पीपली लाइव और प्रेमचंद में क्या रिश्ता है!
२८ अगस्त २०१०अनुषा बताती हैं कि जब उन्होंने पीपली लाइव की कहानी और किरदारों को पालना पोसना और बड़ा करना शुरू किया, तब बार बार उन्हें प्रेमचंद और उनके महान उपन्यास गोदान के किरदार होरी की याद आ रही थी.
रिजवी कहती हैं कि वह एक किसान की बेबसी को दिखाने के लिए होरी की मदद लेने से खुद को रोक ही नहीं पाईं. वह बताती हैं, "जब मैं इस किरदार को बुन रही थी, तब होरी बार बार मेरे जहन में आता रहा. मैं गोदान के वक्त से अब तक जारी सिलसिले को दिखाना चाहती थी. हमने होरी महतो का नाम एक प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया ताकि दिखाया जा सके कि किसानों की हालत अब भी वैसी की वैसी ही है."
हालांकि रिजवी इस बात से वाकिफ थीं कि होरी को पहचान सकने वाले लोग अब ज्यादा नहीं होंगे, फिर भी उन्हें किसानों की हालत बयान करने के लिए इससे बेहतर प्रतीक नहीं सूझा. रिजवी ने अपने करियर की शुरुआत एक टीवी पत्रकार के तौर पर की थी. वहां से वह डॉक्युमेंट्री फिल्मों की ओर चली गईं. लेकिन वह कहती हैं कि जब पीपली लाइव का ख्याल उन्हें आया, तब वह फिल्म डायरेक्टर बनने की बात नहीं सोच रही थीं. वह कहती हैं, "मेरे या महमूद (पति) के लिए यह कोई करियर का विकल्प नहीं था. लेकिन जब यह कहानी मेरे दिमाग में आई, तो महमूद ने कहा कि यह बढ़िया है और मुझे इस पर काम करना चाहिए. हम इस कहानी को सुनाना चाहते थे और इस तरह मैं डायरेक्शन की ओर आ गई."
लेकिन सिर्फ कहानी ही एक फिल्म बनाने के लिए काफी नहीं थी. उन्हें इसे फिल्म के रूप में पर्दे पर लाने के लिए छह साल का वक्त लगा. वह बताती हैं, "मैंने इस कहानी पर करीब साढ़े पांच साल काम किया. मुझे याद है कि जब मेरी स्क्रिप्ट पूरी हो गई, तब मैंने आमिर खान का एक इंटरव्यू देखा जिसमें उन्होंने कहा कि उन्हें अच्छी कहानियों की तलाश है. मैंने उन्हें एक ईमेल लिखा और जब वह दिल्ली आए तो कहानी सुनाई. उन्हें यह पसंद आ गई."
लेकिन अनुषा बताती हैं कि फिल्म में और देर होती गई, क्योंकि आमिर तारे जमीं पर की शूटिंग में व्यस्त हो गए. लेकिन फिल्म बनाने के बाद भी बॉक्स ऑफिस के बारे में उन्होंने नहीं सोचा. वह कहती हैं, "मैं इस बात को लेकर कभी फिक्रमंद नहीं थी कि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कैसी चलेगी. मेरे पास एक कहानी थी और मैं इसे सही तरीके से सुनाना चाहती थी." अनुषा बहुत खुश हैं कि उन्होंने पीपली लाइव पर जमकर मेहनत की और यह कामयाब भी हुई.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः आभा एम