"लीबियाई सैनिक विद्रोहियों पर हावी हुए"
११ मार्च २०११व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमेरिका लीबिया में नागरिक आपदा राहत टीम भेजेगी ताकि वहां के लोगों को मदद की जा सके. लेकिन अमेरिका ने यह भी कहा कि इस टीम में कोई सैन्य या सुरक्षा अधिकारी नहीं होगा.
अमेरिका, नाटो और संयुक्त राष्ट्र हालात को सुलझाने की कोशिश में हैं तो अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने लीबिया के विपक्षी गुटों से बातचीत करने की बात कही लेकिन चेतावनी भी दी है कि अगर अमेरिका ने अकेले कार्रवाई की तो उसके नतीजे अभी नहीं देखे जा सकते.
ओबामा सरकार के आलोचक लीबिया पर सीधे सैन्य कार्रवाई की मांग कर रहे हैं और साथ ही विपक्षी गुटों को सैन्य सहायता की भी.
ताकतवर शाही सेना
अमेरिकी खुफिया विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि गद्दाफी की सेना के पास अच्छा साजो सामान है और विरोध प्रदर्शनकारियों की तुलना में उसमें अनुशासन भी ज्यादा है. इसलिए सेना जीत जाएगी. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के सुरक्षा सलाहकार टॉम डॉनिलोन ने इस कथन को एकतरफा बताया है. उनका कहना था कि इस रिपोर्ट में गद्दाफी की सेना पर ही ध्यान केंद्रित है. अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों जैसे दूसरे तथ्यों को ध्यान में नहीं रखा गया.
अगर गद्दाफी गद्दी पर बने रहते हैं तो इसका बुरा असर अमेरिकी राजनीति पर होगा. राष्ट्रपति ओबामा पर आरोप लगेगा कि उन्होंने एक तानाशाह को सत्ता में रहने दिया और इससे दूसरे तानाशाहों को भी संदेश जाएगा कि भले ही विरोध को दबाने के लिए वह अपने ही लोगों पर सेना का प्रयोग करें तो उसका नतीजा उन्हें नहीं भुगतना पडेगा. वहीं किसी सैन्य कार्रवाई से पीछे हट रही अमेरिकी सरकार को डर है कि अगर उन्होंने सैनिक कार्रवाई की तो मध्यपूर्व में उनकी यह तीसरी कार्रवाई होगी और अल कायदा को अमेरिका के खिलाफ प्रचार का एक और कारण मिल जाएगा.
आगे बढ़ने का समय
उधर गद्दाफी के बेटे सैफ अल इस्लाम ने कहा, यह हमला करने का समय है. हमने उन्हें बातचीत के लिए दो हफ्ते दिए. अब समय खत्म हो गया है. अल इस्लाम के इस कथन के बाद लीबिया की सेना ने विरोध प्रदर्शकारियों पर हमले तेज किए और रास लानूफ में उन पर बम बरसाए.
खाड़ी और अरब देशों ने कहा कि गद्दाफी की सरकार वैध नहीं है. वहीं फ्रांस और ब्रिटेन ने यूरोपीय संघ के देशों से संयुक्त अपील की है कि वह बेनगाजी में नेशनल लीबियन काउंसिल को मान्यता दे. इधर यूरोपीय संघ के नेता इस बात पर तो राजी हो गए हैं कि गद्दाफी पर और प्रतिबंध लगाए जाएं लेकिन किसी ठोस कार्रवाई पर नेता राजी नहीं हो सके. फ्रांस और ब्रिटेन ने विपक्षी धड़ों का साथ देने की घोषणा की है.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः एस गौड़