म्यांमार सरकार में विपक्ष को भी जगह मिले: यूएन
५ फ़रवरी २०११बान की मून के प्रवक्ता फरहान हक ने एक बयान में कहा कि महासचिव ने नए राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपतियों के चुनाव की घोषणा पर ध्यान दिया है. उन्होंने कहा, "महासचिव को उम्मीद है कि यह घोषणा यथास्थिति में परिवर्तन की शुरुआत है. यह म्यांमार के लिए महत्वपूर्ण अवसर है."
प्रवक्ता ने कहा कि बान की मून को उम्मीद है कि म्यांमार में एक व्यापक नागरिक सरकार का गठन किया जाएगा जिसमें राष्ट्रीय सहमेल के लिए मायने रखने वाली सभी पार्टियों का प्रतिनिधित्व होगा. म्यांमार में नवंबर में संसदीय चुनाव हुए थे, जिनमें विपक्षी नेता आउंग सान सू ची को भाग नहीं लेने दिया गया था. पश्चिमी देशों ने चुनाव की आलोचना करते हुए उसे नाटक करार दिया था.
कौन हैं थाइन साइन
थाइन साइन सैनिक शासक थान श्वे के महत्वपूर्ण सहयोगी हैं और वह पूर्व में देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं. चुनाव से पहले उन्होंने सेना से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने सेना समर्थक एकजुटता और विकास पार्टी के प्रमुख की हैसियत से चुनाव लड़ा था. गंभीर विपक्षी चुनौती के बिना हुए चुनाव में पार्टी को भारी बहुमत मिला. पार्टी ने चुनाव वाली 80 फीसदी सीटें जीतीं. इसके अलावा संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार एक चौथाई सीटें सेना के लिए सुरक्षित हैं.
थाइन साइन 1968 में सेना अकादमी पास कर सेना में भर्ती हुए. वह 2007 में देश के प्रधानमंत्री बने. प्रधानमंत्री के रूप में उनकी मुख्य भूमिका अंतरराष्ट्रीय मंच पर सैनिक शासन का प्रतिनिधित्व करने की रही. पड़ोसी भारत और चीन की राजकीय यात्रा की जिम्मेदारी 78 वर्षीय जनरल थान श्वे की रही.
बर्मा मानवाधिकार शिक्षा संस्थान के निदेशक आउंग म्यो मिन का कहना है कि थाइन साइन का चुनाव म्यांमार पर सेना के सख्त नियंत्रण का परिचायक है. इसके अलावा दो उप राष्ट्रपतियों में एक सेना का है और दूसरा सत्ताधारी यूएसडीपी पार्टी का है.
म्यांमार संविधान के अनुसार देश का शासन एक राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद चलाएगी जिसका संयुक्त नेतृत्व राष्ट्रपति और सेना प्रमुख के हाथ में होगा. विपक्षी नेता आउंग सान सू ची का कहना है कि सरकार का मुख्य पद राष्ट्रपति ने होकर सेना प्रमुख का है. सीनियर जनरल थान श्वे पर्दे के पीछे से सरकार का नियंत्रण करते रहेंगे.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: वी कुमार