फुटबॉल में हिजाब से रोक हटाने में मदद करें ब्लाटर
२९ फ़रवरी २०१२फीफा अध्यक्ष को चिट्ठी लिखते हुए एएफसी के कार्यकारी अध्यक्ष झांग जिलोंग ने इस मुद्दे पर फीफा के समर्थन की मांग की है. लंदन में अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल असोसिएशन बोर्ड(आईएफएबी) की बैठक में महिला फुटबॉल खिलाड़ियों के हिजाब पहनने के मुद्दे पर फिर से विचार किया जाएगा. झांग ने पत्र में लिखा है, "यह हमारा कर्तव्य है. दुनिया भर में सभी के लिए यह खेल उपलब्ध करवाना हमारी प्राथमिकता है. मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इस मुद्दे पर आप हमें समर्थन दें. नवंबर में मीटिंग के दौरान एफसी की कार्यकारिणी ने हिजाब के मुद्दे पर एएफसी की महिला कमेटी की चिंताएं साझी की थी. इसके बाद प्रिंस अली के नेतृत्व में एक वर्कशॉप आयोजित की गई ताकि इस मसले का वैश्विक हल निकल सके."
रग्बी, ताइक्वांडो जैसे ओलंपिक खेलों में मुस्लिम महिलाओं को सिर पर स्कार्फ बांधने की अनुमति है. जबकि फुटबॉल में सुरक्षा कारणों से इस पर रोक लगा दी गई है. पिछले साल ईरान की महिला फुटबॉल टीम को ओलंपिक क्वालिफाइंग के दूसरे दौर में जॉर्डन के साथ नहीं खेलने दिया गया क्योंकि उन्होंने स्कार्फ उतारने से मना कर दिया था.
ईरान की महिला फुटबॉल टीम अपने ग्रुप में टॉप पर थी. लेकिन उन्हें पेनल्टी के तौर पर इस मैच में 3-0 की हार दे दी गई इस कारण वह लंदन ओलंपिक के लिए क्वालिफाई ही नहीं कर पाई.
आईएफएबी की स्थापना 1886 में की गई थी. यह फुटबॉल के कानून तय करती है. इसके चार सदस्य फीफा के होते हैं और चार ब्रिटिश संघों से. महिला फुटबॉल टीम में हिजाब का मामला फीफा के उपाध्यक्ष जॉर्डन के प्रिंस अली बिन अल हुसैन पेश करेंगे. वे डच डिजाइन वाले वेल्क्रो हिजाब की पैरवी करेंगे जो खींचे जाने पर सिर से अलग हो सकता है. नए डिजाइन वाले हिजाब के बारे में झांग ने फीफा को लिखा है, "मैं सुरक्षा चिंता को पूरी तरह से समझता हूं और मानता हूं कि खिलाड़ियों की सुरक्षा सबसे जरूरी है. मैं यह भी मानता हूं कि नए डिजाइन वाला हिजाब पूरी तरह सुरक्षित है."
रिपोर्टः रॉयटर्स/आभा एम
संपादनः महेश झा