भारतीय मूल के इन चेहरों को मिली बोरिस जॉनसन कैबिनेट में जगह
२५ जुलाई २०१९बोरिस जॉनसन की नई कैबिनेट में प्रीति पटेल सबसे ताकतवर पद पर हैं. उन्होंने ब्रिटेन की पहली भारतीय मूल की गृह मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला है. इस मौके पर उन्होंने कहा, "मैं अपने देश की सुरक्षा के लिए हर वो काम करूंगी जो मुझे करना चाहिए." प्रीति भारतीय मूल की हैं. उनके माता-पिता गुजरात से नाता रखते हैं. इनका परिवार पहले यूगांडा गया और फिर 1970 के दशक में वे ब्रिटेन चले आए. यहीं प्रीति का जन्म हुआ था.
प्रीति 2010 में कंजर्वेटिव पार्टी से चुनाव जीतकर ब्रिटिश संसद पहुंची थीं. 2014 में वे वित्त मामलों की जूनियर मंत्री बनीं. 2015 के आम चुनाव के बाद वे रोजगार मंत्री बनीं. 2016 में उन्हें अंतरराष्ट्रीय विकास मंत्रालय मिला. इसी साल उन्होंने ब्रिटेन को यूरोपीय यूनियन से अलग करने के लिए अभियान चलाया था और तत्कालीन प्रधानमंत्री टेरीजा मे की ब्रेजिक्ट नीतियों का मुखर विरोध किया था. नवंबर 2017 में अपनी इस्राएल यात्रा के चलते विवाद में फंसने के बाद प्रीति पटेल को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. ब्रिटेन में होने वाले सभी प्रमुख भारतीय कार्यक्रमों में वे एक प्रमुख अतिथि होती हैं. उन्हें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थक के रूप में भी देखा जाता है.
आलोक शर्मा को बोरिस जॉनसन की कैबिनेट में अंतरराष्ट्रीय विकास मंत्री नियुक्त किया गया है. ये भी भारतीय मूल के हैं. इनका जन्म उत्तर प्रदेश के आगरा में हुआ था. हालांकि 5 वर्ष की उम्र में ही वे अपने माता-पिता के साथ ब्रिटेन आ गए थे. इन्होंने सैलफोर्ड विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी की.
वर्ष 2010 में रीडिंग वेस्ट से चुनाव जीतने से पहले आलोक चार्टर्ड अकाउंटेंट के तौर पर काम कर रहे थे. 2016 में उन्हें टेरीजा मे सरकार में विदेश और राष्ट्रमंडल कार्यालय में संसदीय सचिव नियुक्त किया गया था. 2017 में उन्हें समुदाय और स्थानीय सरकार के विभाग में आवास और योजना मंत्री बनाया गया. 2018 में वे रोजगार मंत्री बने. इस बार उन्होंने प्रधानमंत्री के लिए बोरिस जॉनसन का समर्थन किया.
ऋषि सुनक को ट्रेजरी का मुख्य सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है. यह ट्रेजरी का तीसरा सबसे अहम पद है. लंदन के ऑक्सफोर्ड और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने वाले 38 वर्षिय ऋषि सुनक 2015 में रिचमंड (यॉर्क) से संसद सदस्य के रूप में चुने गए थे. ये कंजरवेटिव पार्टी के सदस्य हैं. ऋषि भारत की जानी-मानी कंपनी इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति और लेखिका सुधा मूर्ति के दामाद हैं. कैलिफोर्निया में ऋषि की मुलाकात अक्षता मूर्ति से हुई थी और बाद में दोनों ने शादी कर ली थी. इनका खुद का व्यवसाय भी है. इन्होंने एक अरब पाउंड की वैश्विक निवेश फर्म की स्थापना की और छोटे ब्रिटिश व्यवसायों में निवेश करने में विशेषज्ञ हैं. अन्य भारतीय मूल के नेताओं की तरह इनका भी मानना था कि ब्रिटेन को यूरोपीय संघ से अलग हो जाना चाहिए.
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