महिलाएं कर सकेंगी बिना 'अभिभावक' हज
२१ जुलाई २०२१पाकिस्तानी मूल की 35 वर्षीय बुशरा शाह का कहना है कि हज पर मक्का जाने से उनके बचपन का एक सपना पूरा हो गया. नए नियमों के तहत वो हज बिना किसी पुरुष "अभिभावक" के कर रही हैं, जिन्हें "महरम' भी कहा जाता है. सऊदी अरब के हज मंत्रालय द्वारा लिया गया यह फैसला उन सामाजिक सुधारों का हिस्सा है जिन्हें रियासत के वास्तविक शासक क्राउन प्रिंस सलमान के आदेश पर लागू किया गया है.
सलमान सऊदी अरब की कट्टर इस्लामी छवि को बदलना चाह रहे हैं और तेल पर निर्भर अर्थव्यवस्था को भी खोलना चाह रहे हैं. उनके सत्ता में आने के बाद महिलाओं को गाड़ियां चलाने की और बिना किसी महरम के विदेश जाने की इजाजत दी गई है. हालांकि साथ ही देश में सलमान के आलोचकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी चल रही है. इन आलोचकों में महिला अधिकार कार्यकर्ता भी शामिल हैं.
'बचपन का सपना'
जेद्दाह स्थित अपने घर से हज के लिए निकलने से पहले बुशरा शाह ने बताया, "ये एक सपने के सच होने जैसा है. हज करना मेरे बचपन का सपना था." अपने पति और बच्चे के साथ हज करने से उनका ध्यान भटक जाता और "पूरी तरह से हज की रीतियों पर ध्यान देने में" बाधा होती. शाह उन 60,000 लोगों में शामिल हैं जिन्हें इस साल हज करने के लिए चुना गया है. कोरोना वायरस महामारी की वजह से लगातार दूसरे साल हज को नाटकीय ढंग से छोटा कर दिया गया है.
सिर्फ सऊदी अरब के नागरिक ही इसमें हिस्सा ले रहे हैं और उन्हें भी एक लॉटरी के जरिये चुना गया है. अधिकारियों ने कहा है कि इस साल श्रद्धालुओं में 40 प्रतिशत महिलाएं हैं. शाह कहती हैं, "मेरे साथ और भी कई महिलाएं आएंगी. मुझे बहुत गर्व है कि अब हम स्वतंत्र हैं और हमें किसी अभिभावक की जरूरत नहीं है." उनके पति अली मुर्तदा कहते हैं कि उन्होंने इस यात्रा को अकेले करने के लिए अपनी पत्नी को "पुरजोर प्रोत्साहन" दिया था.
सरकार ने इस साल हज में बच्चों के शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया है. 38 साल के मुर्तदा अपने बच्चे की देखभाल करने के लिए जेद्दाह में ही रहेंगे. वो कहते हैं, "हमने फैसला किया था कि हममें से किसी एक को जाना चाहिए. हो सकता है वो अगले साल गर्भवती हों या हो सकता है बच्चों को अगले साल भी शामिल ना होने दिया जाए." यह साफ नहीं हो पाया है कि महरम वाला प्रतिबंध मंत्रालय ने कब हटाया.
विरोध के संकेत
कुछ महिलाओं ने बताया है कि यात्रा एजेंसियां अभी भी हज के लिए बिना पुरुष साथी के महिलाओं के आवेदन मंजूर करने में हिचक रही हैं. कुछ ने तो अकेली महिलाओं के समूहों को मना करते हुए विज्ञापन भी निकाले. ये इस बात का संकेत है कि सऊदी अरब के अति रूढ़िवादी समाज में आ रहे सामाजिक बदलावों को कहीं कहीं विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है.
सऊदी राजधानी रियाध में रहने वाली मिस्री मूल की मारवा शकर कहती हैं, "बिना महरम के हज करना एक चमत्कार है." 42 वर्षीय मारवा तीन बच्चों की मां हैं और उन्होंने महामारी के पहले कई बार हज पर जाने की कोशिश की थी लेकिन वो असफल रही थीं. उनके पति पहले ही हज करके आ चुके थे और इतनी जल्दी दोबारा जाने की उन्हें अनुमति नहीं थी. एक नागरिक समाज संगठन के लिए काम करने वाली मारवा अब अपनी तीन दोस्तों के साथ मक्का जा रही हैं.
सीके/एमजे (एएफपी)