दिलों की अदला बदली करनी होगीः वेन
१७ दिसम्बर २०१०दिल्ली में चीनी प्रधानमंत्री के सम्मान में एक खास सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ जिसमें दोनों देशों की प्राचीन संस्कृति को एक साथ पेश किया गया. इस मौके पर वेन ने कहा, "दोनों देशों के बीच दिल की अदला बदली से चीन और भारत के रिश्तों को प्रोत्साहन मिलेगा. मेरी यात्रा का परिणाम सफल रहा है. हम कह सकते हैं कि एशिया की सदी आ चुकी है."
जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में हुए कार्यक्रम में भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, "हमने भी अपने दिल और दिमाग खोल दिए हैं ताकि भारत-चीन संबंधों और सहयोग के नए दशक में कदम रखा जा सके." सिंह ने कहा कि दोनों पड़ोसियों के बीच सहयोग एशियाई सदी के लिए बहुत जरूरी है जो धीरे धीरे सामने आ रही है. वह कहते हैं, "मैं रणनीतिक साझेदारी की वकालत के लिए वेन की निजी भूमिका को सराहता हूं. इससे भारत और चीन के भावी संबंधों की बुनियाद रखी गई है. दुनिया इस बात को मान चुकी है कि 21वीं सदी एशिया की सदी है. 21वीं सदी में भारत और चीन प्रतिद्वंद्वियों की तरह नहीं बल्कि दोस्तों की तरह आगे बढ़ेंगे. हमें दोनों देशों के बीच सूचना की खाई को पाटना होगा और दोनों देशों की आपसी गतिविधियों के बारे में तीसरे किसी देश से जानने के बजाय आपस में सूचनाओं का आदान प्रदान करना होगा."
भारत और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद के बावजूद दोनों देशों का पारस्परिक व्यापार लगातार बढ़ रहा है. चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी है और इस साल द्विपक्षीय व्यापार 2009 के 43 अरब के मुकाबले 60 अरब डॉलर हो जाने की उम्मीद है. लेकिन व्यापार चीन के पक्ष में है. दोनों देशों ने व्यापारिक मुद्दों पर चर्चा के लिए उद्यमियों का एक फोरम भी बनाया है जो व्यापार और निवेश सहयोग के लिए सुझाव देगा. दोनों देशों ने पारस्परिक व्यापार को 2015 तक बढ़ाकर 100 अरब डॉलर करने का फैसला किया है.
दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के लिए एक हॉटलाइन बनाई गई है. नई दिल्ली में वेन और सिंह ने तय किया है कि वे दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर नियमित चर्चा करेंगे. संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष सीमा पर अपने विवादों को जल्द सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इस बीच सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए साथ मिलकर काम करेंगे.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः वी कुमार