बारिश से धुल सकते हैं विस्फोट के सबूत
१३ जुलाई २०११मायानगरी में तीन विस्फोटों के कुछ ही घंटों बाद दिल्ली से फॉरेंसिक एक्सपर्ट मुंबई पहुंच चुके हैं. वे घटनास्थल से महत्वपूर्ण सबूत जुटाने में लग गए हैं. एक पुलिस अधिकारी का कहना है, "हो सकता है कि बारिश का ज्यादा असर न पड़े लेकिन इस बात की आशंका तो है ही कि कई सबूत मिट सकते हैं."
मुंबई की अपराध निरोधक शाखा अत्याधुनिक उपकरणों के साथ घटनास्थल पर पहुंच चुकी है और सूबत जुटाने में मदद कर रही है. उनकी कोशिश है कि खून के धब्बे और दूसरे सबूत न मिट पाएं.
बुधवार को जिन तीन जगहों पर धमाके हुए हैं, उनमें सबसे ज्यादा नुकसान जेवरों के बाजार जावेरी बाजार को हुआ है. यह बाजार 1993 से हमलावरों के निशाने पर रहा है. दक्षिणी मुंबई में स्थित यह बाजार सबसे पहली बार 1993 में आतंकवादियों के निशाने पर आया, जब उस साल अगस्त में मुंबई में धमाका हुआ. गुजरात दंगों के बाद हुए 13 सिलसिलेवार विस्फोट में मुंबई में 257 लोग मारे गए और 700 से ज्यादा घायल हुए. हालांकि पुलिस ने स्कूटर में रखे बम को उस वक्त फटने से पहले नाकाम कर दिया था.
लेकिन 10 साल बाद अगस्त 2003 में आतंकवादियों को यहां विस्फोट करने में कामयाबी मिल गई और उस वक्त 54 लोगों की जान गई. जावेरी बाजार की तंग गलियों में कई दुकानें हैं. इलाके में इतनी भीड़ होती है कि कई बार पैदल चलने में भी मुश्किल होती है.
बुधवार को बाजार के एक मशहूर खाने के स्टॉल के पास धमाका हुआ. आम तौर पर लोग दफ्तर के बाद जल्दी से एक चाय पीने और बातचीत करने यहां जमा होते हैं.
रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल
संपादनः आभा एम