रामदेव पर हुई कार्रवाई से अमेरिकी भारतीय भी नाराज
५ जून २०११बाबा रामदेव के समर्थक केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में फैले हुए है. अमेरिका के करीब 25 शहरों में लोग बाबा के समर्थन में उतरे. शिकागो, बॉस्टन, न्यूयॉर्क, सेन फ्रांसिस्को और वॉशिंगटन समेत कई शहरों में बैठकें आयोजित की गई, जहां इस बात पर चर्चा की गई कि किस तरह से लोग भारत के बाहर रह कर भी देश में भ्रष्टाचार ने निपटने में सहयोग दे सकते हैं. अधिकतर शहरों में लोग भारतीय टेलीविजन चैनलों के जरिए बाबा के अनशन की लाइव कवरेज देखते रहे.
सरकार की निंदा
भीष्म अग्निहोत्री प्रवासी भारतीयों के लिए भारत के पूर्व राजदूत रह चुके हैं और 'भारत स्वाभिमान ओवरसीज' के निदेशक हैं. हसटन में एक बैठक में शनिवार रात रामलीला मैदान में की गई पुलिस कार्रवाई के बारे में उन्होंने कहा, "भारतीय समुदाय इसकी निंदा करता है. हम सभी से आग्रह करते हैं कि भारत में लोकतंत्र स्थापित करने के लिए इस आंदोलन में हमारा साथ दें." सरकार की निंदा करते हुए अग्निहोत्री ने कहा, "यह बाबा रामदेव और उनके समर्थकों के साथ धोकेबाजी जैसा है. वे लोग वहां केवल सरकार के सामने अपनी मांगें रखने आए थे ताकि भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ किया जा सके. दुनिया भर में हम भारतीय मूल के लोग इस घटना के कारण सकते में हैं, हम शर्मिंदा हैं और हमें ताकत के इस नग्न प्रदर्शन से बहुत दुख पहुंचा है. किसी भी तरह की सफाई इस निंदनीय घटना को सही नहीं ठहरा सकती."
लोगों का साथ
सिलिकॉन वैली में बाबा रामदेव के समर्थन में आए भारतीय मूल के अमेरिकी खंडे राव कांड ने कहा, "यह बेहद चौंका देने वाली बात है कि कांग्रेस भरष्टाचार के खिलाफ शांति से प्रदर्शन कर रहे लोगों के साथ ऐसा सलूक कर रही है. यह घटना 1975 के आपातकाल की याद दिला रही है जब मानवाधिकारों का हनन हो रहा था."
बॉस्टन में भी एक बैठक आयोजित की गई, जहां अमेरिका के अलावा केन्या से भी लोगों ने हिस्सा लिया. बैठक आयोजित करने वाले अजय वर्मा ने कहा, "हाल के सालों में इतने आर्थिक सुधारों के बाद भी देश में हर स्तर पर भ्रष्टाचार और घोटाले देखे गए हैं. यह हमारे समाज को सड़ा रहा है. बाबा रामदेव की भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ आवाज उठाने और लोगों में जागरूकता फैलाने की मुहिम एक आशा की किरण जैसी है." वर्मा ने कहा कि यह समझना मुश्किल है कि आखिर सरकार को ऐसा करने की जरूरत क्यों पड़ी, "अगर कोई इंसान समाज के भले के लिए कुछ अच्छा करना चाह रहा है तो उसमें हर्ज ही क्या है. हम ऐसे आंदोलनों का समर्थन करते रहेंगे."
रिपोर्ट: पीटीआई/ईशा भाटिया
संपादन: ओ सिंह