गैंग रेप या यौन उत्पीड़न?
२७ अप्रैल २०१८बलात्कार जैसे मामले सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य देशों में भी लोगों को सड़कों पर निकलने के लिए मजबूर कर रहे हैं. यूरोप में बलात्कार का ताजा मामला स्पेन से जु़ड़ा है. साल 2016 में यहां गैंग रेप का एक मामला सामने आया था. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पांच युवको को यौन उत्पीड़न का दोषी पाया और गैंग रेप का आरोप खारिज कर दिया. आम लोग इस फैसले को सही नहीं मान रहे और इसके विरोध में सड़कों पर उतर आए. अदालत ने दोषियों को नौ साल की सजा सुनाई हैं जबकि अभियोजन पक्ष ने गैंग रेप के लिए 20 साल कैद की मांग की थी. स्थानीय मीडिया के मुताबिक अभियुक्तों ने पूरी घटना को मोबाइल फोन से रिकॉर्ड कर व्हाट्सऐप पर शेयर किया था. सरकार अब रेप कानून में संशोधन पर विचार कर रही है.
रोमानिया के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री से मांगा इस्तीफा
रोमानिया के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच वैचारिक मतभेद सामने आए. देश के राष्ट्रपति क्लाउस योहानिस ने देश की प्रधानमंत्री वियोरिका डेंसिला से इस्तीफे की मांग की है. राष्ट्रपति ने अपने बयान में कहा, "डेंसिला देश के प्रधानमंत्री पद के लिए फिट नहीं है और वह रोमानिया के लिए बोझ बनती जा रहीं हैं. इसलिए मैं सरेआम उनसे इस्तीफा मांगता हूं." जानकार इसे येरुशलम से जोड़ कर देख रहे हैं. हाल में खबर आई थी कि रोमानिया इस्राएल में स्थित अपना दूतावास येरुशलम ले जाएगा. लेकिन इस मसले पर राष्ट्रपति से कोई चर्चा नहीं की गई जिसके चलते ये विवाद पैदा हुआ. रोमानिया में विदेश नीति के मामले में अंतिम निर्णय लेने का अधिकार देश के राष्ट्रपति के पास है.
अर्मेनिया में प्रधानमंत्री ने पद छोड़ा, लेकिन विरोध जारी
रूस के करीबी माने जाने वाले अर्मेनिया में पिछले दो हफ्तों से सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहा था. हजारों प्रदर्शनकारी देश के सत्तासीन दल के नेता और राष्ट्रपति से प्रधानमंत्री बने सर्ज सर्कस्यान से पद छोड़ने की मांग कर रहे थे. आखिरकार सर्कस्यान ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. सर्ज सर्कस्यान ने लगभग एक दशक तक अर्मेनिया का राष्ट्रपति पद भी संभाला है. लेकिन भ्रष्टाचार और सत्ता के निकट रहकर कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के आरोप उन पर लगते रहे हैं. जिसके बाद उन्होंने आश्वासन दिया था कि वह प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल नहीं होंगे. लेकिन वह अपने वादे पर कायम नहीं रहे और प्रधानमंत्री बन गए. अर्मेनिया में पहले राष्ट्रपति शासन व्यवस्था थी, जिसे हाल में हीं संसदीय व्यवस्था में बदला गया है. प्रदर्शनकारियों का गुस्सा सर्कस्यान के इस्तीफे के बाद भी नहीं थमा है. प्रदर्शनकारी सत्ता परिवर्तन की मांग कर रहे हैं. वहीं सर्कस्यान के बाद देश के कार्यकारी प्रधानमंत्री बने कारिन कारापेटयान ने विपक्ष के नेता निकोल पाशिन्यान से वार्ता का प्रस्ताव खारिज कर दिया है.
नेपाल के पूर्व राजा के नाम पर स्विट्जरलैंड में शराब
अलग-अलग महाद्वीपों और एक दूसरे से हजारों किलोमीटर दूर बसे नेपाल और स्विट्जरलैंड के बीच अब विवाद पैदा हो गया है. विवाद का मुद्दा है शराब. स्विट्जरलैंड में नेपाल के पूर्व राजा बीरेंद्र के नाम वाली बियर बिक रही है. दरअसल इस बियर में एक नेपाली मसाला शामिल है जिसके चलते ब्रुअरी मालिक ने इसे कोई नेपाली नाम देना तय किया. और, आखिर में नाम दिया बीरेंद्र. नेपाल में राजशाही लगभग एक दशक पहले समाप्त हो चुकी है लेकिन अब भी 1972 से 2000 तक नेपाल के राजा रहे बीरेंद्र का नाम देश में काफी सम्मान से लिया जाता है.
पोलैंड में विकलांग बच्चों के मां-बाप मांग रहे मदद
पिछले एक हफ्ते से पोलैंड की संसद का निचला सदन विकलांग बच्चों के मां-बाप से भरा हुआ है. ये मां-बाप सरकार से बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए अधिक मदद की मांग कर रहे हैं. फिलहाल सरकार मदद तो करती है लेकिन मां-बाप के मुताबिक यह काफी कम है. अभिभावक सरकार का आश्वासन मिले बिना संसद से जाने को तैयार नहीं है.
पोलैंड के मौजूदा कानून के मुताबिक जो अभिभावक अपने विकलांग बच्चे की देखभाल के चलते कोई काम नहीं करता उसे मदद के तौर पर प्रशासन से हर महीने 350 यूरो मिलते हैं. लेकिन यह पैसा उन्हें तभी मिलता है अगर उनकी कमाई का कोई अन्य जरिया नहीं होता. अगर उनके पास आय का कोई और स्रोत होता है तो वह पैसे उन्हें नहीं मिलते. मतलब ये कि अभिभावक कोई पार्ट-टाइम काम नहीं कर सकते. जिसके चलते अब ये अधिक मदद की मांग कर रहे हैं.