पाक एयरबेस पर हमला, 9 मरे
१६ अगस्त २०१२परमाणु शक्ति से लैस पाकिस्तान की ताकतवर सेना पर खतरनाक हमले के बाद घंटों तक संघर्ष चलता रहा. कट्टरपंथी हमले से निबटने के लिए कमांडो दस्ते को बुलाना पड़ा जबकि पुलिस की बख्तरबंद गाड़ियां भी वायु सेना के अड्डे की ओर जाती दिखीं. वायु सेना के प्रवक्ता कैप्टन तारिक महमूद ने बताया कि हमले में सिर्फ एक विमान को नुकसान पहुंचा है. प्रवक्ता ने साथ ही बताया कि पंजाब प्रांत के मिनहास एयरबेस पर परमाणु हथियार नहीं रखे हैं. उन्होंने कहा, "पाकिस्तान में कोई एयरबेस परमाणु एयरबेस नहीं है."
हमलावर पास के एक गांव से अंधेरे की आड़ में एयरबेस तक पहुंचे और 2.7 मीटर की दीवार लांघकर सैनिक अड्डे के अंदर घुसे. उनमें से कुछ ने सेना की वर्दी पहन रखी थी. कैप्टन महमूद ने कहा कि आत्मघाती जैकेट पहने हमलावर जब हैंगर की ओर बढ़े, तो सैनिकों ने उन पर गोलियां चलाईं. उसके बाद बेस के बाहर खड़े उनके साथियों ने रॉकेटों से हमला कर दिया. लड़ाई में 8 हमलावर और एक सैनिक मारा गया. उन्होंने कहा कि हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई का नेतृत्व बेस कमांडर एयर कमोडोर मुहम्मद आजम ने किया. उनकी बांह में गोली लगी है लेकिन उनकी हालत स्थिर है.
एयरबेस पर लड़ाई रुक गई है लेकिन हमलावरों के साथियों का पता लगाने और पकड़ने के लिए सेना की कार्रवाई चल रही है. महमूद ने कहा, "हम कॉम्प्लेक्स के हर इंच की जांच कर रहे हैं ताकि कोई उपद्रवी छुपा न हो." यह साफ नहीं है कि इस बार उग्रपंथी एयरबेस के अंदर किस तरह घुस पाए. हालांकि हमला रात के दो बजे हुआ लेकिन रमजान का महीना होने के कारण संभावना है कि उस समय एयरबेस पर बहुत से सैनिक रात की नमाज और सेहरी के लिए जगे हुए हों. मिनहास के एयरबेस पर लड़ाकू और टोही विमानों के कई स्क्वाड्रन तैनात हैं.
मिनहास का एयरबेस पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से 75 किलोमीटर दूर है और पाकिस्तान एरोनॉटिकल कॉम्प्लेक्स के साथ में स्थित है. यह पाकिस्तान का प्रमुख एयरफोर्स रिसर्च सेंटर है, जहां चीन के साथ संयुक्त रूप से विकसित जेएफ 17 लड़ाकू विमान तैयार किए जाते हैं. आत्मघाती हमलावरों ने एयरबेस के निकट और एयरोनॉटिकल कॉम्प्लेक्स पर 2007 और 2009 में भी हमले किए थे लेकिन सुरक्षा बाधा को नहीं तोड़ पाए थे.
इन हमलों से पाकिस्तानी सेना के इस दावे पर संदेह बढ़ा है कि सैनिक कार्रवाई से इस्लामी उग्रपंथी कमजोर हुए हैं. पाकिस्तान में कई कट्टरपंथी गुट सरकार को हटाने और कठोर शरीया कानून लागू करने के लिए लड़ रहे हैं. पाकिस्तानी तालिबान ने पिछले सालों में कई हाई प्रोफाइल हमले किए हैं, जिसमें से 2009 में रावलपिंडी में पाकिस्तानी सेना के मुख्यालय पर भी शामिल है.
पिछले साल तालिबान लड़ाकों ने ओसामा बिन लादेन को मारे जाने का बदला लेने के लिए कराची में एक नौसैनिक अड्डे पर हमला किया था. 16 घंटे तक चली लड़ाई में 10 सैनिक अधिकारी मारे गए थे और 20 घायल हो गए थे. ये हमले खासकर पाकिस्तानी सेना के लिए शर्मनाक हैं, जिसने देश के 65 साल के इतिहास में ज्यादातर समय राज किया है और सबसे कुशल सरकारी संस्थान माना जाता है.
एमजे/एजेए (रॉयटर्स)