प्रतापगढ़ भगदड़- 80 लोगों के मारे जाने की आशंका
४ मार्च २०१०वहीं ज़िला प्रशासन ने इसका ख़ंडन किया है. गुरुवार के हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को कृपालु महाराज ने 50 हज़ार और घायलों को दस दस हज़ार रुपये देने की घोषणा की है. इस हादसे के बाद दुःख जताते हुए कृपालु महाराज आश्रम से चले गए हैं. प्रतापगढ़ की संसद राजकुमारी रत्ना सिंह ने संसद में ये मामला उठाया और केंद्रीय सहायता की मांग की. यूपी सरकार ने इलाहबाद के कमिशनर को जांच सौंप दी है जो 24 घंटे में अंतरिम रिपोर्ट देंगे. प्रशासन ने आश्रम में ही सभी लाशो का पोस्टमार्टम करने की व्यवस्था की है.
आचार्य कृपालु जी महाराज पर 1993-94 में महाराष्ट्र के नागपुर में एक लड़की के पकडे जाने का मुकदमा दर्ज हुआ था. इनका असली नाम राम कृपाल तिवारी है. बाद में इन्होंने अपना नाम कृपालु महाराज रख लिया. इनकी आयु ८८ वर्ष है.
दोपहर को हुई भगदड़
प्रतापगढ़ के कुंडा थाना इलाके के भक्ति धाम के राम जानकी मंदिर में स्थानीय समय के हिसाब से दोपहर बारह बजे अचानक हुई भगदड़ में अब तक 65 श्रद्धालुओं की मौत की पुष्टि हो चुकी है. लखनऊ में एडीजी कानून व्यवस्था ब्रिज लाल ने बताया की मंदिर में क्षमता से ज्यादा लोग पहुंच गए थे.
200 से अधिक लोग घायल हैं जिन्हें पास के अस्पताल पहुंचाया गया है. गंभीर रूप से घायलों को इलाहबाद और प्रतापगढ़ के अस्पतालों में पहुचाया जा रहा है. जिला प्रशासन के अलावा लखनऊ से भी वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंच गए है. रहत का काम जारी है और पुलिस ने घटनास्थल को पूरी तरह से घेरे में ले लिया है. जिस समय मंदिर के गेट का एक भाग गिरा उस समय मंदिर में भंडारा चल रहा था. घटना दोपहर करीब बारह बजे की है. भक्ति धाम के संस्थापक कृपालु महाराज की पत्नी की पुण्यतिथि पर आज यहां भंडारे का आयोजन किया गया था, मंदिर परिसर में मेला भी चल रहा था.
घायलों में से 20 की हालत बेहद नाज़ुक बनी हुई है और मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है.
भारी भीड़ थी
आश्रम में भंडारे के दौरान कपड़ा और खाना बांटा जा रहा था जिसके लिए क़रीब आठ हज़ार लोग उस समय वहां इकट्ठे हुए थे. दुर्घटना स्थल पर तुरंत आपातकालीन मदद पहुंचाई गयी है. साथ ही स्थानीय लोग भी घायलों की मदद में लगे है. कई लोगों को अस्पताल पहुंचाया जा चुका है.
भारत के पूजास्थलों पर हज़ारों लोगों के इकट्ठा होने के बाद भगदड़ मचना एक आम बात हो गयी है. साल 2008 में भी दो अलग अलग हादसों में 285 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी.
रिपोर्टः सुहैल वहीद,तनुश्री सचदेव
संपादनः आभा मोंढे