1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जर्मन अर्थव्यवस्था में बेहतरी की उम्मीद

७ अगस्त २००९

जर्मनी की अर्थव्यवस्था में उम्मीद फिर से वापस लौटने लगी है. अगले सप्ताह पता चलेगा कि इस समय यह उम्मीद उचित है या नहीं, क्योंकि गुरुवार को दूसरी तिमाही के आर्थिक आंकड़े आएंगे.

https://p.dw.com/p/J5sU
बेहतरी की उम्मीदतस्वीर: dpa/PA

ऐसा लग रहा है कि ये आंकड़े छह महीने पहले के आंकड़ों से बेहतर होंगे. बीमा कंपनियां फिर से पटरी पर आ रही हैं. 180 अरब डॉलर की सरकारी मदद से बचाई गई अमेरिकी कंपनी एआईजी ने दो साल में पहली बार मुनाफ़ा दिखाया है. दूसरी तिमाही में उसका मुनाफ़ा 1.3 अरब यूरो रहा है. तो यूरोप की सबसे बड़ी बीमा कंपनी जर्मनी की अलियांस की हालत भी बेहतर हुई है. वैश्विक वित्तीय संकट के बोझ और बेच डाले गए उपक्रम ड्रेसडेनर बैंक के घाटे की मुश्किलों के बाद अलियांस ने साल भर बाद पहली बार फिर एक अरब यूरो का मुनाफ़ा कमाया है. दूसरी तिमाही में उसका मुनाफ़ा 1.87 अरब यूरो रहा. इस मुनाफ़े की मुख्य वजह बीमा का कारोबार नहीं है बल्कि शेयर बाज़ार में आ रही तेज़ी और ड्रेसडेनर की बिक्री के बाद मिली राहत. ड्रेसडेनर को पिछले साल 2.4 अरब का घाटा हुआ था.

Allianz Firmenzentrale München
अलियंस को मुनाफ़ातस्वीर: dpa

जर्मनी में अगले सप्ताह जारी होने वाले तिमाही आर्थिक आंकड़ों से पहले विश्लेषक सिर्फ़ 0.3 प्रतिशत की मंदी की उम्मीद कर रहे हैं. साल के आरंभ में आर्थिक उत्पादन में 3.8 प्रतिशत की कमी आई थी. सिटी ग्रुप के आर्थिक विश्लेषक युर्गेन मिषेल्स का कहना है वसंत तक मंदी समाप्त हो जाएगी. यूनीक्रेडिट के आन्द्रेयास रीस तो अगले साल दो प्रतिशत तक की विकास दर को संभव मानते हैं.

इस उम्मीद की वजह जर्मन कंपनियों को मिल रहे ऑर्डर हैं. जून में इनमें अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. विश्व व्यापार में भी फिर से तेज़ी आ रही है, जिसका लाभ जर्मनी को मिलेगा जो निर्यात चैंपियन है. जून में जर्मनी से होने वाले निर्यात में जिस तरह से 7 प्रतिशत की तेज़ी आई है वह पिछले तीन साल में नहीं देखी गई है. एक ओर शुरुआती झटका समाप्त हो गया है तो दूसरी ओर अर्थव्यवस्था में सरकारी मदद ने स्थिति को बदलने में योगदान दिया है.

इसका लाभ अभी तक उत्पादन क्षेत्र को नहीं मिला है. ताज़ा आंकड़ों के अनुसार दूसरी तिमाही में उत्पादन में 0.9 प्रतिशत की कमी आई, क्योंकि अप्रैल में हालत बहुत ख़राब थी. मई से स्थिति बेहतर होनी शुरू हुई है. उपभोक्ता मालों की बिक्री में भी स्थिति सुधरी है. ढाई हज़ार यूरो के सरकारी अनुदान के कारण लोगों ने बड़ी संख्या में कारें ख़रीदीं. हालांकि कार्यस्थानों की समाप्ति की प्रक्रिया रुक गई है लेकिन श्रम बाज़ार की स्थिति चिंता का कारण है. सरकारी प्रोत्साहन पैकेज़ समाप्त हो रहा है और बेरोज़गारी संख्या में वृद्धि की आशंका बनी हुई है.

रिपोर्ट- महेश झा

संपादन- सचिन गौड़