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कैसे खत्म हुए थे डायनासोर

२२ फ़रवरी २०१९

कोई उल्का पिंड धरती से आकर टकरा गया था या कोई ज्वालामुखी फटा था - आखिर ऐसी कौन सी बड़ी घटना घटी जिससे धरती से डायनासोरों का अस्तित्व ही मिट गया.

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Verhältnis Tyrannosaurus Rex Mensch Symbolbild
तस्वीर: picture alliance/Mary Evans Picture Library/Ardea

अब तक माना जाता आया है कि करीब 6.6 करोड़ साल पहले धरती पर रहने वाले विशालकाय डायनासोर एक साथ खत्म हो गए क्योंकि तब एक विशाल उल्कापिंड धरती से टकराया था. लेकिन अब वैज्ञानिक बता रहे हैं कि ये कहानी इतनी आसान नहीं रही होगी. उनका कहना है कि क्रिटेशियस काल के अंत में धरती पर सैकड़ों, हजारों सालों तक फूटते रहे ज्वालामुखियों की डायनासोरों के खात्मे में अहम भूमिका रही होगी.

साइंस जर्नल में प्रकाशित दो स्टडीज इसी बारे में हैं. वैज्ञानिक समुदाय में यह बहस चलती आ रही है कि आखिर वो क्या था जिसके कारण डायनासोर धरती से विलुप्त हो गए.

1980 के दशक से पहले तक अधिकतर लोगों का मानना था कि बड़े और लंबे समय तक चले ज्वालामुखीय विस्फोटों के कारण हमारी धरती की जलवायु में बहुत तेजी से बड़े बदलाव आए. इस दौरान वातावरण में राख, गैस और धूल के बड़े बादल से उठते रहे.

फिर वैज्ञानिकों को पता चला कि मेक्सिको के पास कैरेबियाई तट से दूर एक इतना बड़ा शिक्लुब क्रेटर नामका गड्ढा मिला, जो कि शायद उल्का पिंड के टकराने से बना होगा. अनुमान लगाया गया कि इस टक्कर के कारण वातावरण में इतना कचरा फैला होगा, जिससे पौधों में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया भी रुक गई होगी और इस तरह धरती का तीन-चौथाई जीवन खत्म हो गया होगा.

रिसर्चरों की एक टीम ने भारत में दक्कन के पठार में कैद लावा पर रेडिएशन पद्धति से शोध किया. दूसरी टीम ने एक खास तरह की कार्बन डेटिंग पद्धति का इस्तेमाल किया. करीब 10 लाख साल पहले हुए ज्वालामुखी विस्फोट का लावा आज भी दक्कन में बड़ी मात्रा में मिलता है.

दोनों टीमों ने अलग अलग तरीकों का इस्तेमाल किया लेकिन नतीजा समान आया. दोनों को पता चला कि यह ज्वालामुखीय विस्फोट डायनासोरों की सामूहिक विलुप्ति से ठीक पहले ही हुआ था.

दूसरी टीम को यह भी पता चला कि उल्का पिंड की टक्कर के कारण धरती पर इतना बड़ा भूकंप आया होगा जिसकी तीव्रता आज के हिसाब से रिक्टर स्केल पर 11 रही होगी. इंसान के रहते हुए इतना बड़ा भूकंप कभी नहीं आया है. इसी भूकंप के कारण ज्लावामुखी विस्फोट के सिलसिले शुरु हो गए होंगे, जो करीब तीन लाख साल तक चले. डायनासोरों के गायब होने को लेकर यह आज तक की सबसे स्पष्ट थ्योरी मानी जा सकती है.

आरपी/एए (एएफपी)

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