भारत-बांग्लादेश सीमा व्यापार भी कोरोना की चपेट में
१२ मई २०२०भारत और बांग्लादेश के आपसी रिश्ते किसी से छिपे हैं. खासकर पश्चिम बंगाल और इस पड़ोसी देश (पहले पूर्वी बंगाल) के बीच तो भाषा, संस्कृति, खान-पान और रहन-सहन की काफी समानताएं हैं. लेकिन अब कोरोना की काली छाया इस रिश्ते पर भी पड़ने लगी है. केंद्र सरकार के निर्देश के बावजूद पश्चिम बंगाल सरकार ने कोरोना संक्रमण के डर से पेट्रापोल सीमा चौकी से होकर बांग्लादेश के साथ सड़क मार्ग से सीमा व्यापार रोक दिया है. इसकी बजाय उसने वैकल्पिक रेल मार्ग से जरूरी वस्तुओं की आवाजाही का प्रस्ताव दिया है. फिलहाल इस मुद्दे पर और केंद्र और राज्य में गतिरोध जस का तस है. भारत और बांग्लादेश के बीच सालाना लगभग नौ अरब के सीमा व्यापार का साठ फीसदी इसी पेट्रापोल सीमा से होता है. राज्य सरकार ने कूचबिहार जिले के चेंग्ड़ाबांधा सीमा से होकर बांग्लादेश गए दर्जनों ट्रकों को भी क्वारंटीन पूरा नहीं करने तक वापसी से रोक दिया है.
कोलकाता से सटे उत्तर 24-परगना जिले के पेट्रापोल होकर लगभग डेढ़ महीने बाद 30 अप्रैल को सीमा व्यापार शुरू हुआ था. लेकिन संक्रमण के अंदेशे से स्थानीय लोगों के विरोध प्रदर्शन के बाद तीन-चार दिनों बाद ही इसे रोक दिया गया था. नतीजतन सीमा पर सैकड़ों की तादाद में ट्रक फंसे हैं. केंद्र सरकार राज्य सरकार को पत्र लिख कर सीमा व्यापार को शीघ्र चालू करने की बात कह चुकी है. लेकिन राज्य सरकार की दलील है कि स्थानीय लोगों में फैले डर को देखते हुए फिलहाल इसके लिए वैकल्पिक रूट तलाशना होगा. सरकार ने केंद्र को सामानों की आवाजाही के लिए गेदे-दर्शना रेल मार्ग का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया है. लॉकडाउन से पहले कोलकाता व ढाका के बीच चलने वाली मैत्री एक्सप्रेस गेदे-दर्शना रूट से होकर ही चलती थी. गेदे पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में है.
केंद्र राज्य के झगड़े में अंतरराष्ट्रीय रिश्ते
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बंगाल के मुख्य सचिव को भेजे एक पत्र में भारत-बांग्लादेश सीमा होकर जरूरी वस्तुओं की ढुलाई की अनुमति नहीं देने के लिए राज्य सरकार की खिंचाई करते हुए कहा था कि इससे अंतरराष्ट्रीय जटिलताएं पैदा होंगी. पत्र में कहा गया था कि केंद्र के बार-बार कहने के बावजूद भारत-बांग्लादेश सीमा से जरूरी वस्तुओं से लदे ट्रकों को सीमा पार नहीं जाने दिया जा रहा है. बंगाल के गृह सचिव आलापन बनर्जी कहते हैं, ‘‘इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य के बीच बातचीत चल रही है. पेट्रापोल सीमा चौकी से होकर व्यापार की अनुमति देने पर कोरोना वायरस के फैलने की आशंका है. हम तमाम पहलुओं पर विचार करने के बाद कोई फैसला करेंगे. अभी कई मुद्दों पर विचार करना जरूरी है.”
बीते 25 मार्च से अचानक हुए लॉकडाउन के बाद से ही पेट्रापोल सीमा के दोनों ओर ट्रकों की लंबी लाइन लगी है और सामानों से भरे ट्रकों के साथ ड्राइवर और दूसरे कर्मचारी यहां फंसे हुए हैं. केंद्र सरकार ने बीते 30 अप्रैल को इसे अचानक खोलने का फैसला किया. उसके बाद से ही स्थानीय लोग और सामानों की लोडिंग-अनलोडिंग करने वाले मजदूरों ने इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने कस्टम और दूसरे सरकारी दफ्तरों में ताला लगा दिया और सड़क जाम कर दी. उसके बाद राज्य सरकार ने कानून व व्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए सीमा व्यापार रोकने का फैसला किया. दक्षिण एशिया में सड़क मार्ग पर स्थित इस सबसे बड़ी चौकी से होकर सालाना डेढ़ लाख से ज्यादा ट्रक सीमा पार करते हैं. इस चौकी से होकर हर साल पंद्रह लाख लोग आवाजाही करते हैं.
इस सीमा चौकी से अरबों का कारोबार
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पेट्रापोल सीमा चौकी खोलने के केंद्र के फैसले पर भारी नाराजगी जता चुकी हैं. उन्होंने आशंका जताई थी कि केंद्र सरकार ने उक्त फैसला करने से फैसले राज्य सरकार के साथ सलाह-मशविरा नहीं किया. इस सीमा चौकी से होकर बड़े पैमाने पर ट्रकों की आवाजाही से संक्रमण तेजी से फैलने का खतरा है. राज्य सरकार का कहना है कि केंद्र के एकतरफा फैसले के बाद कुछ दिनों तक पेट्रापोल होकर सीमा व्यापार की अनुमति दी गई थी. लेकिन स्थानीय लोगों के भारी विरोध की वजह से इसे बंद कर देना पड़ा था. एक सरकरी अधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, "सीमा पार से आने वाले संक्रमण को रोकने के लिए इसके अलावा कोई उपाय नहीं था.”
बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है. वर्ष 2018-19 के दौरान भारत ने बांग्लादेश को 9.21 अरब अमेरिकी डालर की वस्तुओं का निर्यात किया था जबकि इसी दौरान बांग्लादेश से होने वाला आयात 1.22 अरब डालर का था. इस सीमा से होकर भारत धागों के अलावा वाहनों के चैसिस, नान-एलाय स्टील, आयरन और स्टील उत्पाद, फैब्रिक्स, सिंथेटिक फाइबर दो-पहिया वाहन, जूट के बीज, मशीनों के पुर्जों, पुस्तकों, कागज और खाद्य उत्पादों का निर्यात करता है. उधर, बांग्लादेश से जूट, मशहूर जामदानी साड़ियां, रेडीमेड कपड़े, सुपारी और चावल की भूसी यानी राइस ब्रान का आयात किया जाता है.
कोरोना संक्रमण का डर
पेट्रापोल से सटे स्थानीय गांवों के लोगों का दावा है कि सीमा पार स्थित बेनापोल में इस वायरस की चपेट में आने वालों की तादाद बहुत ज्यादा है. ट्रक लोडिंग-अनलोडिंग मजदूर यूनियन के कार्यवाहक अध्यक्ष अमित कुमार बसु कहते हैं, "कुछ व्यापारियों ने अपने हितों की रक्षा के लिए निर्यात शुरू किया था. लेकिन सीमा पार बड़े पैमाने पर कोरोना फैला है. सीमा व्यापार को तुरंत नहीं रोकने की स्थिति में इस पार भी संक्रमण फैल सकता है.” पेट्रापोल क्लीयरिंग एजेंट स्टाफ वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव कार्तिक चक्रवर्ती कहते हैं, "सीमा पार कोरोना का भारी आतंक है.
तृणणूल कांग्रेस के कब्जे वाली स्थानीय छयघरिया ग्राम पंचायत के रहने वाले सुमित कर्मकार कहते हैं, "बांग्लादेश के बेनापोल में कोरोना के सैकड़ों मरीज हैं. हमारा गांव बेनापोल से कुछ ही दूरी पर है. सीमा व्यापार जारी रहने पर संक्रमण के इधर भी फैलने का खतरा है.” अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार पन्ना लाल सेनगुप्ता कहते हैं, "सीमा व्यापार की अनुमति नहीं देने के राज्य सरकार के फैसले का बांग्लादेश के साथ आपसी रिश्तों पर प्रतिकूल असर पड़ने का अंदेशा है. लेकिन राज्य सरकार की चिंता भी अपनी जगह जायज है. केंद्र व राज्य को इस मुद्दे पर आपसी बातचीत के जरिए गतिरोध दूर करने की पहल करनी चाहिए.”
__________________________
हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore