जर्मन लोगों की चिंता, रिटायरमेंट के बाद क्या होगा
२ जनवरी २०१९ऊर्जा के बढ़ते दाम और घटती ब्याज दरों को इस चिंता की वजह बताया जा रहा है. अर्न्स्ट एंड यंग कंसल्टिंग कंपनी ने यह अध्ययन कराया है, जिसके नतीजे जर्मन अखबार 'डी वेल्ट' ने अपनी एक रिपोर्ट में प्रकाशित किए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक आधे से ज्यादा जर्मन वृद्धावस्था में वित्तीय असुरक्षा को लेकर चिंतित हैं.
जर्मनी में बूढ़े लोगों की तादाद बढ़ रही है जिससे पेंशन सिस्टम पर दबाव है. इसके अलावा रहन सहन पर खर्च बढ़ रहा है जबकि ब्याज दरें कम हैं. अस्थायी और कम वेतन वाले रोजगारों के अवसर बढ़ रहे हैं. लेकिन इसका मतलब है कि बहुत लोगों के पास रिटायरमेंट के बाद कोई वित्तीय सुरक्षा ही नहीं होगी.
स्टडी रिपोर्ट के एक लेखक बैर्नहार्ड लोरेंत्स कहते हैं, "बहुत से जर्मन लोग नहीं समझते हैं कि उनकी पेंशन सुरक्षा है. राजनेताओं को इस तरह की चिंताओं को गंभीरता से लेना चाहिए." वह कहते हैं, "ब्याज दरें अभी बहुत कम हैं जिनके चलते मुनाफा कमाना और बुढ़ापे को सुरक्षित करना मुश्किल है."
जर्मनी में गरीबों का ऐसे ध्यान रखा जाता है
लगातार दूसरे साल वृद्धावस्था को लेकर जर्मन लोगों की चिंता में इजाफा दर्ज किया गया है. स्टडी में शामिल ऐसे लोगों की तादाद लगभग 56 प्रतिशत रही जो चिंता के शिकार हैं. 2017 के मुकाबले 2018 में ऐसे सोचने वालों की संख्या में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
बहरहाल, जर्मन लोग जिन बातों को लेकर सबसे ज्यादा चिंतित हैं, उनमें रिटायरमेंट के बाद आर्थिक असुरक्षा सबसे ऊपर नहीं है. बल्कि इससे ज्यादा लोग बीमारी, प्रदूषण और यूरोप में 'शरणार्थी संकट' को लेकर चिंतित हैं.
लगभग 69 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे ऊर्जा बढ़ते दामों को लेकर फिक्रमंद हैं. 2017 के मुकाबले ऐसे लोगों की संख्या 17 फीसदी बढ़ी है. वहीं एक साल पहले के मुकाबले 16 प्रतिशत वृद्धि के साथ 71 प्रतिशत लोग रहन सहन पर बढ़ने वाले खर्च को लेकर चिंतित हैं. इस अध्ययन में एक हजार लोगों को शामिल किया गया, जिनसे नवंबर के आखिर में टेलीफोन पर बातचीत कर उनकी राय ली गई.
एके/आरपी (एएफपी, केएनए, ईपीडी)