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प्रणब मुखर्जी के बयान पर कांग्रेस की सफाई

Priya Esselborn४ जनवरी २०११

पीएसी के सामने पेश होने की प्रधानमंत्री की पेशकश से असहमति जताने वाले प्रणब मुखर्जी के बयान पर कांग्रेस अब स्पष्टीकरण दे रही है. पार्टी ने कहा कि प्रणब सिर्फ कानूनी पहलू बता रहे हैं. पीएम और प्रणब दोनों अपनी जगह सही हैं.

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तस्वीर: UNI

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा है कि पार्टी प्रधानमंत्री के साथ मजबूती से खड़ी है. हालांकि दिग्विजय सिंह ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि प्रणब मुखर्जी और मनमोहन सिंह दोनों अपनी जगह सही हैं. दिग्विजय सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री ने यह पेशकश ऐसे समय में की जब पूरा विपक्ष उन पर हमला कर रहा था और संयुक्त संसदीय समिति की मांग कर रहा था. मीडिया में लगातार इस बात की चर्चा हो रही थी कि सरकार बचाव की मुद्रा में आ गई है. इस दौरान प्रधानमंत्री ने यह प्रस्ताव रखा.

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी कहा है कि प्रणब मुखर्जी सिर्फ कानूनी पहलू को सामने ला रहे थे. "वित्त मंत्री ने अपने बयान में स्पष्ट कर दिया है. उन्होंने सिर्फ कानूनी स्थिति पर बताया कि प्रधानमंत्री लोक लेखा समिति के सामने पेश होने के लिए बाध्य नहीं हैं."

बुराड़ी में कांग्रेस के महाधिवेशन के दौरान अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि उनके पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है और अगर जरूरत पड़ी तो वह लोक लेखा समिति (पीएसी) के सामने पेश होने के लिए तैयार हैं. प्रधानमंत्री के इस प्रस्ताव को दिग्विजय सिंह सुखद आश्चर्य बताते हुए मास्टरस्ट्रोक करार देते हैं यानी एक ऐसा दांव जिससे विपक्ष के हमलों की धार कुंद पड़ गई.

हालांकि पार्टी के दूसरे वरिष्ठ नेता प्रणब मुखर्जी शायद इससे अलग राय रखते हैं. रविवार को कोलकाता में उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री ने पीएसी के सामने पेश होने का प्रस्ताव हमारी सलाह लिए बगैर रखा. अगर उन्होंने मुझसे सलाह मांगी होती तो मैं उन्हें पीएसी के सामने पेश होने का प्रस्ताव नहीं रखने के लिए कहता." प्रणब मुखर्जी के इस बयान से मीडिया में हलचल मच गई कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री के बीच वैचारिक टकराव हो रहा है.

लेकिन जल्द ही प्रणब मुखर्जी ने ऐसी किसी बात से इनकार करते हुए कहा कि वह सिर्फ लोकसभा के नियमों का हवाला दे रहे थे. "प्रधानमंत्री लोकसभा के लिए जवाबदेह होता है न की किसी कमेटी के लिए."

दिग्विजय सिंह ने कहा, "मुखर्जी ने जो कहा वह तथ्यात्मक रूप से सही है जबकि प्रधानमंत्री ने अपनी पेशकश से साहसिक रुख का परिचय दिया है. दोनों अपनी अपनी जगह सही हैं. संसदीय परंपराओं का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है."

2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में टेलीकॉम मंत्री ए राजा के इस्तीफे के बाद भी विपक्ष ने यूपीए सरकार पर हमले करना जारी रखा है और लगातार संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मांग हो रही है. लेकिन कांग्रेस जेपीसी के गठन के लिए तैयार नहीं है. 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में कम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार को करीब 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: आभा एम