अरब जगत के पहले मिशन मंगल की शुरुआत
२० जुलाई २०२०इसके प्रक्षेपण से पृथ्वी के पड़ोसी ग्रह मंगल तक पहुंचने के लिए एक रेस की शुरुआत हो गई, जिसमें कुछ ही दिनों बाद चीन और अमेरिका भी शामिल होंगे. दुबई के अंतरिक्ष केंद्र से इस प्रक्षेपण को देखने वाले पहले मंत्र मुग्ध से खड़े रहे और फिर खुश हो कर तालियां बजाने लगे. एक महिला ने खुशी में कुछ यूं चिल्ला पड़ी जैसे शादियों के जश्न में चिल्लाते हैं.
अमल का प्रक्षेपण सुबह 6:58 पर जापान के तानेगाशिमा अंतरिक्ष केंद्र से मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज के एक एच-IIए रॉकेट से किया गया. इसके पहले प्रक्षेपण खराब मौसम की वजह से पांच दिन टल चुका था. मित्सुबिशी ने बाद में बताया कि अमल रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हो गया था और अब मंगल की तरफ अपनी एकल यात्रा पर था.
प्रक्षेपण के करीबी डेढ़ घंटे बाद मिशन के निदेशक ओमरान शरफ ने पत्रकारों को बताया कि अमल कुछ सिग्नल भेज रहा है जिनका बाद में अध्ययन किया जाएगा, लेकिन इस समय सब ठीक लग रहा है. अमल के फरवरी 2021 में मंगल पर पहुंचने की उम्मीद है. उसी महीने में यूएई के गठन की 50वीं वर्षगांठ भी मनाई जाएगी. शरफ ने बताया कि सितंबर 2021 में अमल मंगल के वायुमंडल का डाटा भेजना शुरू कर देगा, जिसे अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय के साथ साझा किया जाएगा.
यूएई की अंतरिक्ष संस्था के प्रमुख मुहम्मद अल अहबाबी ने तानेगाशिमा से एक संयुक्त ऑनलाइन समाचार वार्ता में बताया, "यूएई अब इस क्लब का सदस्य बन गया है और देश अब और ज्यादा जानेगा, और ज्यादा प्रयास करेगा और अपने अंतरिक्ष खोजी अभियान को विकसित करता रहेगा."
दुबई के मुहम्मद बिन राशिद अंतरिक्ष केंद्र में पारंपरिक सफेद कंडोरा पोशाक पहने अमीराती पुरुषों ने और काले अबाया पहनी महिलाओं ने प्रक्षेपण को देखा. जैसे-जैसे उसके अलग चरण हुए, केंद्र में बैठे पुरुषों के मुंह से जश्न की चीखें निकल गईं. वे तालियां बजाने लगे. एक को तो कोरोना वायरस महामारी की वजह से पहने हुए अपने मास्क से अपने आंसू पोंछते हुए भी देखा गया.
एस्ट्रोनोमर फ्रेड वॉटसन ने कहा, "आज हर चीज को समय से होते देख बहुत ही अच्छा लगा. ऐसा लग रहा है जैसे सब कुछ तय किया था वैसे ही हो रहा है. यूएई जैसे देश को मंगल पर अंतरिक्ष यान भेजने की इतनी लंबी छलांग लगाते देखना अंतरिक्ष खोजों के लिए एक बहुत बड़ा कदम है. मंगल से जैसे ग्रह के रास्ते में होना एक असाधारण उपलब्धि है."
यूएई अंतरिक्ष विकास में एक नया खिलाड़ी है, लेकिन वो पृथ्वी का निरीक्षण करने वाली तीन सैटेलाइटों को सफलतापूर्वक ऑर्बिट में भेज चुका है. इनमें से दो का विकास दक्षिण कोरिया ने किया था और प्रक्षेपण रूस ने किया था. तीसरी सैटेलाइट यूएई ने खुद बनाई थी और उसका प्रक्षेपण जापान ने किया था.
अगर मंगल मिशन सफल रहा तो ये अंतरिक्ष में अपना भविष्य तलाश रहे यूएई के लिए एक बड़ा कदम होगा. देश के पहले एस्ट्रोनॉट हज्जा अली अलमंसूरी को अंतरिक्ष में भेजे हुए अभी एक साल भी पूरा नहीं हुआ है. यूएई का लक्ष्य है 2117 तक मंगल पर इंसानों को बसाना. अमल के लिए यूएई ने सब कुछ खुद करने की जगह साझेदार चुने. आइजु यूनिवर्सिटी में
एस्ट्रोनॉमर जुन्या तेराजोनो ने बताया, "पर्याप्त फंडिंग होने के बावजूद एक अंतरिक्ष यान को बनाना आसान नहीं होता." अमीराती वैज्ञानिकों ने यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया और एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी में शोधकर्ताओं के साथ काम किया. अंतरिक्ष यान को बोल्डर में असेंबल किया गया और जापान भेजा गया.
अमल को बनाने और अंतरिक्ष में भेजने में 20 करोड़ डॉलर लगे. मंगल पर काम करने का खर्च अलग है और उसे अभी जाहिर नहीं किया गया है. अमल का आकार लगभग एक छोटी गाड़ी के बराबर है. ये कम से कम दो साल तक मंगल के चक्कर लगाता रहेगा. इसमें तीन उपकरण लगे हुए हैं जो मंगल के ऊपरी वायुमंडल का अध्ययन करेंगे और जलवायु परिवर्तन का निरीक्षण करेंगे.
सीके/एए (एपी)
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