म्यांमार पर भारत की चुप्पी ठीक नहीं: ओबामा
८ नवम्बर २०१०ओबामा ने कहा कि म्यांमार का पड़ोसी देश होने के कारण भारत की बड़ी जिम्मेदारी है कि वह म्यांमार में सैन्य सरकार के दमन को नजरंजदाज न करे. उन्होंने म्यांमार में पिछले दो दशकों में पहली बार हो रहे चुनाव में नागरिक अधिकारों के हनन का जिक्र करते हुए कहा कि भारत और अमेरिका जैसे देशों को इसका मुखर विरोध करना चाहिए. ओबामा ने कहा "म्यांमार पर कभी कभी भारत चुप्पी साध लेता है जबकि इस तरह के मामलों में बोलना किसी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना नहीं होता है. बल्कि म्यांमार की आलोचना लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाने और आगे बढ़ाने के लिए जरूरी है."
उन्होंने कहा कि म्यांमार में मानवाधिकारों के हनन की आलोचना करना अमेरिका और भारत जैसे देशों की जिम्मेदारी है. जानकारों का मानना है कि रविवार को म्यांमार में हुए चुनाव वहां की सैन्य सरकार के पैर पहले से भी ज्यादा मजबूत कर देंगे.
इस दौरान ओबामा ने सुरक्षा परिषद में सुधार, आतंकवाद और खुली अर्थव्यवस्था के बारे में भी अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने कहा कि बीते 60 सालों में भारत की लगभग हर क्षेत्र में तरक्की सुरक्षा परिषद में उसकी सदस्यता की दावेदारी को मजबूत करता है. बदलते हालात के मद्देनजर अब सुरक्षा परिषद में भी बदलाव की जरूरत है और उम्मीद है कि भारत भी सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनेगा.
ओबामा ने भारत और अमेरिका की साझेदारी को बढ़ाने के बारे में दलील दी कि यह न सिर्फ दोनों देशों की बल्कि दुनिया की जरूरत है. यही वजह है कि भारत और अमेरिका में विपरीत विचारधारा वाली राजनीतिक पार्टियों के शासनकाल में भी इस दिशा में लगातार आगे बढ़ना जारी रखा गया. खासकर अपनी सरकार के बारे में उन्होंने कहा, "घरेलू स्तर पर हर तरह की चुनौतियों का सामना करने के बावजूद हमारी सरकार भारत के साथ आपसी सहयोग बढ़ाने पर कायम है और इस दिशा में बढ़ भी रही है. हमें विश्वास है कि यह भागीदारी 21 वीं सदी में दुनिया का नेतृत्व करेगी."
ओबामा ने भारत की तारीफ में जमकर कसीदे पढ़ते हुए कहा कि सामाजिक, आर्थिक और वैज्ञानिक तरक्की के साथ अपनी विरासत को संजो कर रखना भारत की ताकत का मूल कारण है. इसने उन्हें अभिभूत कर दिया.
ओबामा ने मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था की वकालत करते हुए कहा कि यह पूरी दुनिया के लिए एक साथ आगे बढ़ने का मौका देती है. साथ ही साफ सुथरी प्रतियोगिता का वातावरण भी इसी व्यवस्था में बन सकता है. इसी से सामाजिक और आर्थिक असमानता से भी निपटने में मदद मिल सकती है. संसद के दोनों सत्रों को संबोधित करने वाले पांचवें अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में ओबामा ने भारत की हर क्षेत्र में हासिल की गई उपलब्धियों का हवाला दिया और कहा, "भारत अब उभरता हुआ देश नहीं रह गया है बल्कि दुनिया के नक्शे पर छा गया है."
आतंकवाद पर भी ओबामा ने कहा कि सबको इसके खिलाफ एकजुट होना होगा. उन्होंने दुनिया से आतंक का नेटवर्क खत्म करने का भरोसा जताया. इस दौरान ओबामा ने मुंबई हमले में मारे गए लोगों के प्रति शोक व्यक्त किया. अपने भाषण का अंत जय हिंद से करते हुए ओबामा ने भारत में उनके शानदार स्वागत के लिए शुक्रिया अदा किया और कहा कि वह इस यात्रा से अभिभूत हो गए.
रिपोर्टः एजेंसियां/निर्मल
संपादनः ए कुमार