भारत चीन रिश्ते मजबूत करने पर जोर
२७ मई २०१०भारतीय राष्ट्रपति के दौरे पर दोनों देशों के बीच कई संधियां हुईं. चीनी टेलीविज़न के अनुसार पाटिल और हू की उपस्थिति में इन संधियों पर हस्ताक्षर हुए. और कोई ब्यौरा नहीं दिया गया. इससे पहले भारतीय विदेश सचिव निरुपमा राव ने भी कहा था कि हस्ताक्षर के लिए कई संधियों पर चर्चा चल रही है, लेकिन उनके बारे में विस्तार से नहीं बताया था.
प्रतिभा पाटिल ने कहा कि वे चाहती हैं कि व्यापारिक और आर्थिक आदान प्रदान के साथ साथ महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मसलों पर दोनों देश आपसी परामर्श भी बढ़ाएं. भारतीय राष्ट्रपति ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के सुधार और जलवायु परिवर्तन को रोकने के संघर्ष में पारस्परिक सहयोग पर ज़ोर दिया.
चीन के सरकारी मीडिया के अनुसार चीन के प्रधानमंत्री वेन चियापाओ ने कहा कि विश्व के दो बड़े विकासशील देशों के संबंधों में प्रगति दोनों देशों की जनता के हित में है. भारत और चीन दोनों ही इस समय सबसे तेज़ आर्थिक प्रगति कर रहे देशों में शामिल हैं, लेकिन उनका आपसी व्यापार इसके अनुरूप नहीं है. 2008 में दोनों देशों का आपसी कारोबार 52 अरब डॉलर हो गया था लेकिन 2009 में आर्थिक संकट के कारण घटकर 43 अरब डॉलर पर आ गया.
चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी है लेकिन दोनों देशों के राजनीतिक रिश्ते अनसुलझे सीमा विवाद के कारण तनावपूर्ण या ठंडे रहे हैं. पिछले दिनों भारत ने जासूसी के डर से चीन से संचार तकनीक का आयात रोक दिया था. इसकी वजह से मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में विवाद भड़क गया था.
राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का यह दौरा पिछले एक दशक में किसी भारतीय राष्ट्रपति का पहला चीन दौरा है. उनके साथ वरिष्ठ राजनीतिज्ञ और 60 उद्योगपति भी चीन गए हैं. पाटिल अपने छह दिवसीय चीन दौरे पर शंघाई की विश्व प्रदर्शनी एक्सपो 2010 भी देखने जाएंगी.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: ए कुमार