भारत और चीन का "साझा बयान"
२३ सितम्बर २०२०भारत के रक्षा मंत्रालय ने भी एक बयान में कहा कि दोनों पक्षों के बीच "जमीन पर बातचीत को और मजबूत करने" और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर "गलतफहमियों और गलत फैसलों से बचने" पर भी सहमति हुई. लेकिन बयान में सेनाओं के एक दूसरे के सामने से हटने पर बातचीत में सफलता का कोई जिक्र नहीं था.
सोमवार को कमांडरों के बीच बातचीत करीब 14 घंटों तक चली थी, लेकिन उसके बाद तुरंत कोई भी जानकारी नहीं दी गई थी. मंगलवार रात रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी किया जिसे उसने दोनों देशों का साझा बयान बताया. बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने माना है कि "आगे के स्थानों पर अब और सैनिक नहीं भेजे जाएंगे". बयान में यह भी कहा गया कि दोनों देश "जितनी जल्दी हो सके" सैन्य कमांडरों के स्तर पर सातवें दौर की वार्ता आयोजित करेंगे और "साथ मिल कर सीमावर्ती इलाके में शांति सुनिश्चित करेंगे."
बयान में यह भी कहा गया कि कमांडरों में "दोनों देशों के नेताओं के बीच हुई महत्वपूर्ण सहमति को ईमानदारी से लागू करने" पर भी सहमति हुई. सोमवार के वार्ता के दौर के लगभग दो सप्ताह पहले ही दोनों देशों के विदेश मंत्री मिले थे और उनके बीच समझौता हुआ था कि दोनों सेनाएं लद्दाख में एक दूसरे के सामने से हट जाएंगी, एक दूसरे से उचित दूरी बनाए रहेंगी और तनाव कम करेंगी. विदेश मंत्रियों ने सेनाओं के हटने की कोई समय सीमा नहीं तय की थी, और मंगलवार के बयान में भी किसी समय सीमा की चर्चा नहीं थी.
भारत में रक्षा मामलों के जानकार इस "साझा" बयान को शक की निगाहों से देख रहे हैं. पत्रकार और भारतीय सेना से सेवानिवृत्त सुशांत सिंह ने ट्विट्टर पर लिखा कि वार्ता के इसके पहले के पांच दौरों के बाद भारत ने इस तरह का कोई भी बयान इसलिए जारी नहीं किया था क्योंकि भारत इस तरह के बयानों के मसौदे से सहमत नहीं था. उन्होंने लिखा कि इस बयान से ऐसा लगता है कि भारत ने "नई यथास्थिति" को मान लिया है.
पत्रकार और सेना से सेवानिवृत्त अजय शुक्ला भी इस बात से सहमत हैं. उन्होंने लिखा है कि बयान में भारत की दो मुख्य मांगों का कोई जिक्र नहीं है -पहला, कि चीनी सैनिक अपने स्थानों से पीछे हट जाएं और दूसरा, अप्रैल से पहले की यथास्थिति बहाल हो. उन्होंने सूत्रों के हवाले से यह भी लिखा है कि पीएलए ने भारतीय सेना से कहा है कि चीनी सिपाही अपने स्थानों से पीछे हटने पर तभी विचार करेंगे जब भारतीय सैनिकी ऊंचाई पर उन स्थानों को छोड़ेंगे जिन पर उन्होंने 30 अगस्त को नियंत्रण जमा लिया था.
कुल मिलाकर इस नए बयान से भी सीमा पर तनाव के कम होने की कोई विशेष संभावना नजर नहीं आ रही है. देखना होगा कि आने वाले दिनों में राजनीतिक स्तर पर कोई और कदम उठाया जाता है या नहीं.
(एपी से जानकारी के साथ)
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