1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जीन तय करता है सेक्स

४ फ़रवरी २०१०

जर्मन वैज्ञानिकों का कहना है कि शरीर का एक जीन तय करता है कि गर्भ में पल रहा बच्चा नर होगा या मादा. इस जीन को सुलाकर नारी को नर और जगाकर नर को नारी बनाया जा सकता है.

https://p.dw.com/p/LrhW
जीन का फ़ैसलातस्वीर: AP Graphics

यदि आप से कहा जाये कि स्त्री या पुरुष होना कोई स्थायी अवस्था नहीं है, तो क्या आप मानेंगे? क्या आप विश्वास करेंगे कि किसी मर्द को किसी भी समय औरत में और किसी औरत को किसी भी समय मर्द में बदला जा सकता है? आप मानें या न मानें, जीव वैज्ञानिकों की नवीनतम खोज यही कहती है.

जर्मनी में हाइडेलबेर्ग स्थित यूरोपीयन मॉलेक्युलर बायोलॉजी लैबोरैटरी (यूरोपीय आणविक जीवविज्ञान प्रयोगशाला) के वैज्ञानिकों ने पाया है कि एक जीन है फॉक्स एल 2 जो यदि चुपचाप रहे, निष्क्रिय रहे, तब भ्रूण नर बनता है. और यदि यह जीन सक्रिय हो जाये तो भ्रूण मादा, यानी नारी बनता है.

Ideogramm Y-Chromosom
Y क्रोमोसोमतस्वीर: National Library of Medicine (NLM)

यही नहीं, यदि नारी में जाग रहे इस जीन को फिर से सुला दिया जाये, तो नारी भी फिर से नर बन जायेगी. एक वयस्क मादा चूहे में इस जीन को निष्क्रिय बना देने पर यही हुआ-- मादा धीरे धीरे नर बनने लगी. उसकी ओवरी यानी डिंबाशय की कोषिकाएं टेस्टीस यानी अंडकोष की कोशिकाओं में बदलने लगीं.

पुरुष है प्रकृति का सामान्य संस्करण

इस अनोखी खोज का एक और अर्थ हैः प्रकृति शुरू शुरू में हर भ्रूण को नर ही बनाती है. नारी तो वह तब बनता है, जब जीन फॉक्स एल2 जाग जाता है और अपना जादू चलाने लगता है.

इससे अब तक की इस मान्यता का खंडन होता है कि नारी ही मनुष्य का सबसे सामान्य संस्करण है, नर बनाने के लिये प्रकृति को अलग से प्रयास करना पड़ता है. हाइडेलबेर्ग के वैज्ञानिकों की टीम के जर्मन सदस्य मथियास ट्रायर कहते हैं, "हम जानते हैं कि नारी के जीनोम में दो एक्स (XX) क्रोमोसोम होते हैं, जबकि नर का बनना एक्स के साथ जुड़े वाई (Y) क्रोमोसोम के द्वारा तय होता है जो हमें पिता से मिलता है. ऐसा वाई क्रोमोसोम पर के एक इकलौते जीन के कारण होता है, जो भ्रूण में अंडकोष बनने की क्रिया को आरंभ करता है. वह सॉक्स 9 कहलाने वाले एक अन्य जीन को सक्रिय करके ऐसा करता है. सॉक्स 9 स्वयं कोई लिंग निर्धारक जीन नहीं है."

Maus auf der Couch
चूहे पर परीक्षणतस्वीर: AP

सॉक्स9 की भूमिका

मथियास ट्रायर और उनके साथी वैज्ञानिकों ने यह भी देखा कि यदि सॉक्स 9 नाम का जीन नहीं होता या निष्क्रिय बना रहता है, तो भ्रूण में डिंबाशय का विकास होने लगता है, यानी भ्रूण तब नारी बनता है. कभी कभी अपवादस्वरूप ऐसा भी होता है कि यह तालमेल ठीक से बैठ नहीं पाता और तब भ्रूण एक ऐसा नर बनने लगता है, जिस में एक्स और वाई की जगह दोनो बार एक्स क्रोमोसोम ही होता है.

वैज्ञानिकों को लंबे समय से शक था कि नर या नारी बनाने के खेल में एक्स और वाई क्रोमोसोम ही सब कुछ नहीं होते, कुछ ऐसे जीन भी होने चाहिये, जो इस खेल के खिलाड़ी हैं. मथियास ट्रायर बताते हैं, "एक दशक से भी कुछ पहले हमने कोषिका प्रतिलिपि बनने को नियंत्रित करने वाले फ़ॉक्स एल2 की पहचान की थी. उस के काम को एक ऑटोसोमल जीन, यानी एक ऐसा जीन कोडबद्ध करता है, जो लिंगनिर्धारक क्रोमोसोम पर का जीन नहीं है और केवल नारी के गोनैड में ही यौन संरचनाओं का निर्माण करता है."

जीन के जागने से डिंबाशय लुप्त

गोनैड को हिंदी में जननग्रंथि या यौनग्रंथि भी कहते हैं. मथियास ट्रायर कहते हैं, "हम उस समय चकित रह गये, जब हमने एक वयस्क मादा चूहे के डिंबाशय में फ़ॉक्स एल2 को निष्क्रिय बना दिया और तब देखा कि उस के डिंबाशय की जगह अंडकोष बनने लगे थे. उनकी कोषिकाएं वीर्यवाही नलिकाओं का रूप लेने लगी थीं."

Symbolbild menschliches Genom
मानवीय जीनोमतस्वीर: AP GraphicsBank

सवाल यह है कि लिंग निर्धारित करने वाली प्रक्रिया के एक अकेले कारक को बदल देने से इतना बड़ा परिवर्तन कैसे होने लगता है. मथियास ट्रायर की राय में, "उत्तर है, फ़ॉक्स एल2 एक अन्य नियंत्रक को बांधे और दबाये रखता है, जिसे टेस्को कहते हैं. सॉक्स9 कहलाने वाले जीन को अपना काम करने का मौक़ा देने के लिए टेस्को की ज़रूरत पड़ती है. हमारी खोज के परिणाम दिखाते हैं कि फ़ॉक्स एल 2 और सॉक्स 9 एक दूसरे को अपने ऊपर हावी होने से रोकने के प्रयास में ऊपर नीचे होते होते रहते हैं. यह क्रिया विकासवाद का हिस्सा मालूम पड़ती है."

हम सभी नर-नारी दोनो हैं

दूसरे शब्दों में हमारे जीनोम में, यानी हमारे जीन भंडार में, वाई क्रोमोसोम पर का फ़ॉक्स एल 2 ही वह जीन है, जो अपनी सक्रियता या निष्क्रियता द्वारा तय करता है कि भ्रूण को नर बनना है या नारी. इसे इस तरह भी कह सकते हैं: हर व्यक्ति में पुरुष या स्त्री बनने के सारे जीन पहले से ही मौजूद रहते हैं.

यानी हम सभी स्त्री पुरुष दोनो हैं. जो जीन अंत में हावी हो जाते हैं, वे ही तय करते हैं कि अंततः हम दोनो में से क्या बनेंगे. जिसे अपना लिंग बदलना हो, उस के जीनोम में फॉक्स एल 2 को सक्रिय या निष्क्रिय कर देने से उस का लिंग बदला जा सकता है, ऑपरेशन की ज़रूरत तब नहीं पड़नी चाहिये. यह प्रयोग अभी मनुष्यों पर नहीं हुआ है.

रिपोर्ट: राम यादव

संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य