गैस की कमी के डर से लकड़ी जमा करने लगे लोग
२७ जुलाई २०२२गैस का विकल्प ढूंढने में जुटे जर्मनी के लोग बड़ी तेजी से लकड़ी की ओर मुड़ रहे हैं. लकड़ी से जलने वाले स्टोव पर सरकार सब्सिडी भी देती है लेकिन विशेषज्ञ स्वास्थ्य पर इसके बुरे नतीजों के बारे में लोगों को आगाह कर रहे हैं. कहां से ला रहे हैं जर्मनी के लोग लकड़ी.
क्रिश्टियान रोएसगेन के फोन बंद करने के बाद ही उनकी आरा मशीन शांत होती है. पश्चिमी जर्मनी में बॉन शहर के पास एक छोटे से टाउन में आरा मशीन के मालिक रोएसगेन हेडसेट हटा कर जर्मनी में लकड़ियों की चल रही जमाखोरी से जुड़ी कहानियां सुनाते हैं. यूक्रेन में चल रही लड़ाई की वजह से यूरोप में ऊर्जा संकट गंभीर हो रहा है. रोएसगेन का एक ग्राहक तो अपना बिल्कुल नया गैस हीटर बदल कर लकड़ी का स्टोव ले गया ताकि उसे गैस पर निर्भर ना रहना पड़े.
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रोएसगेन के लकड़ी के बुरादों की गोलियां सप्लाई करने वाले प्लांट में गोलियां नहीं हैं. लकड़ी के बुरादों को जमा कर बनाई जाने वाली ये गोलियां गर्म रहते ही ट्रकों में डिलीवरी के लिए रख दी जा रही हैं. इनकी भारी मांग है. पिछले हफ्ते जर्मनी में इस साल का सबसे गर्म दिन रिकॉर्ड किया गया, तब तापमान 40 डिग्री को छू गया. ऐसी गर्मी के मौसम में भी जर्मन लोगों को सर्दी की चिंता सता रही है.
लकड़ी उद्योग पर दबाव
जर्मनी के लगभग आधे घरों को गैस की मदद से गर्म रखा जाता है. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से ही ईंधन की सप्लाई का कोई भरोसा नहीं है. कीमतें आसमान छू रही हैं और नॉर्ड स्ट्रीम 1 पाइपलाइन से सप्लाई में कटौती का मामला अब भी उलझा हुआ है.
गुंटर मॉयरर लकड़ी से चलने वाला स्टोव बनाते हैं. उनके ग्राहक उनसे कह रहे हैं कि वो सर्दियों में जमना नहीं चाहते. लकड़ी जलाने वाले स्टोव की मांग पिछले साल की तुलना में दोगुनी हो गई है और मॉयरर उसे पूरा करने के लिए जूझ रहे हैं. नये ग्राहक उन्हें फोन करते हैं और वो उन्हें सर्दियों तक इंतजार करने के लिए कहते हैं. स्टोव बनाने वाली कुछ कंपनियां तो अगली गर्मियों तक ही डिलीवरी देने के ऑर्डर ले रही हैं.
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जर्मनी में चिमनी साफ करने वालों के एसोसिएशन की प्रमुख अलेक्सिस गुला का कहना है कि मांग 30-40 फीसदी तक बढ़ गई है. श्टुटगार्ट शहर के पास रहने वाले उनके ग्राहक बताते हैं कि वो गर्मी के लिए लकड़ियों की तरफ क्यों जा रहे हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "एक-दो साल पहले तक वो आरामदेह और कुछ अतिरिक्त गर्मी चाहते थे, आज वो ऊर्जा की सप्लाई सुनिश्चित करना चाहते हैं."
जर्मन लोगों ने ऊर्जा आपूर्ति की सुरक्षा के बारे में बात करने के लिए एक खास शब्द रचा है- फरजॉरगुंग्सजिसरहाइट- इसका मतलब है पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति की गारंटी. महामारी के दौर में जरूरी चीज़ों की आपूर्ति के बाधित होने की आशंका टॉयलेट पेपर या नूडल्स को लेकर थी, अब यह गैस और लकड़ी को लेकर है.
जर्मनी के फायरवुड एसोसिएशन का आकलन है कि यहां जलाई जाने वाली लकड़ी का 80 फीसदी हिस्सा घरेलू सप्लाई से पूरा होता है. चूल्हे में जलाने के लिए लकड़ी की गोलियां निर्माण उद्योग के कचरे से पैदा की जाती हैं. जर्मनी में निर्माण उद्योग फिलहाल काफी उफान पर है.
संघीय नेटवर्क एजेंसी के प्रमुख क्लाउस मुइलर का कहना है कि गैस की कीमत 2023 तक तिगुनी हो सकती है. इस लिहाज से देखें तो लकड़ी से घर को गर्म करना काफी सस्ता होगा. हालांकि पिछले साल की तुलना में प्रति किलोवाट घंटे के हिसाब से देखें तो लकड़ी की कीमत काफी ज्यादा बढ़ी है क्योंकि इसकी मांग भी बीते कुछ समय से काफी ज्यादा है.
सब्सिडी ने बढ़ाई लकड़ी की मांग
जलवायु संकट को कम करने के लिए जर्मन सरकार घर मालिकों को मकान की मरम्मत करने में मदद कर रही है ताकि वो अपने घरों को ऊर्जा के लिहाज से ज्यादा कुशल बना सकें. सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी, ग्रीन पार्टी और उदारवादियों ने चुनाव अभियान के दौरान 2021 में यह शपथ दोहराई थी कि वो ऊर्जा के लिहाज से कुशल इमारतों को सब्सिडी देंगे. तेल से चलने वाले हीटिंग सिस्टम की जगह बायोमास का इस्तेमाल करने वाले सिस्टम बदलने के खर्च का करीब 45 फीसदी हिस्सा सरकार से ले सकते हैं.
बायोमास में लकड़ी की गोलियां भी शामिल हैं. इस साल की शुरुआत में इस योजना के अंतर्गत करीब 60 हजार आवेदन आये हैं. नया हीटिंग सिस्टम बनाने के पीछे एक कारण यह भी है कि 2024 से उत्सर्जन के नये नियम लागू होंगे और ऐसे में बहुत से फायरप्लेस को बदलना पड़ेगा.
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लकड़ी जलाने में सेहत को खतरा
लकड़ी के जलने से बहुत ज्यादा पार्टिकुलेट मैटर का उत्सर्जन होता है. संघीय पर्यावरण एजेंसी का कहना है कि बायोमास का इस्तेमाल हीटिंग के लिए बिल्कुल नहीं होना चाहिए. एजेंसी से जुड़े मार्सेल लांगनर ने बताया, "लकड़ी वाले हीटर गैस हीटरों की तुलना में 1000 गुना ज्यादा पार्टिकुलेट मैटर उत्सर्जित करते हैं." जर्मनी में सूक्ष्म कणों के कुल प्रदूषण का करीब 20 फीसदी निजी घरों में लकड़ी के हीटिंग में इस्तेमाल के कारण होता है. हालांकि देश भर में अब फायरप्लेस वाले हीटिंग सिस्टम बहुत कम ही घरों में हैं.
ये सूक्ष्म कण सांस के जरिये हमारे शरीर में जाते हैं और कई तरह की बीमारियों को जन्म देते हैं. लांगनर ने बताया कि खासतौर से सांस और दिल की बीमारियों का सबसे ज्यादा खतरा है. एक बार हवा में मिल जाने के बाद इन सूक्ष्म कणों का रासायनिक विकास भी होता है और ये जहां पैदा हुए हैं उससे बहुत दूर के वातावरण में भी वायु प्रदूषण पैदा कर सकते हैं. हालांकि नई तकनीक इस प्रदूषण को थोड़ा कम कर सकती है.
स्मार्ट डिजाइन से लकड़ी की समस्या घटेगी
अगर आग जलाने और धुएं को बाहर निकालने का काम सही तरीके से ना हो तो इससे और ज्यादा प्रदूषक जमा होते हैं. फर्नेस बनाने वाले मॉयरर का कहना है, "मैं ऑटोमैटिक कंट्रोल के जरिये मानवीय भूलों को दूर कर सकता हूं लेकिन फिर भी उत्सर्जन तो होगा." इसे घटाने के लिए ग्राहकों को एक खास फिल्टर लगाना होगा. मार्सेल लांगनर केंद्रीकृत समाधानों की बात करते हैं. डिस्ट्रिक्ट हीटिंग प्लांट ऊर्जा को आसानी से और ज्यादा कुशलता से परिवर्तित कर सकते हैं, साथ ही धूल को फिल्टर भी. व्यावहारिक रूप से हालांकि इस तरह के समाधान अकसर बहुत कम होते हैं.
इधर आरा मशीन में क्रिश्टियान रोएसगेन के पास खराब योजनाओं के बारे में लोगों को बताने के लिए बहुत सी कहानियां हैं. एक नया हाउसिंग डेवलप हो रहा है जिसमें उन्हें अपना ट्रक लेकर हर घर तक जाना पड़ता है क्योंकि किसी ने केंद्रीकृत समाधान के बारे में नहीं सोचा. कई बार तो गोलियों को पंप करने वाली ट्यूब बहुत छोटी खिड़कियों, नाजुक फर्श और बाथरुम से भी गुजारनी पड़ती है.
लकड़ी की अंधाधुंध खरीदारी को रोकने के लिए रोएसगेन ने हाल ही में इसका कोटा तय कर दिया. अब ग्राहक एक बार में लकड़ी के केवल तीन बॉक्स ही खरीद सकते हैं.