ग्रीस के कर्ज संकट की कहानी
ग्रीस की चरमराई अर्थव्यवस्था और मोटे कर्ज ने उसे हाशिए पर ला खड़ा किया था. अब जाकर ग्रीस बेल आउट पैकेज से आजाद हुआ है और नया सवेरा होने की उम्मीद की जा रही है.
ग्रीस के आर्थिक संकट की शुरुआत
2009 में ग्रीस के तत्कालीन प्रधानमंत्री जॉर्ज पापान्द्रेउ ने जब बताया कि बजट का घाटा 12 फीसदी हो गया है तो तहलका मच गया. बाद में यह आंकड़ा 15 फीसदी तक पहुंचा. इसके बाद क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने ग्रीस की साख को कम ग्रेड दिए जिससे आर्थिक सहायता मिलना और कम हो गया.
टैक्स बढ़ाए जाने का विरोध
2010 में यूरोपीय संघ और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष बेल आउट पैकेज देने को राजी हुए. लेकिन इसके बाद ही बजट घाटे को कम करने के लिए कड़े कदम उठाए गए जिसे ग्रीसवासियों ने पसंद नहीं किया. सार्वजनिक क्षेत्र के खर्चों में कटौती और टैक्स बढ़ाए जाने से लोगों में नाराजगी दिखी. 2011 में जनविरोध व्यापक स्तर पर फैला और कई वर्षों तक जारी रहा.
बेल आउट पैकेज बना चुनावी मुद्दा
2012 में बढ़ती गरीबी और बेरोजगारी के बाद ग्रीसवासियों ने ऐसे दलों को वोट दिया जो बेल आउट पैकेज का विरोध कर रही थीं. नतीजा पहले चुनाव में किसी को बहुमत नहीं मिला. दूसरी बार हुए चुनाव में सेंटर-राइट पार्टी न्यू डेमोक्रेसी को वोट मिले जो ईयू और आईएमएफ के बेल आउट पैकेज के समर्थन में थी.
बेल आउट पैकेज को नकारा
2015 में ग्रीसवासियों ने वामपंथी सिरिजा पार्टी को वोट दिया जिसके बाद यूरोपीय संघ से ठन गई. तत्कालीन प्रधानमंत्री अलेक्सिस सिप्रास ने जनमत संग्रह कराने का फैसला किया जिसमें लोगों से बेल आउट पैकेज के मिलने या न मिलने पर वोटिंग कराई गई. 61 फीसदी लोगों ने बेल आउट पैकेज को खारिज कर दिया.
फिर मिला नया बेल आउट
बेल आउट पर हुए जनमत संग्रह के बाद यूरोपीय संघ के नियमों को जनता ने खारिज कर दिया. तत्कालीन वित्त मंत्री यानिस वारूफाकिस की कुर्सी छिनी और उसके बाद सिप्रास सरकार ने नए सिरे से समझौतों पर दस्तखत किए. इससे ग्रीस ने खुद को यूरोजोन से बाहर निकलने से बचा लिया और 80.6 करोड़ यूरो का नया बेल आउट प्रोग्राम शुरू हुआ.
कर्ज चुकाने की ओर बढ़े
2015 में बने नए बेल आउट प्रोग्राम के तहत ग्रीस ने नए आर्थिक सुधारों को अपनाया जिसके बाद निजीकरण की शुरुआत हुई. दो वर्षों बाद आईएमएफ ने ब्रसेल्स को बेल आउट प्रोग्राम में कुछ ढिलाई बरतने को कहा. सिप्राम सरकार ने टैक्स और पेंशन योजनाओं का विस्तार शुरू किया जिससे ग्रीस अपने कर्जों को चुका सके.
खत्म हुआ कर्ज का दौर
आखिरकार अगस्त 2018 में ग्रीस बेल आउट प्रोग्राम से आजाद हो गया. यूरोपीय संघ के अधिकारियों ने इसे नए अध्याय की शुरुआत कहा और आगे भी ग्रीस के लिए और उसके साथ काम करते रहने का आश्वासन दिया. लेकिन बेरोजगारी दर और गरीबी को देखते हुए ग्रीस के भविष्य पर सवालिया निशान भी लगा हुआ है.