सीमा विवाद में उलझा त्रिपुरा में बाड़ लगाने का मामला
२८ जनवरी २०२१पूर्वोत्तर में बसा भारत का त्रिपुरा राज्य उत्तर, दक्षिण और पश्चिम में बांग्लादेश से घिरा है और इसकी 856 किमी लंबी सीमा उस देश के साथ लगी है. यहां पहले भी सीमा पर विवाद होता रहा है और सीमा पार से घुसपैठ व तस्करी के आरोप लगते रहे हैं. मौजूदा विवाद के बाद इलाके में कायम तनाव को ध्यान में रखते हुए धारा 144 लागू कर दी गई है.
सीमा पर विवाद
दक्षिण त्रिपुरा जिले के सीमावर्ती इलाके सबरूम में भारतीय सीमा पर कंटीले तारों की बाड़ लगाने का काम चल रहा था. लेकिन बांग्लादेशी सुरक्षा बल बांग्लादेश बार्डर गार्ड्स (बीजीबी) ने इस पर आपत्ति जताई और काम रोक दिया. सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और बीजीबी के बीच फ्लैग मीटिंग के बावजूद इस मुद्दे पर गतिरोध जस का तस है. उसके बाद सीमा से पांच सौ मीटर के दायरे में लोगों के जमावड़े पर रोक लगा दी गई है. पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, "इलाके में कंटीले तारों की बाड़ लगाने के मुद्दे पर विवाद के बाद इसका काम रोक दिया गया है. सबरूम सब-डिवीजन के तहत आइलामारा सीमा पर इस घटना के बाद इलाके के लोगों में डर और नाराजगी है.”
स्थानीय लोगों का कहना है कि बीजीबी सीमा पर कंटीले तारों की बाड़ लगाने की भारत की योजना के खिलाफ है. इस घटना के बाद इलाके में बाजार और दुकानें बंद हैं. इलाके के लोगों ने इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया है. एक स्थानीय व्यक्ति नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, "अंतरराष्ट्रीय सीमा पर आइलामारा से सबरूम बाजार तक के इलाके में सीमा पर कोई बाड़ नहीं लगी है. इसका लाभ उठा कर सीमा पार से लोग अवैध रूप से त्रिपुरा पहुंच जाते हैं. इसके अलावा इस सीमा के जरिए सीमा पार से तस्करी की गतिविधियां भी लगातार तेज हो रही हैं.”
बीजीबी ने इससे पहले उत्तर त्रिपुरा में भी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कंटीले तारों की बाड़ लगाने का विरोध किया था. राज्य के कई सीमांत इलाकों में बाड़ लगाने का काम पूरा हो गया है. लेकिन सबरूम सब-डिवीजन के तहत 5.58 किमी लंबी सीमा समेत कई इलाकों में यह काम अब तक नहीं हुआ है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बीती 12 जनवरी को राज्य के मुख्य सचिव को पत्र भेज कर सबरूम सब-डिवीजन के तहत अंतरराष्ट्रीय सीमा पर यह काम फरवरी तक पूरा करने का निर्देश दिया था. सबरूम को चटगांव बंदरगाह से जोड़ने वाली सड़क पर फेनी नदी पर बने मैत्री ब्रिज को जल्दी ही खोला जाना है. इसी वजह से सरकार को यहां बाड़ लगाने की जल्दी है. उसी के मुताबिक काम शुरू हुआ था. लेकिन बीजीबी की आपत्ति के बाद उसे रोक देना पड़ा. फेनी नदी दक्षिण त्रिपुरा से निकल कर बांग्लादेश होते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है.
इलाके का मालिक कौन
बीएसएफ के आईजी (त्रिपुरा फ्रंटियर) सुशांत नाथ का कहना है कि बीजीबी की आपत्तियों की वजह से कुछ इलाकों में बाड़ लगाने का काम रोक देना पड़ा है. फ्लैग मीटिंग के बावजूद गतिरोध जस का तस है. नाथ बताते हैं, "विभिन्न स्तर पर इस विवाद को सुलझाने की कोशिशें चल रही हैं. उम्मीद है गतिरोध शीघ्र दूर कर लिया जाएगा." वैसे जिस इलाके में बाड़ लगाई जा रही थी, बांग्लादेश उसे विवादास्पद मानता है. इस मुद्दे पर पहले भी कई बार बैठकें हो चुकी हैं. इससे पहले त्रिपुरा में बीते साल नवंबर में महानिदेशक स्तर की बैठक में बीजीबी और बीएसएफ ने आपसी तालमेल बढ़ाने पर जोर देते हुए सीमा पार से होने वाली तस्करी और दूसरे अपराधों पर अंकुश लगाने पर सहमति जताई थी.
बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं, "पहले हुए इंदिरा-मुजीब समझौते के तहत बीते कई वर्षों से सीमा पर कंटीले तारों की बाड़ लगाने का काम चल रहा है. लेकिन कुछ इलाके ऐसे हैं जहां असली सीमा से 150 गज की दूरी पर बाड़ लगाना संभव नहीं था. ऐसे में दोनों देशों के अधिकारियों ने आपसी सहमति से फैसला किया कि उन इलाकों में जीरो लाइन पर सिंगल तार की बाड़ लगाई जाएगी. उसी के मुताबिक काम शुरू हुआ था.” उस अधिकारी का कहना था कि अब तक यह साफ नहीं है कि आखिर बीजीबी को इस पर आपत्ति क्यों है.
दूसरी ओर, बीजीबी की दलील है कि उनको मुख्यालय से जो नक्शा मिला है उसके मुताबिक काम नहीं हो रहा था. बीएसएफ ने इस बारे में हमारे पत्र का कोई जवाब दिए बिना ही काम शुरू कर दिया. इसी वजह से वहां काम रोक दिया गया. इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच बातचीत के जरिए सहमति होने पर ही काम शुरू करने की अनुमति दी जाएगी. रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा निर्धारण के भारत के नक्शे को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है. यही पूरे विवाद की जड़ है.
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