पाकिस्तान को सहायता पर अमेरिकी सांसदों में बहस
५ मई २०११पिछले दशक में पाकिस्तान के लिए अमेरिकी कांग्रेस 20 अरब डॉलर से ज्यादा की सहायता मुहैया कराई है. अमेरिकी सहायता पाने वाले देशों में पाकिस्तान सबसे ऊपर के देशों में है. इनमें से आधी से ज्यादा रकम पाकिस्तान को आतंकवाद से जंग के लिए दी गई है. महज तीन हफ्ते पहले ही अमेरिकी संसद ने पाकिस्तान के लिए 2 अरब डॉलर की सैन्य सहायता को मंजूरी दी. इसके साथ ही नागरिक सहायता के रूप में एक अरब डॉलर की सहायता अलग से है.
सहायता रोकें
कुछ अमेरिकी सांसद ये मांग कर रहे हैं कि अब पाकिस्तान को मिलने वाली सहायता रोक देनी चाहिए क्योंकि अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन राजधानी इस्लामाबाद से महज कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर पाया गया. सोमवार रात एक खास अभियान में अमेरिकी सैनिकों ने ओसामा को मार डाला. हालांकि कुछ सांसद अब भी यही कह रहे हैं कि आतंकवाद के खिलाफ जंग में अमेरिका को पाकिस्तान की अभी जरूरत है.
सीनेट में डेमोक्रैटिक पार्टी के नेता हैरी रीड ने कहा कि इस हफ्ते पाकिस्तान को अपनी सीमा पर आतंकवाद से लड़ने में कई सैनिकों को गंवाना पड़ा. हालांकि इसके साथ ही रीड ने ये भी कहा कि पाकिस्तान की सहायता पूरी तरह से बंद करने की बजाय अमेरिका को उस पर और ज्यादा नियंत्रण लागू करना चाहिए. रीड ने पत्रकारों से कहा, "मुझे उम्मीद है कि जो पैसा हम पाकिस्तान को दे रहे हैं उसकी बेहतर तरीके से निगरानी की जाएगी."
शर्तों का क्या हुआ
अमेरिका ने पाकिस्तान पर कई सालों से दबाव बना रखा है कि वह अफगानिस्तान से लगती अपनी सीमा के भीतर आतंकवाद के ठिकानों के खिलाफ कार्रवाई करे. पाकिस्तान की सेना और अफगान तालिबान के बीच संबंधों को लेकर भी अमेरिका में भारी चिंता है. पाकिस्तान भी सहायता की शर्तों को लेकर आशंकित है. कुछ अमेरिकी सांसद ये सवाल उठा रहे है कि क्या सहायता देने की शर्तों का पालन किया गया. इनमें से कुछ ऐसे सांसद भी हैं जिन्होंने सहायता बढ़ाने की मांग की थी. 2009 के लिए सहायता देने का विधेयक पेश करने वाले सांसदों में से एक डेमोक्रैट हॉवर्ड बेर्मन ने कहा है, "पाकिस्तान की सेना उन उद्देश्यों के लिए काम नहीं कर रही है जिसके लिए हम उन्हें सहायता दे रहे हैं. लादेन के मारे जाने के बहुत पहले से ही मैं इस बात से सशंकित हूं कि हम अपने लोगों के टैक्स के पैसे देकर बदले में क्या हासिल कर रहे हैं."
सहायता पाने की कड़ी शर्तें
2009 के कानून में जो शर्तें रखी गईं उनके मुताबिक पाकिस्तान को 2011-14 के बीच तब तक कोई सैनिक सहायता नहीं दी जाएगी जब तक कि अमेरिकी विदेश मंत्री को यह पता न चल जाए कि "पाकिस्तान ने आतंकवादी गुटों पर काबू करने की अहम कोशिशें की है और वह लगातार इसके लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखा रहा है." अल कायदा, तालिबान और उनसे जुड़े दूसरे गुटों को पाकिस्तान की जमीन से अपनी हरकतें जारी रखने से रोकने की दिशा में पाकिस्तान की तरफ से की गई कार्रवाई को भी इस मदद के लिए ध्यान में रखा जाना था. ओबामा प्रशासन को जरूरी रिपोर्ट मिल गई जिसके बाद 2011 के लिए सहायता दी जा सकती थी. लेकिन अब ओबामा प्रशासन पाकिस्तान के साथ निराशा जता रहा है और इसके बारे में सार्वजनिक रूप से बयान दिए जा रहे हैं.
ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के महज 11 दिन पहले अमेरिकी सेना प्रमुख माइक मलन ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी पर अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों को निशाना बना रहे आतंकवादी गुटों से संबंध रखने का आरोप लगाया. मलेन ने पाकिस्तान से हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ ज्यादा आक्रामक रुख अपनाने को कहा.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः आभा एम