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समाज

नॉर्वे में इलेक्ट्रिक कार की बहार

१९ दिसम्बर २०१८

साफ ऊर्जा का इस्तेमाल आने वाले वक्त की सबसे बड़ी चुनौती है. और इस चुनौती पर सबसे तेजी से काम कर रहा है यूरोप का सबसे अमीर देश नॉर्वे. नॉर्वे में इलेक्ट्रिक कारों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है.

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China Außenhandel
तस्वीर: picture-alliance/Imaginechina//Dycj

यूरोप के सबसे अमीर देश नॉर्वे में ये शांत गाड़ियां हर जगह देखी जा सकती हैं. करीब 30 प्रतिशत नई कारों में तेल की टंकी की जगह प्लग-इन केबल्स दिखते हैं. फिलहाल पूरे यूरोप में ऐसी कारें दो फीसदी और अमेरिका में एक से दो प्रतिशत ही हैं. दुनिया के सभी देश जिनमें दुनिया का सबसे बड़ा कार बाजार चीन भी शामिल है, चाहते हैं कि उनके नागरिक ज्यादा से ज्यादा ई मोबिलिटी का सहारा लें. अभी नॉर्वे इसमें सबसे आगे है और इसका सबसे बड़ा कारण नॉर्वे सरकार का समर्थन है.

नॉर्वे की सरकार ने इलेक्ट्रिक कारों को बढ़ावा देने के लिये बहुत भारी सब्सिडी और पैकेज दिए हैं. ये रियायतें 2021 में खत्म हो जाएंगी मगर तब भी आम लोगों के लिए इलेक्ट्रिक कार खरीदना ज्यादा फायदेमंद साबित होगा. नॉर्वे की जलवायु और पर्यावरण मंत्री ओला एलवेस्ट्यूएन का कहना है कि "शून्य उत्सर्जन वाली कार खरीदना आम कारों के मुकाबले हमेशा सस्ता होना चाहिये." एलवेस्ट्यूएन देश में 2025 तक सिर्फ शून्य उत्सर्जन वाली कारों को बेचने के वादे को पूरा करने में अहम भूमिका निभा रही हैं. 2015 के पेरिस जलवायु समझौते के तहत सभी देशों ने अपने ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए कठोर नियम लागू करने का वादा किया है. और नॉर्वे में ये योजना इसी वादे को पूरा करने के लिए शुरू की गई है.

बिक्री को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने आयात शुल्क, रजिस्ट्रेशन और सेल्स टैक्स माफ कर दिया है. इलेक्ट्रिक कार के मालिकों के लिए रो़ड टैक्स, बस लेन और नौका का इस्तेमाल करना भी मुफ्त है. हालांकि ये सब सुविधाएं 2021 में खत्म हो रही हैं मगर तब भी ई कारें, तेल से चलने वालों गाड़ियों के मुकाबले आधी सस्ती होंगी. धीरे धीरे इन रियायतों का खर्च पुरानी गाड़ियों पर भारी टैक्स लगाकर वसूला जाएगा. नई गाड़ियों पर रजिस्ट्रेशन टैक्स स्लाइडिंग स्केल पर लिया जाता है जिसमें गाड़ी से होने वाले उत्सर्जन के लिए प्रीमियम देना होता है.

Tesla Model S Elektro-Auto
तस्वीर: picture-alliance/Geisler-Fotopress/T. Skupin

एलवेस्ट्यूएन ने वादा किया है कि इलेक्ट्रिक कारों पर जो छूट मिल रही है उनसे 2025 के लक्ष्य पर कोई भी असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि "हमारा उद्देश्य सिर्फ छूट देना नहीं है, हम आम गाड़ियों पर उत्सर्जन के लिए टैक्स भी लगा रहे हैं." आम लोगों पर साफ ऊर्जा के इस्तेमाल के लिए टैक्स लगाना सरकार के लिए खतरनाक भी हो सकता है. फ्रांस में इस वजह से विरोध प्रदर्शन हुए. वहां सरकार ने तेल पर जो टैक्स लगाया उससे कम आय वर्ग को खासी चोट पहुंची. खासतौर पर वे लोग परेशान हुआ जो देहाती इलाकों में रहते हैं जहां गाड़ी से सिवा परिवहन का और कोई साधन नहीं है.

इस मामले में नॉर्वे अलग है. दशकों से जीवाश्म ईंधन का निर्यात कर रहा नॉर्वे एक समृद्ध देश है. नॉर्वे में प्रति व्यक्ति आय बाकी के यूरोप से ज्यादा है और इसलिए वहां उत्पादों और सेवाओं के दाम भी ज्यादा हैं. देश में बिकने वाली नई कारों में 36 प्रतिशत एसयूवी होती हैं. भीषण सर्दी में ये गाड़ियां काफी काम आती हैं. टेस्ला की कार की बैटरी लाइफ काफी अच्छी है इसलिए ज्यादातर नॉर्वेवासी उसे चुनते हैं. मगर बाजार में और भी अच्छे ब्रांडों की गाड़ियां उपलब्ध हैं. मांग इतनी ज्यादा है कि नॉर्वे में लोगों को एक साल का इंतजार करना पड़ता है. नॉर्वे ने 2030 तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को 40 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा है, जो कि अभी 1990 के स्तर पर है.

Japan Elektroauto
तस्वीर: Getty Images/AFP/Y. Tsuno

2017 में देश का उत्सर्जन स्तर 3 फीसदी का इजाफा हुआ. सड़क यातायात से होने वाले उत्सर्जन को कम करने से नॉर्वे जो पैसा बचाता है, वह दूसरे देशों से उत्सर्जन सर्टिफिकेट खरीदने में लगता है. इन सर्टिफिकेट से नॉर्वे अपना उत्सर्जन लक्ष्य को पूरा करता है. ये जो पैसे बचेंगे उनसे इलेक्ट्रिक कार संबंधी सब्सिडी का खर्च घटाया जाएगा.

नॉर्वे इलेक्ट्रिक कार के बाजार के विकास के लिए चीन से भी मदद की उम्मीद कर रहा है. चीन का बड़ा बाजार है. नॉर्वे को उम्मीद है कि बीजिंग बाजार के मांग पूरी करने के लिए सारी तकनीकें तेजी से विकसित करेगा और इससे आखिरकार दाम नीचे आएंगे.

नॉर्वे में सबसे बड़ी मुश्किल है चार्जिंग पॉइन्ट की, जो तेल के पंप की तरह हर जगह नहीं हैं. चॉर्जिंग में समय भी बहुत लगता है. चार्जिंग स्टेशनों के पेट्रोल पंपों की तरह फायदेमंद न होने से लोग उनमें निवेश नहीं कर रहे हैं. फिलहाल सरकार सब्सिडी के सहारे चार्जिंग स्टेशनों को बढ़ावा देने में जुटी हुई है. राजधानी ओस्लो में रहने वाली इडा विहोवडे का कहना है कि "अगर सरकार ऐसे चार्जिंग पॉइन्ट और लगाए तो ठीक है. वरना अभी मुझे जब तक चार्जिंग पॉइन्ट खाली नहीं होगा तब तक इंतजार करना होगा."

एनआर/ओएसजे (एपी)