गूगल को चीन में हरी झंडी पर मतभेद बरकरार
१० जुलाई २०१०दुनिया के सबसे बड़े बाज़ार चीन में गूगल के भविष्य को लेकर बनी आशंका इस समझौते के साथ थोड़ी कम हुई है. चीन ने गूगल को अपना सर्च पेज गूगल.सीएन बनाए रखने के लिए लाइसेंस दे दिया है. सेंसरशिप के मुद्दे पर गूगल ने अपने सर्च इंजिन का रास्ता हॉंगकॉन्ग की ओर मोड़ दिया था. अब भी ये रास्ता है. लेकिन अब अगर चीन के इंटरनेट यूजर्स गूगल का अनसेंसर्ड पेज देखना चाहते हैं तो उन्हें हॉंगकॉंन्ग वाले पेज के लिए क्लिक करना होगा, ये अब ऑटोमेटिक नहीं है.
गूगल वेब सेंसरशिप के खिलाफ है, और चीन इसके पक्ष में. गूगल के शेयरधारक रायन जैकब कहते हैं, "ये गूगल के लिए अच्छा है कि उनकी मार्केट में मौजूदगी बनी हुई है, लेकिन उन्हें काफी समझौतावादी रुख अपनाना पड़ रहा है. गूगल शेयरों का भाव बढ़ने में दिक्कत होगी और हो सकता है कि समय के साथ उनका भाव गिर जाए."
जनवरी में गूगल ने चीन की सेंसरशिप नीति के खिलाफ आवाज़ उठाई थी, जिसके बाद चीन और अमेरिका के संबंधों में तनाव आ गया था.
जानकारों का कहना है कि हालांकि अमेरिका चीन के इस कदम का स्वागत करेगा लेकिन दोनों के बीच इंटरनेट नीति और हैंकिंग के मुद्दे पर गहरे मतभेद बने रह सकते हैं. एक सप्ताह पहले गूगल ने तय किया था कि वह अपने सर्च इंजिन को हॉंगकॉंग से नहीं चलाएगा. इसके बाद चीन ने गूगल को लाइसेंस दिया है.
अमेरिकी इंस्टिट्यूट ऑफ पीस के तकनीकी जानकार शेल्डन हिमेलफैर्ब का कहना है, "दोनों ने ही कुछ न कुछ छोड़ा है. ये एक बहुत अच्छा कूटनीतिक हल है." वहीं प्रिंसटन में सेंटर फॉर इन्फर्मेशन टेकनोलॉजी पॉलिसी में चीन मामलों की जानकार रेबेका मेक्किनन का मानना है, "ये एकदम चीनी हल है. उन्होंने कुछ नहीं बदला है बस तकनीकी तौर पर चीनी कानून में आ गए हैं. चीन जानता है कि इंटरनेट और मोबाइल उसके लिए फायदेमंद है. वे गूगल को वहां चाहते हैं."
हालांकि अब भी सूचना और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर दोनों देशों के विचार बिलकुल अलग हैं और यहीं मतभेद साइबर सुरक्षा, हैकिंग के मामले में भी हैं.
रिपोर्टः रॉयटर्स/आभा एम
संपादनः एन रंजन