सीरिया में कुर्दों के खिलाफ सैन्य अभियान पर बेबस यूरोप
२५ अक्टूबर २०१९ब्रसेल्स में इस मामले पर हुई बैठक के पहले दिन 29 देशों के संगठन में तुर्की बाकी देशों से अलग थलग और अकेला खड़ा नजर आया. तुर्की कुर्द लड़ाकों को "आंतकवादी" मानता है लेकिन इन लड़ाकों ने इस्लामिक स्टेट के खिलाफ जंग में अहम भूमिका निभाई है. नाटो के महासचिव येन्स स्टॉल्टेनबर्ग ने इस मामले पर हुई चर्चा को "स्पष्ट और खुला" कहा और ध्यान दिलाया, "हमने पहले भी असहमतियां देखी हैं" लेकिन अटलांटिक पार का गठबंधन इसे झेल कर भी खड़ा रहा है.
स्टॉल्टेनबर्ग ने इस बात पर जोर दिया कि नाटो सदस्य देशों के मंत्री इस बात पर सहमत हुए हैं कि इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ाई में एकजुट रहना जरूरी है.
जर्मनी ने इस हफ्ते ये पहल की थी कि उत्तर पूर्वी सीरिया में अंतरराष्ट्रीय सेना तैनात कर एक सिक्योरिटी जोन बनाया जाए. जमीनी स्थिति और संयुक्त राष्ट्र से मंजूरी की जरूरत की वजह से इसे बहुत महत्व नहीं दिया गया. हालांकि सीरियाई कुर्द बल के शीर्ष कमांडर मजलूम आबदी ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया. उत्तरी सीरिया में आबदी ने पत्रकारों से कहा, "हम इसकी मांग करते हैं और इस पर अपनी सहमति देते हैं."
नाटो के मंत्रियों ने इस योजना को बहुत तवज्जो नहीं दी. स्टॉल्टेनबर्ग ने कहा कि इसकी बजाय वह इस बात पर जोर देंगे कि उत्तरी सीरिया में "अंतरराष्ट्रीय समुदाय को राजनीतिक हल ढूंढने के लिए व्यापक सहमति बनाने में शामिल होना चाहिए."
ब्रसेल्स में बैठक शुरू होने से पहले जर्मन रक्षा मंत्री आनेग्रेट क्राम्प कारेनबावर ने कहा कि वे और उनके फ्रेंच और ब्रिटिश समकक्ष मान रहे हैं कि उत्तरी सीरिया में तुर्की और रूस के बीच "सेफ जोन" की संयुक्त रूप से गश्त लगाने के लिए हुआ करार "राजनीतिक समाधान के लिए स्थायी आधार मुहैया नहीं कराएगा."
बेल्जियम के रक्षा मंत्री डिडियर रेंडर्स ने जर्मनी के सैनिक तैनात करने के विचार पर कहा, "सैद्धांतिक रूप से हम इस तरह के करार के पक्ष में हैं जिसमें सब साथ काम करें लेकिन फिर एक बार परिस्थिति एकदम से अब अलग है."
अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने ब्रसेल्स में एक थिंक टैंक के कांफ्रेंस में नाटो की बैठक से पहले तुर्की के बारे में बहुत रुखाई से कहा, "वह गलत दिशा में जा रहा है. तुर्की ने हम सब को एक खतरनाक स्थिति में डाल दिया है और मुझे लगता है कि यह चढ़ाई गैरजरूरी है." एस्पर ने अमेरिका के 50 से कम सैनिकों को वहां से हटाने का बचाव भी किया. अमेरिकी सैनिकों के हटने के बाद से ही तुर्की के लिए हमले का रास्ता साफ हुआ है. एस्पर की दलील है कि यह सैनिकों की जान बचाने का एकमात्र तरीका था. उनका यह भी कहना था कि किसी भी हाल में वह "एक नाटो सहयोगी के साथ लड़ाई नहीं शुरू करना चाहते."
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने बुधवार को सीरिया में अमेरिकी रणनीति के बारे में कहा था, "खून के धब्बों वाली रेत में ये लंबी लड़ाई किसी और को लड़ने दीजिए." हालांकि गुरुवार को उन्होंने ट्वीट किया, "कुर्दों ने जो किया है मैं उसकी तारीफ करता हूं. शायद अब समय आ गया है कि कुर्द तेल वाले इलाकों की तरफ जाएं." ट्रंप शायद उस इलाके की बात कर रहे थे जो उत्तरपूर्व सीरिया में है और जो फिलहाल अमेरिका के नियंत्रण में है. ट्रंप इसे सीरियाई सरकार या फिर उसके ईरानी या रूसी सहयोगियों के हाथ में नहीं डालना चाहते.
तुर्की की कार्रवाई, रूस के साथ उसकी बढ़ती नजदीकियां और नाटो में यूरोपीय सहयोगियों को उसकी धमकी कि अगर उसके हमले की आलोचना हुई तो वह शरणार्थियों की बाढ़ को यूरोप की तरफ खुला छोड़ देगा, इन सब ने कई यूरोपीय देशों को नाराज किया है.
इस बीच शुक्रवार को रूसी रक्षा मंत्रालय ने बताया कि रूस की मिलिटरी पुलिस के और 300 जवान सीरिया में पहुंच गए हैं. मंगलवार को रूस और तुर्की के बीच एक करार हुआ है. इसके तहत सीरिया की सीमा में 30 किलोमीटर के भीतर रूस की सेना पुलिस और तुर्की के बॉर्डर गार्ड अगले मंगलवार तक सभी कुर्द लड़ाकों को वहां से हटा देंगे. इससे पहले अमेरिका के साथ हुए समझौते के बाद तुर्की पांच दिनों के लिए हमले रोकने पर तैयार हुआ था. रूस के दक्षिणी इलाके चेचेन्या से आई मिलिटरी पुलिस इलाके में गश्त करेगी और कुर्द सैनिकों और उनके हथियारों को बाहर निकालने में मदद करेगी.
हालांकि कुर्द संगठन वाईपीजी के नेतृत्व वाली सीरियाई डेमोक्रैटिक फोर्सेज यानी एसडीएफ ने तुर्की पर गुरुवार को तीन गांवों पर हमला करने का आरोप लगाया. इसकी वजह से हजारों की तादाद में आम लोगों को घर छोड़कर भागना पड़ा है. तुर्की का हमला शुरू होने के बाद डेढ़ लाख से ज्यादा लोग अपना घर छोड़कर सुरक्षित ठिकानों की ओर गए हैं.
एनआर/एमजे (रॉयटर्स, एएफपी)
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