्या कम होने लगी, तो विज्ञापन भी कम होने लगेंगे.
लेकिन फेसबुक छोड़ने वालों से कहीं ज्यादा संख्या इससे जुड़ने वालों की है. कंपनी का दावा है कि एक अरब से ज्यादा लोगों का फेसबुक अकाउंट है, जिनमें से 60 करोड़ से ज्यादा लोग हर रोज लॉग इन करते हैं.
रेचेल ने फेसबुक से नाता नहीं तोड़ा है, लेकिन अब वह वॉल पोस्ट पर ज्यादा ध्यान नहीं देती, जहां न्यूजफीड, वायरल पिक्चर और लोगों के शेयर किए गए घटिया चुटकुले छाए होते हैं. वह चुनिंदा लोगों से संपर्क करने और उन्हें मेसेज करने के लिए फेसबुक का प्रयोग करती है. उसके लिए फेसबुक वैसा ही है, जैसा दूसरों के लिए ईमेल या टेलीफोन. उसके लगभग 1800 फेसबुक फ्रेंड हैं और उसका कहना है कि उसकी जान पहचान के सभी लोग फेसबुक पर हैं, जिससे उनसे संपर्क करना आसान हो जाता है.
माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च में काम करने वाले डाना बोएड का कहना है, "हमने कभी भी ऐसा सामाजिक क्षेत्र नहीं देखा था, जो हर किसी के लिए काम कर सकता हो. लोग हर उस किसी से नहीं मिलना चाहते, जिनसे वे कभी मिले हों."
तो क्या फेसबुक ईमेल की जगह लेने वाला है. यह सवाल उन लोगों के लिए ज्यादा मायने रखता है, जिनके जेहन में ईमेल की शुरुआत और "यू हैव गॉट ए मेल" का दृश्य रहता हो. 35 साल के बोएड का कहना है कि उनके जीवन में ईमेल सबसे शानदार चीज रही.
हालांकि पिछले 20 साल में ईमेल को लेकर उतावलापन कम हुआ है लेकिन यह जीवन का अहम हिस्सा बन गया है. फेसबुक के साथ ऐसा होता नहीं दिख रहा है. बोएड का कहना है, "मुझे नहीं लगता कि किशोर उम्र के बच्चों के लिए यह एक महान साइट है."
हालांकि फेसबुक की कोशिश रही है कि उसकी साइट बोरिंग न बने. इसके लिए वह वक्त वक्त पर सर्वे भी करती रहती है. फेसबुक के प्रमुख इंजीनियर क्रिस स्ट्रूहर का कहना है, "आप जितनी चीजों को फेसबुक पर देखते हैं, उनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और ऐसे में हम यूजर को इस बात की संभावना देते हैं कि वह नियंत्रित कर ले कि उसे कितनी चीजें देखनी हैं."
फेसबुक का मानना है कि इसके साथ लोग उनकी साइट पर ज्यादा समय बिताएंगे, जिससे अंत में कंपनी को ज्यादा विज्ञापन हासिल हो सकेगा. न्यूयॉर्क के 59 साल के डेंटिस्ट पॉल फ्रीडमन का कहना है कि अब वह फेसबुक पर पहले से कम समय बिताते हैं, "लेकिन मैं यह नहीं कह सकता कि साइट कम मजेदार हो गया है या मुझे निजी तौर पर इसमें अब मजा नहीं आता."
चार साल से फेसबुक से जुड़े फ्रीडमन का कहना है, "शायद उस समय यह नया फोरम था और लोगों को अच्छा लग रहा था." वह अब भी फेसबुक देखना चाहते हैं कि क्या कोई दोस्त कोई कार्यक्रम तो नहीं आयोजित कर रहा है, "इसका निन्यानबे प्रतिशत हिस्सा बेकार होता है. अगर बचा हुआ एक फीसदी भी काम का नहीं होता, तो मैंने अपना अकाउंट बंद कर दिया होता."
रॉबर्ट वोरडेन की उम्र 62 साल है और फेसबुक पर उनके 1100 दोस्त हैं. सालों पहले वह बेटे से बिछुड़ गए थे और लगभग 25 साल बाद वह दोबारा अपने बेटे से मिल पाए, फेसबुक की मदद से. फेसबुक की ही मदद से उन्हें पता चला कि उनकी एक पोती है, जो गोद ली गई है. केंटकी में रहने वाले वोरडेन का कहना है कि अगर फेसबुक नहीं होता तो शायद वह अपने बेटे से कभी नहीं मिल पाते, पोती की तो बात ही छोड़िए.
सात साल पहले हार्वर्ड के छात्र मार्क जुकरबर्ग ने डोरमेट्री में इस साइट की शुरुआत की थी. कुछ दोस्तों के बीच शुरू हुई साइट अब दुनिया की सबसे बड़ी इंटरनेट साइट बन चुकी है. फेसबुक से पहले माइस्पेस और फ्रेंडस्टर ने भी कामयाबी हासिल की लेकिन वक्त के साथ वे मद्धिम पड़ गए. फेसबुक के सामने समय के साथ चमक बनाए रखने की है.
एजेए/एमजे (एपी)