भारतीय अर्थव्यवस्था ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ा
२१ दिसम्बर २०१६फोर्ब्स पत्रिका के मुताबिक, "2016 में यूके की जीडीपी 1870 अरब डॉलर थीं, वहीं भारत की जीडीपी 2300 अरब डॉलर रही." 150 साल बाद यह पहला मौका है जब भारतीय अर्थव्यवस्था ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ा है. पहले अनुमान लगाया गया था कि भारत 2020 तक ब्रिटेन को पीछे कर देगा. लेकिन इसी साल हुए ब्रेक्जिट के चलते ब्रिटिश इकोनॉमी को खासी चपत लगी. पाउंड ने गोता खाया. वहीं भारत की विकास दर तेज बनी रही और वह छठे नंबर पर पहुंच गया.
रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में भी ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. आर्थिक विकास की रफ्तार 1.8 फीसदी से गिरकर 1.1 फीसदी हो जाएगी. वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर छह से आठ फीसदी बने रहने का अनुमान है. जीडीपी के मामले में भारत ब्रिटेन से आगे भले ही निकल गया हो लेकिन प्रति व्यक्ति आय के मामले में देश काफी पीछे है.
भारत से आगे अब अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी और फ्रांस हैं. फोर्ब्स ने इस आर्थिक विकास का श्रेय 1991 में किये गए आर्थिक सुधारों को दिया है. 1991 में मनमोहन सिंह देश के वित्त मंत्री थे. खस्ताहाल हो चुकी भारतीय अर्थव्यस्था को दुरुस्त करने के लिए मनमोहन सिंह ने उदारवादी नीतियां अपनाई. उन्होंने भारत के बाजार को प्रतिस्पर्धी बनाया और उसे् अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए खोल दिया. बाद में वाजपेयी सरकार और फिर प्रधानमंत्री बने मनमोहन सिंह ने इन सुधारों को आगे बढ़ाया.
भारत की आधी से ज्यादा आबादी 35 साल से कम उम्र की है. वहीं चीन और दूसरे विकसित देश बूढ़ी होती आबादी की समस्या से जूझ रहे हैं. अनुमान है कि भारत विशाल मानव संसाधनों के चलते 2022 तक जापान, जर्मनी और फ्रांस को भी पीछे छोड़ देगा.