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न्यूयॉर्क में मिले स्थाई सीट के दावेदार

१२ फ़रवरी २०११

सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता की मांग करने वाले जी-4 गुट का मानना है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के वर्तमान सत्र के दौरान सुरक्षा परिषद में आवश्यक सुधार लाने की प्रक्रिया के ठोस परिणाम हासिल हो सकेंगे.

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तस्वीर: AP

भारत, ब्राज़ील, जर्मनी और जपान इस गुट के सदस्य हैं. इनमें से भारत, ब्राज़ील और जर्मनी इस समय सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य हैं. ब्राज़ील फरवरी के लिए परिषद का अध्यक्ष है. विकास और शांति के बीच सम्बन्ध के बारे में परिषद की बैठक में भाग लेने के लिए भारत, जर्मनी के विदेश मंत्री और जपान के विदेश सचिव न्यूयॉर्क में हैं जहां नेताओं ने सुधार प्रक्रिया में हुई प्रगति और आगे की कार्रवाई के बारे में बातचीत की.

Guido Westerwelle Pressekonferenz Ägypten
जर्मन विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेलेतस्वीर: AP

मिलकर काम करेंगे

मुलाकात के दौरान संगठित रूप से काम करने पर बात हुई. बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है कि सुरक्षा परिषद में वर्तमान विश्व स्थिति का वास्तविक प्रतिनिधित्व नहीं है. सुधारों के बारे में जर्मनी के विदेश मंत्री वेस्टरवेले का कहना था, "हम अपने राष्ट्रीय हितों की वकालत नहीं कर रहे हैं, बल्कि एक बेहतर संतुलन की बात कर रहे हैं जो संस्था को और बेहतर बनाए." वेस्टरवेले ने कहा कि जर्मनी संयुक्त राष्ट्र के कामों में और ज़िम्मेदारी लेने के लिए तैयार है.

उन्होंने कहा, "हम एक शक्तिशाली संस्था चाहते हैं जिसकी विश्व में ताकत कायम रहे और उसके लिए सुधार लाने ज़रूरी हैं."

भारत के विदेश मंत्री एसएम कृष्णा का कहना था कि हालांकि सुधार प्रक्रिया की गति धीमी रही है पर समय आ गया है कि उस प्रक्रिया को उसके लक्ष्य तक पहुंचाया जाए. उन्होंने बताया कि जी-4 की इस बैठक का सबसे महत्वपूर्ण निष्कर्ष उस लक्ष्य के लिए किए जा रहे प्रयासों में और गति लाने का रहा.

साथ कौन देगा

सुरक्षा परिषद और पूरी संस्था में सुधार लाने की आवश्यकता है, ऐसा तो सभी सदस्य मानते हैं, लेकिन जी-4 के प्रयासों को कितना समर्थन प्राप्त है? जर्मनी के विदेश मंत्री वेस्टरवेले इसे एक अल्पसंख्यक लोगों का विचार नहीं मानते बल्कि एक ऐसा विचार मानते हैं जिसे अधिकांश सदस्यों का समर्थन प्राप्त है. परन्तु सुरक्षा परिषद के गठन में परिवर्तन को लेकर संस्था के सदस्यों में कोई सहमति नहीं बन पाई है. ब्राज़ील के विदेश मंत्री एंटोनियो पेट्रिओटा के अनुसार, "चुनौती उस फार्मूले को पाने की है जिस पर व्यापक सहमति पाई जा सके. उसके लिए दो तिहाई समर्थन चाहिए. लेकिन इतना तय है कि सुधार तो ज़रूरी हैं."

उन्होंने कहा कि वर्तमान विश्व स्थिति को देखते हुए अन्य क्षेत्रों में भी बदलाव आ रहा है जैसे जी-8 गुट अब जी-20 में बदल गया है. इस संस्था में भी सुधारों के लिए दबाव बढ़ रहा है, उसे और समावेशी बनाए जाने की मांग हो रही है ताकि संस्था अपने कामों को और प्रभावशाली तरीके से कर सके.

उधर जपान के विदेश सचिव मत्सुमोतो का कहना था, "जी-4 के सदस्य महासभा के वर्तमान सत्र में ठोस परिणाम पाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम उसके लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं. हमारा मानना है कि औचित्य, प्रतिनिधित्व और भौतिकता के सन्दर्भ में अपने रुख में लचीलापन रखना होगा."

रिपोर्टः न्यूयॉर्क से अंबालिका मिश्रा

संपादनः वी कुमार

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