बेंगलोर के नेशनल पार्क में बाघ की मौत
२० सितम्बर २०१०3 महीने का ये बाघ का बच्चा अपने तीन भाई बहनों और मां के साथ था. एक दिन पहले अचानक उसे डायरिया ने अपनी चपेट में ले लिया और इलाज के दौरान ही उसकी मौत हो गई. ये जानकारी नेशनल पार्क के कार्यकारी निदेशक टैगोर मिलो ने दी.
बाघ के विसरा की जांच के लिए सैम्पल इंस्टीट्यूट ऑफ एनीमल हेल्थ एंड वेटनरी बायोलॉजिकल्स में भेजे गए. सैम्पल की जांच के बाद आई रिपोर्ट में पता चला है कि बाघ के इस बच्चे के पेट में ई कोलाई और सैलमोनेला बैक्टीरिया का संक्रमण हुआ था. बाघ के खून के सैम्पल भी जांच के लिए भेजे गए हैं. पार्क के निदेशक के मुताबिक डॉक्टरों की एक टीम पार्क में गई है. हालांकि फिलहाल और किसी बाघ में बीमारी के लक्षण नहीं दिखे हैं.
इस पार्क में पिछले हफ्ते ही तीन बाघ बूढ़े होकर मर गए जबकि एक बाघ का बच्चा डायरिया का शिकार होकर मारा गया. लगातार हो रही बाघ की मौतों ने बाघ संरक्षण में जुटे लोगों की चिंता बढ़ा दी है. जंगल में आमतौर पर बाघों की आयु 15-16 साल होती है जबकि चिड़ियाघर में पाले जाने वाले ज्यादातर बाघ 16-20 साल तक जीवित रहते हैं. बनरघट्टा नेशनल पार्क में सफेद बाघ और शेरों के अलावा तेंदुए भी रहते हैं. पार्क के भीतर एक चिड़ियाघर और अलग से तितलियों का पार्क भी है.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः महेश झा