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चीन ने विवादित जल में टोही जहाज भेजे

१४ सितम्बर २०१२

जापान और चीन के बीच विवाद का कारण बने द्वीप के इलाके में चीन ने छह टोही जहाज भेज दिए हैं. यह द्वीप चीन सागर के पूर्वी हिस्से में है. जापान का कहना है कि उसने यह द्वीप खरीदा है और चीन इस पर अपना हक बताता है.

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तस्वीर: AP

2010 के बाद दक्षिण पूर्व एशिया के दोनों देशों के बीच जलसीमा पर हुआ विवाद गहरा गया है. जापान ने टोही नौकाएं भेजने की चीन की कार्रवाई का विरोध करते हुए मांग की है कि वह स्थिति को बिगड़ने न दें.

चीन और जापान के आर्थिक संबंध भी बहुत गहरे हैं. कूटनीतिज्ञों का मानना है कि टोक्यो और बीजिंग इस विवाद को हद से बाहर नहीं जाने देंगे. हालांकि चीन में होने वाले नेतृत्व परिवर्तन और जापान के चुनावों की हलचल के बीच इस विवाद को काबू करना मुश्किल भी हो सकता है. होनोलुलू पैसिफिक फोरम सीएसआईएस के कार्यकारी निदेशक ब्रैड ग्लोसरमन कहते हैं, "हालात को गलत आंके जाने का खतरा सच्चा है."

चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि जहाज विवादित जल सीमा में समुद्री निगरानी के लिए भेजे गए हैं. चीन सरकार के अनुसार पहली बार चीन अपने सामुद्रिक अधिकारों को कानूनन लागू करने के अभियान पर है. "यह दियाओयू द्वीप पर हमारी सरकार के अधिकार की झलक दिखाती है." पहले भी मंत्रालय ने इसी तरह की भाषा का इस्तेमाल किया था.

जापान में इस द्वीप को सेनकाकू को कहा जाता है जबकि चीन में उसे दियाओयू कहा जाता है. यह इलाका प्राकृतिक गैस संपदा से भरपूर माना जाता है. जापानी तटरक्षकों ने बताया कि उन्होंने चीनी जहाजों को इलाके से जाने को कहा. इस बीच सभी जहाज इलाका छोड़ कर चले गए हैं. तटरक्षकों ने कहा कि जहाजों को यहां से हटाने के लिए किसी भी तरह की जोर जबरदस्ती नहीं की गई.

कड़ा विरोध

जापान के विदेश मंत्री कोइचिरो गेम्बा ने सिडनी में संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, "हमने इसका कड़ा विरोध किया है. चीन को सेनकाकू द्वीप की सीमा से जहाज हटा लेने चाहिए." चीन के विदेश मंत्री ने ऑस्ट्रेलिया के विदेश और रक्षा मंत्री से बातचीत के बाद कहा. "मैं खास तौर पर कहना चाहता हूं कि हम स्थिति को बिगड़ने नहीं देंगे. हमें पूरी उम्मीद है कि चीन सही तरीके से और शांति से व्यवहार करेगा."

चीन के राजदूत चेन योंगहुआ को जापान के विदेश मंत्रालय में इस मुद्दे पर तलब किया गया. उन्होंने चीन का पक्ष रखा और कहा कि चीन भी स्थिति को हाथ से नहीं जाने देगा, न ही सीमा समझौते को नुकसान पहुंचाएगा.

Naha Okinawa Japan weist festgenommene chinesische Aktivisten aus
पिछले महीने द्वीप पर आए चीनी प्रदर्शकारियों को वापिस भेजातस्वीर: Reuters

2010 में यह निर्जन द्वीप चीन और जापान के बीच भारी तनाव का कारण बना था. तब जापान ने चीन के मछलीमार जहाज के कप्तान को पकड़ लिया था क्योंकि द्वीप के पास उसका जहाज जापानी तट रक्षकों के जहाज से टकरा गया था.

चीन और जापान के बीच कड़वाहट का बड़ा कारण 1930 के दशक का हमला है. गुरुवार को चीन ने जापान को चेताया कि अगर द्वीप के मुद्दे पर तनाव और बढ़ता है तो इससे आर्थिक संबंधों पर असर पड़ सकता है. निसान मोटर कंपनी के मुताबिक इस तनाव के कारण व्यापार पर असर पड़ ही रहा है. पिछले महीने विवाद और गहराया जब जापान ने द्वीप पर विरोध प्रदर्शन के लिए उतरे चीनी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया. यहां जापानी भी पहुंचे थे. इसके बाद चीन के कई शहरों में जापान विरोधी प्रदर्शन हुए.

शंघाई में जापानी कंसुलेट ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि इस विवाद में चार जापानी नागरिक घायल हुए हैं. उन्होंने बढ़ते तनाव के मद्देनजर चीन में रहने वाले जापानी लोगों को सावधान रहने की सलाह दी.

द्वीप खरीदा

वॉशिंगटन के थिंक टैंक ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूट में चीन की राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ चेंग ली का कहना है, "हम सैन्य कार्रवाई की आशंका पूरी तरह नकार नहीं सकते. तनाव सच में है. चीन की सरकार को कोने में बिठा दिया गया है, उन्हें कड़े शब्द कहने ही होंगे. चीन के नेता कड़ा बोलते हैं और सावधानी से कार्रवाई करते हैं लेकिन कई बार हालात नियंत्रण से बाहर होते हैं." चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने कहा है कि चीन ने संयुक्त राष्ट्र में द्वीप की मिल्कियत के बारे में कागजात जमा किए हैं. इन चार्ट में बेस लाइन और प्वाइंट दिखाए गए हैं जो द्वीप और इससे जुड़े इलाके में चीन की मिल्कियत का संकेत देते हैं.

वहीं जापान का कहना के उसने इस द्वीप समूह के पांच में से तीन द्वीप दो करोड़ साठ लाख डॉलर में खरीदे हैं.

एएम/एमजे (डीपीए, रॉयटर्स)