किसानों के साथ दो मुद्दों पर सहमति: भारत सरकार
३० दिसम्बर २०२०भारत सरकार ने पहले उम्मीद जताई थी कि बुधवार को किसानों के साथ बातचीत निर्णायक होगी और सभी मुद्दों का हल निकाल लिया जाएगा. हालांकि ऐसा नहीं हो सका. सरकार दो मुद्दों पर बनी सहमति को अपनी सफलता जरूर बता रही है. छठे दौर की बातचीत के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने मीडिया को आज हुई बातचीत के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा, "4 जनवरी को दोपहर दो बजे बातचीत फिर शुरू होगी. किसान संगठनों को बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों से सर्दी को देखते हुए घर लौटने के लिए कहना चाहिए."
किसान नेता चौधरी हरपाल सिंह बेलरी ने कहा कि सरकार ने पराली और बिजली से जुड़ी दो मांगें मान ली हैं. सरकार इन दोनों से जुड़े प्रावधान वापस लेने को सहमत हो गई है. बाकी दो मांगें, कृषि कानून निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी की गारंटी पर 4 जनवरी को चर्चा होगी. बुधवार की बैठक में जिन चार मुद्दों पर चर्चा हुई, उनमें से दो मुद्दों का हल निकल गया है.
विवाद के चार मुद्दे
सरकार और विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के बीच चार मुद्दों पर चर्चा होनी थी. किसानों की मांग है: 1. तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए 2. एमएसपी को कानूनी जामा पहनाया जाए 3. एनसीआर में प्रदूषण रोकने के लिए बने कानून के तहत कार्रवाई के दायरे से किसानों को बाहर रखा जाए 4. विद्युत संशोधन विधेयक 2020 के मसौदे को वापस लिया जाए.
सरकार अब भी कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए तैयार नहीं है जबकि किसान उसे हर हाल में वापस कराना चाहते हैं. किसानों का कहना है कि नए कानूनों के आने के बाद से उत्तर प्रदेश में फसलों की कीमतें 50 फीसदी घट गई हैं. भारतीय किसान संघ के नेता राकेश टिकैत ने पत्रकारों से कहा, "फसल समर्थन मूल्य से कम कीमत पर बेची जा रही है. धान की कीमत 800 रूपये प्रति क्विंटल हो गई है."
हफ्तों से चल रहा है आंदोलन
दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर जमे किसानों का आंदोलन बीते कई हफ्तों से चल रहा है और सरकार की किसानों को मनाने की सारी कोशिशें अब तक नाकाम रही हैं. सरकार और किसानों के बीच छह दौर की बातचीत हो चुकी है. किसानों का आरोप है कि सरकार बड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए किसानों के हितों के साथ समझौता कर रही है.
किसान संगठनों का आरोप है कि नए कानूनों के लागू होने के बाद मंडियां खत्म हो जाएंगी और उनके पास अपनी फसल बेचने का कोई जरिया नहीं होगा सिवाय इसके कि वो औने पौने दामों पर समझौता कर लें. बुधवार की बैठक में 41 किसान संघों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया जबकि सरकार की तरफ से 3 मंत्री बातचीत में शामिल हुए.
रिपोर्ट: निखिल रंजन (आईएएनएस)
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