येल यूनिवर्सिटी में शाहरुख का जलवा
१४ अप्रैल २०१२कलाकार की जिंदगी दो बांस पर बंधी एक रस्सी पर चलने के बराबर है, यह मानना है शाहरुख खान का. "मुझे संतुलन बनाना होता है कि मैं जो करूं, अपनी पूरी ईमानदारी के साथ करूं. लोग क्या कहतें हैं या उनकी क्या प्रतिक्रिया है, उस ओर ध्यान न दूं." यूनिवर्सिटी के छात्रों को संबोधित करते हुए एसआरके ने कहा कि वह फिल्में करते हैं क्योंकि उन्हें उसमे मजा आता है और जब तक उन्हें मजा आता रहेगा, वह तब तक फिल्में करते रहेंगे.
सम्मान प्राप्त करने वाले शाहरुख खान पहले भारतीय अभिनेता हैं. उनको यह फेलोशिप मनोरंजन की दुनिया में उनके योगदान तथा बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यों के लिए दी गई.
चाहने वालों का उत्साह
शाहरुख खान की लोकप्रियता का आभास हॉल के बाहर ही दिखाई दे रहा था. ठंडा मौसम और बारिश की फुहारें भी शाहरुख के चाहने वालों को घंटो का इंतजार करने से रोक नहीं पाईं. दोपहर से हॉल के बाहर लम्बी कतार जमा होने लगी. शाहरुख के चाहने वाले यह जानने के लिए बेताब थे कि उन्हें इतनी देर क्यों हो गई. उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि शाहरुख को एयरपोर्ट पर आप्रवासन जांच के दौरान रोक लिया गया है.
लोग शाहरुख को देखने के लिए दूर दूर से आए. लाइन में इंतजार कर रही पाकिस्तानी मूल की फरजाना मख्तूम बॉस्टन से अपनी बेटी के साथ यहां पहुंची. फरजाना का कहना है कि शाहरुख बहुत अच्छे इंसान हैं और वह जैसी फिल्में करते हैं उनकी कोई सरहद नहीं होती है.
प्यार की भाषा
शाहरुख ने भी अपने चाहने वालों को निराश नहीं किया. कभी शरारत के साथ तो कभी खुद अपना मजाक उड़ाते हुए उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि वे असफलताओं से न डरें क्योंकि वही उन्हें कामयाबी की ओर ले जाएंगी, "दुनिया आपके साथ निष्ठुर हो सकती है, आपको समझने में समय लगा सकता है. पर उस समय आप अपने मन की आवाज सुनें, अपने आप को पहचानें. आपका हौसला ही आपको परिस्थिती का सामना करने की शक्ति देगा." उन्होंने कहा, "लोग बदल जातें हैं, सपने बदल जातें हैं. मेरे भी सपने बदलें हैं, लेकिन जो काम मैं अच्छी तरह से कर सकता हूं, वह करता रहूंगा."
बॉलीवुड फिल्मों पर बात करते हुए उन्होंने कहा, "हमारी फिल्में मनोरंजन से भरपूर होती हैं. एक ऐसा माध्यम हैं जो इंसानी रिश्तों को, आपसी प्रेम को दिखाती हैं और मैं मानता हूं कि प्यार की भाषा पूरी दुनिया समझती है." शाहरुख ने जर्मनी का उदाहरण दिया जहां उनकी फिल्में काफी लोकप्रिय हैं. उन्होंने एक 60 वर्षीय महिला से पूछा कि हिंदी फिल्में क्यों पसंद हैं तो उनका उत्तर था, "हमारे पास बटन हैं कार चलाने के, बटन हैं मशीन चलाने के, लेकिन हमारे पास आंसू बहाने का बटन नहीं है और आप हमें वह बटन देते हैं. आप हमें भावनाएं व्यक्त करने का मौका देते हैं. हम कहीं के भी क्यों न हों, लेकिन हम सब रोते हैं, हंसते हैं, प्यार करते हैं."
शाहरुख ने दर्शकों की मांग पर अपनी फिल्म डॉन के डॉयलॉग बोले. साथ ही रा.वन के गानों पर न केवल खुद नाचे, बल्कि स्टेज पर लोगों को भी नचाया और अपने चाहने वालों को दीवाना बना दिया.
रिपोर्ट: अम्बालिका मिश्रा, न्यूयॉर्क
संपादन: ईशा भाटिया