विशाल हिमखंड बना ब्रिटिश द्वीप के लिए खतरा
६ नवम्बर २०२०इस हिमखंड का नाम ए68ए है और यह दक्षिण अटलांटिक में ब्रिटेन के नियंत्रण वाले दक्षिणी जॉर्जिया द्वीप से टकरा सकता है. ए68ए दक्षिणी महासागर में इस समय सबसे बड़ा हिमखंड है. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह हिमखंड टूट सकता है या संभव है कि अपना रुख बदल ले. लेकिन इस बात की बहुत संभावना है कि हिमखंड द्वीप से टकराएगा और वह वहां की जैव विविधता को अस्त व्यस्त कर सकता है.
ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे से जुड़े प्रोफेसर गेरैंट टार्लिंग ने डीडब्ल्यू को बताया, "यह ऐसा इलाका है, जहां भरपूर वन्यजीवन पनप रहा है. वहां पेंगुइन और सीलों की बड़ी आबादी है. वहां ये जीव इतनी संख्या में रहते हैं, कि अगर ये ना हों तो इन प्रजातियों की संख्या में बहुत बड़ी गिरावट आ सकती है." इस द्वीप पर हंपबैक और ब्लू व्हेल की संख्या भी बढ़ रही है. इसके अलावा समुद्री पक्षियों अल्बाट्रोस की सबसे ज्यादा संख्या भी इसी द्वीप पर पाई जाती है.
हिमखंडों का कब्रिस्तान
वैज्ञानिकों ने उम्मीद की थी कि 2017 की गर्मियों में अंटार्कटिक प्रायद्वीप के पूर्वी तट पर पानी में तैरने वाले हिम पर्वत लार्सन सी से टूटने के बाद ए68ए बिखर जाएगा. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) का कहना है कि इस हिमखंड से दो हिस्से अलग भी हो चुके हैं, लेकिन अब भी यह आकार में यूरोपीय देश लग्जमबर्ग के दोगुने के बराबर है. हालांकि ए68ए द्वीप से टकराने वाला सबसे बड़ा हिमखंड होगा, लेकिन इस इलाके में यह ऐसी पहली घटना नहीं है. पहले भी ऐसा यहां कई बार हो चुका है और इसीलिए इस इलाके को "हिमखंडों का कब्रिस्तान" कहा जाता है.
2004 में ए68ए से छोटा एक हिमखंड द्वीप से कुछ किलोमीटर दूर तक आ गया था. टार्लिंग कहते हैं कि मौजूदा हिमखंड को लेकर चिंता उसके आकार की वजह से नहीं है, बल्कि इसका आकार छिछला है. ईएसए के अनुसार यह सिर्फ कुछ सौ मीटर मोटा है.
टार्लिंग कहते हैं, "हो सकता है कि यह हिमखंड तट के पास जाकर ठहर जाए. इसकी वजह से वहां रहने वाले जीवों के लिए अपने खाने तक पहुंचना मुश्किल हो सकता है. या फिर खाना लेकर लौटते वक्त वे अपने बच्चों तक ना पहुंच पाएं." टार्लिंग कहते हैं कि इसकी वजह से समुद्री शैवाल भी प्रभावित हो सकते है जो वहां की खाद्य श्रृंखला में सबसे नीचे हैं.
देखो और इंतजार करो
उत्तरी इंग्लैंड की शेफील्ड यूनिवर्सिटी में भूतंत्र विज्ञान के प्रोफेसर ग्रांट बिग इस हिमखंड के सकारात्मक प्रभावों का भी जिक्र करते हैं. वह कहते हैं कि चूंकि यह हिमखंड अब भी पानी में तैर रहा है, इसलिए इसके साथ बहुत सारा आयरन भी होगा. इससे महासागर की उपजाऊ क्षमता बढ़ेगी और कई सूक्ष्म जीवों को पनपने का मौका मिलेगा.
यह हिमखंड अब तक 1,600 किलोमीटर का सफर तय कर चुका है. अगर यह एक घंटे में एक किलोमीटर आगे बढ़ने की मौजूदा रफ्तार से चलता रहा तो अब से 10 से 20 दिन के भीतर द्वीप तक पहुंच सकता है. प्रोफेसर बिग कहते हैं, "यह इतना बड़ा है कि हम इसे लेकर कुछ नहीं कर सकते. बस हमें इंतजार ही करना पड़ेगा. उम्मीद करते हैं कि धारा उसका रुख द्वीप के दक्षिण की तरफ कर दे या फिर वह विखंडित हो जाए."
रिपोर्ट: हॉली यंग
__________________________
हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore