जी7 सदस्यों में केवल असहमत होने पर ही है सहमति
२४ अगस्त २०१९जी7 के अमीर सदस्य देशों की इन सब मुद्दों पर राय इतनी अलग अलग है कि आशंका जताई जा रही है शायद पहली बार ऐसा देखने को मिलेगा. 24 से 26 अगस्त के बीच फ्रांस के बियारित्स में आयोजित हो रहे इस सम्मेलन में शायद पहली बार ही ऐसा हो कि 1975 के बाद से सम्मेलन बिना किसी संयुक्त बयान के खत्म हो जाए.
मेजबान देश फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों जलवायु परिवर्तन और ब्राजील में अमेजन के जंगलों के जलने को मुख्य मुद्दा बनाना चाहते हैं. वहीं पर्यावरण समेत कई और मुद्दों से अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप बिल्कुल इत्तेफाक नहीं रखते. चीन के साथ व्यापारिक युद्ध में लगे हुए ट्रंप यूरोपीय संघ और बाकियों से होने वाले आयात पर शुल्क लगाने का विचार व्यक्त कर चुके हैं. इसके अलावा जी7 के साथ रूस को फिर से शामिल करने के उनके उपाय को बाकी सदस्यों का विरोध झेलना पड़ा. यूक्रेन से क्रीमिया को अलग किए जाने के कदम के बाद रूस को जी8 से बाहर निकाल दिया गया था.
फ्रांस में माक्रों ने अमेरिकी टेक कंपनियों पर जो नए टैक्स लगाए हैं उनसे ट्रंप नाखुश हैं. इसका बदला देने के लिए ट्रंप फ्रेंच वाइन के निर्यात को निशाना बनाने की बात कह चुके हैं. इसके अलावा जी7 सम्मेलन में अगर जर्मनी किसी तरह के फिस्कल स्टिमुलस की घोषणा करे तो उस पर दुनिया भर के बाजारों और निवेशकों की नजर होगी.
ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का ये पहला जी7 सम्मेलन है. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और माक्रों से इससे पहले हुईं जॉनसन की मुलाकातें बहुत सफल नही रही हैं. जॉनसन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से दोस्ताना बातचीत की उम्मीद है. लेकिन ब्रिटेन खुद भी अमेरिकी कंपनियों पर डिजिटल टैक्स लगाना चाहता है और रूस के मुद्दे पर बाकी यूरोप जैसी सोच रखता है. ऐसे में ट्रंप से दोस्ती होने की उम्मीदें काफी कमजोर हैं.
ट्रंप अमेरिका की आर्थिक नीतियों के बारे में बाकी सदस्यों को बताना चाहते हैं और बताया जाता है कि वे बाकियों को भी अपने नक्शेकदम पर चल कर वैश्विक अर्थव्यवस्था से जु़ड़ी समस्याओं से बचने की सलाह देने वाले हैं. सम्मेलन के दौरान ट्रंप ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, भारत और कनाडा के नेताओं के साथ अलग अलग मुलाकातें भी कर सकते हैं.
आरपी/आईबी (रॉयटर्स)
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