चीन भेजी जा रही दुर्लभ छिपकलियां पकड़ी गई
१६ जनवरी २०१०हांग कांग में प्राणी संरक्षण अधिकारियों ने जब एक मलेशिया की स्पीटबोट को रोका तो उसमें कई छोटे बक्से और उनके अंदर छटपटाती छिपकलियां दिखाई पड़ी. जांच में पता चला कि लुप्त होती इन छिपकलियों को लोगों के खाने के लिए चीन भेजा जा रहा था. इनमें से कई छिपकलियां लगभग डेढ़ मीटर लंबी हैं.
आस पास के देशों से चीन में वन्य जीवों की तस्करी कोई नई बात नहीं है. इस बार भी यही हुआ. शक होने पर मलेशियाई अधिकारियों ने अपनी समुद्री सीमा से ही इस स्पीडबोट का पीछा किया और हांग कांग में इसे पकड़ लिया. नाव पर 629 छिपकलियां मिली.
दो लोगों को ग़िरफ़्तार किया गया है. उन्होंने पुलिस को बताया कि चीन में एक छिपकली को 80 हज़ार अमेरिकी डॉलर तक में बेचा जाता है और नामी होटल और रेस्तरां ख़ास पकवान बनाने के लिए ख़रीदते हैं. इस मामले के सामने आने के बाद वन्यजीव संरक्षण से जुड़े लोग और पर्यावरण प्रेमी ख़ासे नाराज़ हैं.
चीन पर पहले भी आरोप लगते रहे हैं कि वह वन्यजीवों की तस्करी रोकने के लिए कड़े कदम नहीं उठाता है. वन्यजीव संरक्षण से जुड़े कई लोग तो यह भी कहते हैं कि चीन की वजह से ही भारत में बाघ ख़त्म हो रहे हैं. चीन के बाज़ारों में बाघ के हर अंग से पारंपरिक दवाइयां बनाई जाती हैं, वो भी एक ऐसे दौर में जब विज्ञान चांद तारों तक पहुंच गया है. यह एक ओर इन दिनों जहां संयुक्त राष्ट्र दुनिया भर में दुर्लभ प्रजातियों को बचाने की अपील कर रहा है, वहीं समस्या सबूतों के साथ सामने आ रही है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एम गोपालकृष्णन
संपादन: ओ सिंह