रूप की रानी ‘सिसी’ पर जान छिड़कते थे जर्मन
१५ सितम्बर २०२३ऑस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्य की रानी एलिजाबेथ, 1898 में वियना में शाही समारोहों से बचने के लिए कुछ दिन के लिए जिनेवा झील के पास पहचान छिपाकर रहने गई थी. पैडल वाले स्टीमर से उनका सफर 10 सितंबर के लिए तय था.
अपनी सहायिका के साथ रानी ने झील के किनारे स्थित बू खिराज होटल छोड़ा था. प्रोमेनेड झील पर उनका हत्यारा उनसे टकराया. उसने उन पर कूदकर एक नुकीला सूआ घोंप दिया और वो गिर गईं. कोचवान ने उन्हें उठाया. वो बोलीं, "कुछ नहीं हुआ. जल्दी करो वरना नाव छूट जाएगी."
वो ऐसे चलती रहीं मानो कुछ हुआ ही न हो और जाकर स्टीमर में बैठ गई. लेकिन जैसे ही वो चलने को हुआ, वो गिर पड़ीं. उन्हें फिर वापस होटल लाया गया, जहां, मृत्यु प्रमाण पत्र के मुताबिक, उनकी मौत रात दो बजकर चालीस मिनट पर हुई. वो 60 साल की थीं.
हजारों साल बाद भी कायम नेफरतिती का जादू
इटली के अराजकतावादी लुइजी लुकेनी ने रानी के दिल पर सुआ घोंपा था. उसे कुलीनों और रईसों से नफरत थी. वह पहले इतालवी राजा उम्बर्टो प्रथम को मारना चाहता था लेकिन इटली जाने लायक पैसे उसके पास नहीं थे. फिर उसने एक फ्रांसीसी रईस, फिलिप मैरी डीओरलियंस की हत्या की साजिश बनाई लेकिन उसके लिए जिनेवा जाने की योजना जल्द ही रद्द कर दी. आखिरकार सिसी ही उसका शिकार बनी.
रानी की हत्या के साथ ही एक असाधारण महिला के जीवन का अंत भी हुआ जो ना सिर्फ अपनी सुंदरता के लिए विख्यात थी बल्कि अपनी आजाद शख्सियत और मानवीय गतिविधियों के लिए भी जिसका बड़ा नाम था. उनकी मौत से एक युग का अंत हुआ और हाब्सबुर्ग साम्राज्य के इतिहास में एक रिक्त स्थान बन गया.
सिसी आज भी है एक किंवदंती स्त्री
24 दिसंबर 1837 को, 185 साल पहले पैदा हुई रानी एलिजाबेथ, ‘सिसी' नाम से मशहूर थी. अपने पति, महाराजा फ्रांत्स योसेफ के साथ मिलकर उन्होंने ऑस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्य पर राज किया था.
अपनी बेपनाह खूबसूरती के लिए मशहूर रानी को यूरोप की सबसे आकर्षक महिला माना जाता था. हैरानी नहीं कि फ्रांत्स योसेफ बवेरिया इलाके की उस राजकुमारी से शादी करना चाहता था. इतिहासकार मानते हैं कि दो प्रेमियों का वो मिलन उस दौर में बिल्कुल असामान्य घटना थी.
प्रसिद्ध शाही जोड़े के बारे में बहुत सारी फिल्में बनी हैं. इस सूची में हाल में नेटफ्लिक्स पर आई सीरीज "द एम्प्रेस" भी शामिल हो गई. प्रेमी युगल की कहानी का सबसे प्रसिद्ध रूपांतर 1950 के दशक में सामने आया था जब रानी के बारे में एक फिल्म त्रयी में अभिनेत्री रोमी श्नाइडर ने सिसी की भूमिका निभाई थी. ये फिल्म तबसे हर साल क्रिसमस के मौके पर दिखायी जाने वाली क्लासिक के रूप में जर्मनी के सैकड़ों, हजारों घरों में देखी जा चुकी है.
एक रोमांटिक उपन्यास ऋंखला पर आधारित, नेटफ्लिक्स की "द एम्प्रेस" सीरीज युवा रानी की प्रेम कहानी पर केंद्रित है. दूसरे रूपांतरों में एलिजाबेथ को एक आधुनिक स्त्री के रूप में पेश किया गया है.
जैसे कि, ऑस्ट्रियाई फिल्मकार मैरी क्रुएत्सर की ऑस्कर नामांकित फिल्म "कोरसाज" (2022) यह दिखाती है कि अपनी जिंदगी शाही महल के हवाले करना एलिजाबेथ के लिए कितना मुश्किल रहा होगा जिसमें उनके पास बहुत कम आजादी या राजनीतिक प्रभाव बचा रह गया था. सिसी महज अपनी सुंदरता के दम पर सत्ता में आई थी, लिहाजा सुंदर बने रहना ही उसने अपना मिशन बना लिया.
#वो लड़की एलिजाबेथ
रोजाना दो घंटे वह अपने बाल संवारती थी और उसने खुद को एक सख्त फिटनेस रुटीन में ढाला हुआ था. 19वीं सदी की शुरुआत में ऑस्ट्रिया की रानी एलिजाबेथ अपने यौवन, सौंदर्य और हैसियत को यथासंभव संरक्षित रखने के लिए हर दिन मेहनत करती थी.
उपन्यासकार कारेन डुवे का इस साल इंग्लैंड और आयरलैंड में "सिसी" नाम से एक उपन्यास प्रकाशित हुआ है. वो कहती हैं कि फिटनेस और सौंदर्य निखार को लेकर रानी की आकांक्षा में, इतिहास के उस दौर की चेतना अभिव्यक्त होती थी.
दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाली अफ्रीका की रानियां
वो कहती हैं, "सिसी 150 साल पहले ठीक वही सब करती रही थी जो आज के दौर में सामान्य चीजें मानी जाती हैं. जैसे कि, वेटलिफ्टिंग यानी वजन उठाकर खुद को चुस्त-दुरुस्त रखना, अपनी सुंदरता को यथासंभव लंबे समय तक बनाए रखने के लिए सब कुछ करना, यहां तक कि चिर यौवन पाने के लिए अपनी सेहत को भी खतरे मे डाल देना."
ऐतिहासिक और समकालीन जर्मन साहित्य में बहुत सारी पुरस्कृत और बेस्टसेलिंग रचनाएं देने वाली उपन्यासकार कारेन के मुताबिक रानी की खुद को बेहतरीन बनाए रखने की अटूट जिद की कथा, आधुनिक ऑडियेंस को अखर सकती है.
अब तो सिसी का अपना एक हैशटैग ट्रेंड करता हैः #दैट गर्ल यानी वो लड़की. इस हैशटैग के तहत सुंदर, युवा, स्वस्थ और एथलीट काया वाली महिलाएं सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट करती हैं, अपनी सुबहों का जिक्र करती हैं, अपनी फिटनेस, खानपान और नींद वगैरह के रूटीन का. #दैट गर्ल का संदेश यही है- इन महिलाओं की तरह सुंदर, स्वस्थ, मजबूत और प्रसन्न...
नाखुश रानी
अपने उपन्यास के लिए शोध के तहत, रानी के जीवन से जुड़े, विभिन्न भाषाओं में मौजूद ऐतिहासिक दस्तावेजों, डायरियों, चिट्ठियों और समकालीन ब्यौरों के अध्ययन से कारेन ने पाया कि बदकिस्मती ही है कि इतिहास के पन्नों में दर्ज एलिजाबेथ, हाब्सबुर्ग महल में खुश नहीं थी. उन्होंने 40 साल की एलिजाबेथ पर ध्यान केंद्रित किया जबकि सिने और टीवी रूपातंरो में अपेक्षाकृत युवा सिसी को दिखाया गया है.
उन्होंने डीडब्लू को बताया, "एक और सिसी भी है, ज्यादा उम्रदराज, जो अपनी जिंदगी और अपने पति से थोड़ा निराश है. कुछ ही साल के दांपत्य जीवन के बाद अपने पति से निराश होन वाली इतिहास की वो शायद अकेली स्त्री नहीं है, वो शायद पति से ज्यादा चतुर है और जिसे कमतर भूमिका में रहना गवारा नहीं. सिसी वो थी जिसने उस भूमिका को खारिज कर दिया था."
वह एक बेहतरीन घुड़सवार और शिकारी बनी. आज तक ब्रिटेन और आयरलैंड में उनकी धूम एक रोमांटिक राजकुमारी की नहीं बल्कि एक उद्दाम सवार की है जो ब्रिटिश कुलीनों के साथ खतरनाक शिकारों में हिस्सा लेती थी. महल से जुड़ी अपनी जिम्मेदारियों से यथासंभव पीछा छुड़ाते हुए एलिजाबेश ने अपना समय अपने पसंदीदा शौक को पूरा करने में बिताया, वो शौक जो उन्हें खुश रखता था- घुड़सवारी, व्यायाम और प्रकृति.
1870 में रानी का वो सावधान, सतर्क जीवन था. लंदन में महारानी विक्टोरिया से मुलाकात उन्हें नहीं सुहाई, सिर्फ आधा घंटे वहां रहीं, शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य के साथ खाने से भी इंकार कर दिया.
परीकथा की रानी
इस मायने में, ऑस्ट्रिया की रानी एलिजाबेथ काफी आधुनिक महिला थी जिसने खुद पर थोपी हुई रूढ़ियों और प्रतिबंधों के खिलाफ संघर्ष किया, एक मुक्त, सक्रिय जीवन बिताने और अपनी जिंदगी में खुशी और मायने ढूंढने की कोशिश करती रही.
कई बार वो कामयाब रहीं, बाजदफा नाकाम. बहुत से लोग उन्हें स्त्री मुक्ति की शुरुआती मिसाल मानते हैं, भले ही इस मुक्ति की कामना करने वाली यूरोप की अपने दौर की सबसे शक्तिशाली महिलाओं में से, वो एक थी.
मैरी क्रुएत्सर की फिल्म "कोरसाज" और कारेन डुवे का उपन्यास "सिसी" सबकी प्यारी ऑस्ट्रियाई रानी के ज्यादा स्याह, ज्यादा आधुनिक पक्ष को उद्घाटित करते हैं.
दूसरी ओर, रोमी श्नाइडर अभिनीत फिल्म और नेटफ्लिक्स सीरीज, रानी की शख्सियत की छानबीन एक परीकथा के दायरे में करती है, उनके जीवन को एक प्रेम कहानी की तरह पेश किया गया है जिसमें युवा, संपन्न और सुंदर लोगों की दुनिया की खूब मौजमस्ती, रोमांस और कामोत्तेजना है.
सिसी की कहानी एक परीकथा का हिस्सा लगती है, कारेन डुवे भी इस बात की तस्दीक करती हैं. एक राजा एक लड़की को दिल दे बैठता है, उससे शादी करता है, वो लड़की सोने की बग्घी में चर्च जाती है और वियना का शाही महल उसका घर होता है.
उपन्यासकार कारेन कहती हैं, "ये बिल्कुल ही खास तरह की कहानी है, खासतौर पर हम जर्मनभाषियों के लिए जो परिकथाओं के साथ बड़े हुए थे. सिसी की कहानी वैसी ही है जिसमें ये पता चलता है कि कोई परिकथा वास्तव में सच भी सकती है." एक ऐसी परिकथा जो रूप की रानी एलिजाबेथ की मौत के 125 साल बाद भी लोगों को लुभाती है.