मोटापे ने बदला जर्मन ढांचा
१० अगस्त २०१२लिफ्ट में जब सातवां शख्स घुसने की कोशिश करता है तो वहां पहले से मौजूद लोग कहते हैं कि हां तुम भी आ जाओगे लेकिन वहां साफ साफ लिखा है कि केवल 450 किलो का वजन ही जा सकता है और सातवें शख्स का वजन उससे ज्यादा है. जाहिर है कि उसे रुक कर अगली बारी का इंतजार करना होगा. कुछ दशक पहले तक ऐसी स्थिति नहीं थी. तब सात लोगों का औसत वजन 450 किलो से ज्यादा नहीं होता था और यह अनोखी बात थी. लेकिन अब यह आम है.
जर्मनी में लिफ्ट बनाने वाली कंपनियां उसे फिर से डिजाइन करने में जुटी हैं जिससे कि आज का लिफ्ट भविष्य की बदली परिस्थिति में भी काम आ सके. तकनीकी सुरक्षा संगठन टीयूवी से जुड़े थोमास ओबर्स्ट कहते हैं, "बड़े दफ्तर वाली इमारतों में खास तौर से इसकी जरूरत महसूस की जा रही है." उच्चस्तरीय जीवनशैली ने जर्मन लोगों का औसत वजन बढ़ा दिया है. 1999 से 2009 आते आते औसत वजन में 2.1 किलो का इजाफा हुआ है.
अस्पतालों में बड़े बिस्तर
सांख्यिकी विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2009 में 1.72 मीटर (5 फीट छह इंच) की लंबाई वाले जर्मन का औसत वजन 75.6 किलोग्राम है. इस बढ़ोत्तरी की वजह से देश में सुरक्षा के कई मानकों को बदला जा रहा है. इसके साथ ही अलग अलग संस्थाओं और कारोबार को भी इसके हिसाब से बदलाव करने पर मजबूर होना पड़ रहा है. वुर्सबुर्ग में यूनिवर्सिटी क्लिनिक के ओबेसिटी सेंटर ने बड़े आकार की ऑपरेशन टेबल लगाई है. इसके साथ ही ज्यादा चौड़े बिस्तर और लिफ्ट भी लगाए गए हैं क्योंकि वजनी मरीजों की तादाद बड़ी तेजी से बढ़ रही है. यहां के सर्जन क्रिस्टियान यूरोविच कहते हैं, "हम और ज्यादा मोटे लोगों को क्लिनिक में भर्ती कर रहे हैं." ज्यादा वजनी मरीजों के पेट से जुड़े ऑपरेशन और ज्यादा जटिल हो जाते हैं.
यही हाल एरलांगेन की यूनिवर्सिटी क्लिनिक का भी है. क्लिनिक की आईसीयू में नर्सिंग स्टाफ की प्रमुख येन्स श्राइवर ने बताया, "वजनी मरीजों के लिए डबल एक्सएल साइज के बिस्तर की जरूरत पड़ती है." श्राइवर के मरीजों का वजन 200 किलोग्राम से ज्यादा होना आम बात है.
विमान की चौड़ी सीटें
वैसे जर्मन लोगों के मोटे होने से सिर्फ अस्पताल वाले और लिफ्ट कंपनियां ही नहीं, कुछ और लोग भी हैं. एयरलाइन उद्योग को भी इसका ख्याल रखना पड़ रहा है. एयरबस ने अपने सबसे विख्यात विमान ए320 में चौड़ी सीटें लगाई हैं. डिजाइन के हिसाब से 180 में से 60 सीटें ज्यादा चौड़ी बनाई गई हैं. यह सभी सीटें किनारे की हैं और उनमें पांच सेंटीमीटर ज्यादा जगह रखी गई है. एयरबस की प्रवक्ता सुजाना हरनकोवा ने कहा, "यात्री बड़े से और बड़े होते जा रहे हैं, खासतौर से बच्चे." वैसे एक सच्चाई यह भी है कि चौड़ी सीटें केवल मोटे यात्रियों के लिए ही नहीं हैं, बहुत सारे लोग ज्यादा चौड़ी जगह की मांग करते हैं जिससे कि सफर आराम से कटे. एयरबस ने तो विमान के टॉयलेट भी बड़े किए हैं.
बड़ी कार
शरीर के बढ़ते आकार और ज्यादा आराम की चाह को कार कंपनियों ने भी पहचाना है. अगली पीढ़ी के जर्मन अब से ज्यादा बड़े और भारी होंगे. ऐसे में पिछले कुछ दशकों से कार बानाने वाली कंपनियां इसके हिसाब से बदलाव कर रही हैं. बीएमडब्ल्यू के प्रवक्ता मिषाएल रेबश्टॉक ने कहा, "यह सच है कि कारें अपने सवारों के साथ आकार में बढ़ गई हैं." कार बनाने वाली एक और कंपनी आउडी के प्रवक्ता आरमिन गोएस ने भी इसकी पुष्टि की, "हर नया मॉडल पिछले की तुलना में बड़ा है. हम सीधे सीधे इस पर नहीं जा रहे कि लोग कितने मोटे हो रहे हैं लेकिन यह सच है कि हर 10 साल में लोग करीब 1.5 सेंटीमीटर के औसत से बढ़ रहे हैं."
एसयूवी (स्पोर्ट यूटिलिटी विहिकल) की लोकप्रियता बढ़ने के पीछे भी यही वजह काम कर रही है, "कार मालिक जब कार में हों तो जितना मुमकिन है उतना आराम चाहते हैं."
आर्किटेक्ट भी नए आकार के हिसाब से अपने पैमाने बदल रहे हैं. सीढ़ियों से लेकर बाथ टब तक और दरवाजे से लेकर गलियारों तक के आकार में नए जमाने के लोगों के लिए बदलाव को जगह दी जा रही है. जब इतना कुछ बदल रहा हो तो लोगों के कपड़े और पहनावों की तो बात करना भी बेमानी है.
एनआर/एमजी (डीपीए)