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नोबेल की घोषणा से पहले मृत स्टाइमन

३ अक्टूबर २०११

सोमवार को मेडिसीन के नोबेल पुरस्कार की घोषणा से पहले ही इसे जीतने वाले कनाडा के जीव विज्ञानी राल्फ स्टाइमन का निधन हो गया. नोबेल पुरस्कार के नियमों के हिसाब से मरणोपरांत यह सम्मान नहीं दिया जाता.

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Dr. Ralph Steinman of Rockefeller University speaks during a news conference in Albany, N.Y., Friday, April 24, 2009. He was a co-recipient of the Albany Medical Center Prize, the largest medicine or science award in the United States. (AP Photo/Mike Groll)
डॉक्टर राल्फ स्टाइनमनतस्वीर: AP

रॉकेफेलर यूनिवर्सिटी ने अपने बयान में कहा, "स्टाइनमन की मौत 30 सितंबर को हो गई. चार साल पहले उनके अग्न्याशय में कैंसर का पता चला और उनका जीवन उन्हीं के ड्रेन्ड्रिटिक सेल इम्यूनोथेरेपी के कारण लंबा हो सका." यानी उन्होंने जो खोज की, उसका सबसे पहला इस्तेमाल उन्होंने खुद अपने शरीर पर किया और इसमें उन्हें कुछ समय के लिए ही सही, सफलता भी मिली.

स्टाइनमन को ब्रूस ब्यूटलर और यूल्स होफमान के साथ 2011 में चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है. उन्हें प्रतिरोधी प्रणाली को सक्षम बनाने में योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई है.

यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष मार्क टेसियेर लाविग्ने ने कहा, "रॉकफेलर यूनिवर्सिटी को खुशी है कि नोबेल फाउंडेशन ने राल्फ स्टाइनमन की शरीर की प्रतिरोधी क्षमता पर उनकी खोज को पहचाना. लेकिन यह खबर दुख और खुशी दोनों से भरी हुई है. क्योंकि हमें राल्फ के परिजनों ने सोमवार सुबह बताया कि कुछ दिन पहले उनकी कैंसर से मृत्यु हो गई. राल्फ की पत्नी, उनके बच्चों और परिजनों के साथ हमारी संवेदनाए हैं."

यह साफ नहीं हो सका है कि क्या नोबेल कमेटी को उनकी मृत्यु की खबर थी या नहीं. नोबेल पुरस्कार मरणोपरांत नहीं दिया जाता है. यहां तक कि नामांकन के बाद भी अगर किसी की मौत हो जाए, तो उन्हें नोबेल पुरस्कार नहीं दिया जा सकता. हालांकि पहले कुछ अलग नियम थे. उस वक्त नामांकन के बाद और पुरस्कारों की घोषणा के पहले अगर किसी की मौत हो जाती, तो भी उन्हें नोबेल दिया जा सकता था. दो बार ऐसी स्थिति पैदा हुई. 1931 में एरिक एक्सेल कार्लफेल्ड को साहित्य का नोबेल और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव रहे डाग हामरस्क्योल्ड को 1961 में शांति का नोबेल पुरस्कार मरणोपरांत दिया गया. हालांकि उनका नामांकन उनके जीवित रहते ही किया गया था. 1974 से नियम बदल दिया गया है. इसके मुताबिक पुरस्कारों का एलान सिर्फ जीवित लोगों के लिए किया जा सकता है. अगर इस हिसाब से देखें तो स्टाइनमन के नोबेल पर कुछ सवाल उठ सकते हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा मोंढे

संपादनः ए जमाल

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